गलत धारणाएं बनने पर मीडिया को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत: अनुराग ठाकुर
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि अगर गलत धारणाएं बनाई जा रही हैं तो मीडिया को अपनी भूमिका का आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।
ठाकुर ने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर एक समारोह में यह बात कही, जो हर साल 23 जुलाई को भारत में पहली बार रेडियो प्रसारण को चिह्न्ति करने के लिए मनाया जाता है, जो 1927 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के तहत बॉम्बे स्टेशन से प्रसारित हुआ था।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कुछ लोगों ने अनुमान लगाया था कि टेलीविजन और बाद में इंटरनेट के आने से रेडियो का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा, लेकिन रेडियो ने अपने दर्शकों की पहचान की है और न केवल अपनी प्रासंगिकता बल्कि विश्वसनीयता को भी बनाए रखा है।
उन्होंने कहा कि आज, जब लोग निष्पक्ष समाचार सुनना चाहते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से आकाशवाणी और दूरदर्शन की खबरें सुनते हैं। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी देश के 92 प्रतिशत भू-भाग और 99 प्रतिशत से अधिक लोगों को कवर करती है और यह एक सराहनीय उपलब्धि है।
एक प्लेटफार्म के रूप में रेडियो के महत्व के बारे में श्री ठाकुर ने कहा कि कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन किसी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह रेडियो के मूल्य को नहीं समझा, जिन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से सीधे जुड़ने के लिए इसे अपने मनपसंद माध्यम के रूप में चुना है।
केन्द्रीय मंत्री ने मीडिया को सतर्क करते हुए कहा कि अगर कहीं ‘मीडिया ट्रायल’ जैसे कथनों के माध्यम से निजी मीडिया के बारे में गलत धारणा पैदा हो रही है, तो हमें अपने कामकाज के बारे में आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।
आजादी का अमृत महोत्सव के भाव को अभिव्यक्ति प्रदान करने में दो संस्थाओं- आकाशवाणी और दूरदर्शन- की भूमिका को श्रेय देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जहां स्वतंत्रता के बाद से अब तक की शिक्षा प्रणाली ने कई क्षेत्रीय स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया, वहीं रेडियो और दूरदर्शन ने देश के दूर-दराज इलाकों के पांच सौ से अधिक गुमनाम नायकों के बारे में जानकारी एकत्रित की और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों की सराहना करते हुए इसे राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया।
केन्द्रीय मंत्री ने दोनों एजेंसियों के लिए सामग्री (कंटेंट) के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह सामग्री ही थी जिसने लोगों को इन दोनों चैनल की ओर खींचा। उन्होंने कहा कि टावरों के माध्यम से पहुंच चाहे जितनी भी हो जाए, वह सामग्री के महत्व की बराबरी नहीं कर सकती। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस डिजिटल युग में रेडियो लोगों के बीच अपनी उपस्थिति को और मजबूत करेगा।