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‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा को लेकर उपराष्ट्रपति का संबोधन, पढ़िए पूरी खबर

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने युवाओं से गरीबों एवं जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए अपना कुछ समय तथा संसाधन समर्पित करने की बात पर जोर दिया। साथ ही भारत की मूल भावना ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा के साथ अपना जीवन यापन करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि लोगों की सेवा करने का मौका किसी व्यक्ति को अत्यधिक संतुष्टि प्रदान करता है और अपने पास उपलब्ध हर अवसर का इस्तेमाल दूसरों की सहायता में कार्य करने के लिए करना चाहिए।

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सामाजिक कल्याण संगठन ‘प्रेमा समाजम’ की 90वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विशाखापट्टनम में स्थित सामाजिक कल्याण संगठन ‘प्रेमा समाजम’ की 90वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस संगठन के संस्थापक मारेदला सत्यनारायण को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नायडू ने अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों के दौरान प्रेमा समाजम के साथ कार्य करने के अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा किया।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक अनाथालय और वृद्धाश्रम के माध्यम से गरीबों एवं वंचितों की जरूरतों को पूरा करने तथा उन्हें मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए संगठन की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रेमा समाजम द्वारा स्थापित कौशल विकास केंद्रों से युवाओं को काफी लाभ मिलेगा।

“हर किसी को सेवा की भावना को आत्मसात करना चाहिए”

भारत के सदियों पुराने दर्शन ‘सहयोग व देखभाल’ का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर किसी को सेवा की भावना को आत्मसात करना चाहिए और दूसरों, विशेष रूप से वंचित वर्गों की सहायता करनी चाहिए। कोविड महामारी के अनुभव को याद करते हुए, नायडु ने कहा कि बहुत से लोगों को दूसरों की आवश्यकता के समय मदद के लिए तत्परता से आगे आते हुए देखना प्रसन्नता की बात रही है।

नायडु ने गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कल्याण संस्थाओं से विशेष रूप से युवाओं तथा महिलाओं के लिए आजीविका के अवसर सृजित करने हेतु कौशल विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने निजी संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों से ऐसे गैर-लाभकारी संगठनों को उनके प्रयासों में सहयोग व सहायता देने का आह्वान किया।