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ममता बनर्जी ने बताई वजह, आखिर क्यों नंदीग्राम से चुनाव लड़ना चाहती हैं।

बंगाल चुनाव ज्यों- ज्यों नजदीक आता जा रहा है, देश भर में राजनीतिक तपिश बढ़ती जा रही है। इस वक़्त पुरे देश की नज़रे बंगाल चुनाव पर टिकी हुई है। ममता के कई साथी उनके खेमे को छोड़कर भाजपा के साथ चले गए, लेकिन नंदीग्राम से अपने पुराने साथी सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान करके ममता बनर्जी ने बता दिया कि उनका रंग और राजनीति करने का ढंग बिलकुल नहीं बदला है।

बता दे कि ममता बनर्जी बुधवार को नंदीग्राम से नामांकन पत्र जारी भरेगी। इससे पहले एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, ”मैं चाहती तो भोवानीपुर से भी टिकट ले सकती थी। लेकिन जब नंदीग्राम के विधायक ने इस्तीफा दिया था, तब एक रैली से मैंने आप लोगों से जानने की कोशिश की थी कि क्या मैं नंदीग्राम से लड़ सकती हूं ? आप लोगों ने हां कह दिया तो मैंन लड़ने का फैसला लिया। ”

टीएमसी अध्यक्ष ने कहा कि नंदीग्राम और सिंगुर दोनों आंदोलन की भूमि है और वे दोनों में से किसी भी सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी।

मुख्यमंत्री ममता ने जनसभा के दौरान चंडीपाठ भी किया। उन्होंने कहा कि इंसान में 70-30 (हिंदू-मुस्लिम) कुछ नहीं होता है। विभाजनकारी राजनीति नंदीग्राम में काम नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, ”नंदीग्राम का नाम पूरी दुनिया को पता है। नंदीग्राम ही सद्भावना का दूसरा नाम है। मैं सभी का नाम भूल सकती हूं, लेकिन नंदीग्राम का नाम नहीं. सिंगुर , नंदीग्राम नहीं होता तो आंदोलन का तूफान नहीं आता। मैं भी हिन्दू घर की लड़की हूं। मेरे साथ हिन्दू कार्ड मत खेलो। ”

बता दें कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में नंदीग्राम में हुए आंदोलन से ही 2011 में बनर्जी सत्ता में आई थीं। इस बार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उनका मुकाबला अपने ही विश्वस्त सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी से होगा ,जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं।