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उत्तर प्रदेश में मायावती की सक्रियता में कमीं, दलित वोट पर सबकी नज़र

उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमों मायावती की कम सक्रियता से वहां की तमाम पार्टियां दलितों को एक विकल्प देने की कोशिश में है। भीम आर्मी से लेकर भाजपा के सहयोगी रामदास अठावले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया भी उत्तर प्रदेश में दलित वोट को साधने की कोशिश में है। बीते शनिवार केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के प्रमुख रामदास अठावले ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आरपीआई को प्रदेश में अलायंस पार्टनर बनाने का प्रपोजल दिया है।

राम दास अठावले ने कहा हम चाहते हैं कि भाजपा हमें 8 से 10 सीटें दे। इससे हमें भी फायदा होगा और भारतीय जनता पार्टी को भी।

अठावले का तर्क है कि यूपी में आरपीआई के साथ बीजेपी के रहने से एक दलित सिंबल का साथ तो मिलेगा ही वहीं विपक्ष की ओर दलित वोट जाने से भी बचेगा. उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर बीजेपी उन्हें सीट नहीं देती तो उनकी पार्टी 50 से अधिक दलित बहुल सीटों पर अकेले लड़ सकती है इससे बीजेपी का ही नुकसान होगा.

हालांकि उनकी पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ये अठावले का अपनी बात रखने का अंदाज है जिसके कारण वे चर्चा में भी रहते हैं लेकिन उनकी पार्टी यूपी की दलित बहुल सीटों को लेकर सीरियस है.

गोरखपुर में मार्च के तीसरे हफ्ते में कार्यकर्ता सम्मेलन को भी अठावले संबोधित करेंगे. पिछले छह महीनों में ये अठावले का यूपी का चौथा दौरा होगा.

मायावती की कम सक्रियता

मायावती उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का चेहरा रही है, लेकिन अब उनकी सक्रियता में बहुत कमी नज़र आ रही है और माजूदा वक़्त में उनकी पार्टी में कोई ऐसा नज़र भी नहीं आ रहा जो उनकी राजनीतिक विरासत को आगे ले जा सके, और इसी का फायदा अठावले और चंद्रशेखर आज़ाद सहित कई लोग करना चाहते हैं।


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