26 जनवरी के जश्न के उत्स्व को बायकॉट करेगी कम्युनिस्ट माओवादी पार्टी
26 जनवरी का काउंट डाउन शुरू हो गया है, इस दिन देश भर में जश्न का माहौल रहता है। लेकिन, फिलहाल देश में माहौल धरना,प्रदर्शन का है।
कम्युनिस्ट माओवादी पार्टी ने स्टूडेंट्स, आदिवासी, मजदूर, किसानों से अपील की है कि इस जश्न के माहौल को खारिज करते हुए, कृषि कानून के खिलाफ रेल रोको, चक्का जाम और धरना -प्रदर्शन जारी रखें।
इसके अलावा 26 जनवरी के दौरान चीफ गेस्ट के तौर पर आने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन का विरोध करने की अपील की गई है।
कुछ महीनों पहले भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की गुरिल्ला विंग पीपुल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी, जो एक बैन ऑर्गनाइजेशन है, ने एक प्रेस नोट जारी करके किसानों से हथियार उठाने की अपील की थी।
हम आपको बता दें कि किसान और सरकार के बीच कल सोमवार को आठवें दौर की बैठक हुई, जो बेनतीजा साबित हुई या मोटे तौर पर कहें तो मैच एक बार फिर टाई रहा। अब अगले दौर की बातचीत 8 जनवरी को होना सुनिश्चित किया गया है। कल तीन घंटे की बातचीत में किसान कृषि कानून को रद्द करने को लेकर अड़े रहे। सरकार ने संयुक्त समिति बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया। अब सरकार को उम्मीद है कि अगली बातचीत में जरूर समाधान निकलेगा।
सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेगी, तब तक हम घर वापस नहीं जाएंगे
जाहिर है कि आज एक बार फिर सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों की आपस में बैठक होनी है, जहां आगे की रणनीति को लेकर चर्चा होनी है. आठवें दौर की वार्ता खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार को दो टूक कहा कि जब तक सरकार ये तीनों कानून वापस नहीं लेती है, तब तक हमारी घर वापसी नहीं होगी।
written by Sachin Sarthak