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शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में अनुपालन बोझ को कम करने के लिए फॉर्मों और प्रक्रियाओं को कारगर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया

शिक्षा मंत्रालय (एमओई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में अनुपालन बोझ कम करने के लिए फॉर्मों एवं प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए इससे संबंधित हितधारकों के साथ ऑनलाइन संवाद की एक श्रृंखला शुरू की है। इसे हितधारकों के जीवनयापन को आसान बनाने को लेकर व्यापार करने में आसानी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार द्वारा निरंतरता के रूप में शुरू की गई है।

इस श्रृंखला के तहत पहली ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री अमित खरे ने की।

इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डी. पी. सिंह और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे भी उपस्थित थे। वहीं उद्योग संगठनों जैसे; सीआईआई, फिक्की, एचोसैम के अलावा कुछ केंद्रीय, राज्य, डीम्ड, निजी विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भी उच्च शिक्षा संस्थान में अनुपालन बोझ को कम करने पर अपने विचार साझा किए। उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर कुछ क्षेत्रों की पहचान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और अनुपालन बोझ में कमी के लिए की गई है। इन क्षेत्रों में

निम्नलिखित शामिल हैं-

शासन और नियामक सुधार
छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की आसानी के लिए प्रक्रिया को फिर से बनाना एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाना
नियामक निकायों द्वारा सूचना की बार-बार मांग के चलते बहुत अधिक दोहराव का काम होता है। केवल वैसी जानकारी जो मूल्यवर्द्धक हैं, उसे उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा दिए जाने पर जोर देना चाहिए।
वहीं, इस कार्यशाला में उपस्थित सभी कुलपतियों से यह अनुरोध किया गया कि वे अपने संस्थानों में इस विषय पर एक आंतरिक बैठक करें और इसके बाद यूजीसी को अपने सुझाव भेजें।

यूजीसी इस तरह की चर्चाओं के लिए नोडल एजेंसी होगी।

अनुपालन बोझ में कमी करने को लेकर क्षेत्रों की पहचान के लिए अधिकतम उच्च शिक्षा संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आने वाले दिनों में इस तरह की कई और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।