इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने सभी मध्यस्थों को मौजूदा आईटी नियमों का पालन करने के लिए परामर्श जारी किया
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी मध्यस्थों के लिए एक परामर्श जारी किया है, जिसमें मौजूदा आईटी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया है। यह निर्देश विशेष रूप से एआई- डीपफेक से प्रेरित गलत सूचना के बारे में बढ़ती चिंताओं को लक्षित करता है।
परामर्श में कहा गया है कि मध्यस्थ निषिद्ध सामग्री, विशेष रूप से आईटी नियमों के नियम 3 (1) (बी) के अंतर्गत निर्दिष्ट सामग्री के बारे में उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से सूचित किया गया हैं। यह परामर्श केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा एक महीने के भीतर मध्यस्थों के साथ डिजिटल इंडिया संवाद के दौरान की गई चर्चाओं का निष्कर्ष है।
परामर्श में कहा गया कि, “आईटी नियमों के अंतर्गत निषिद्ध सामग्री, विशेष रूप से नियम 3 (1) (बी) के तहत सूचीबद्ध सामग्री के उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट रूप से और सटीक भाषा में सूचित किया जाना चाहिए, जिसमें इसकी सेवा की शर्तें और उपयोगकर्ता समझौते शामिल हैं और इसे पहले पंजीकरण के समय एवं नियमित अनुस्मारक के रूप में उपयोगकर्ता को स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए, विशेष रूप से, लॉगिन के प्रत्येक अवसर पर और प्लेटफ़ॉर्म पर जानकारी अपलोड/साझा करते समय स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए।
परामर्श में इस बात पर जोर दिया गया है कि डिजिटल मध्यस्थों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियम 3 (1) (बी) के उल्लंघन के मामले में उपयोगकर्ताओं को आईपीसी और आईटी अधिनियम 2000 सहित दंडात्मक प्रावधानों के बारे में सूचित किया जाए।
उपयोगकर्ताओं को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आईटी अधिनियम, 2000 और ऐसे अन्य कानूनों के विभिन्न दंड प्रावधानों से अवगत कराया जाना चाहिए जो नियम 3 (1) (बी) के उल्लंघन के मामले से जुड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, सेवा शर्तों और उपयोगकर्ता समझौतों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करना चाहिए कि मध्यवर्ती/प्लेटफ़ॉर्म संदर्भ में लागू प्रासंगिक भारतीय कानूनों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियां कानूनी उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य हैं।
आईटी नियमों के ड्यू डिलिजेंस सेक्शन के अंतर्गत नियम 3(1)(बी) मध्यस्थों को अपने नियमों, विनियमों, गोपनीयता नीति और उपयोगकर्ता समझौते को उपयोगकर्ता की पसंदीदा भाषा में संप्रेषित करने का आदेश देता है। वे 11 सूचीबद्ध उपयोगकर्ता हानि या डिजिटल मध्यस्थों पर निषिद्ध सामग्री से संबंधित किसी भी जानकारी को होस्ट करने, प्रदर्शित करने, अपलोड करने, संशोधित करने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने, संग्रहीत करने, अपडेट करने या साझा करने से उपयोगकर्ताओं को रोकने के लिए उचित प्रयास सुनिश्चित करने के लिए भी बाध्य हैं। इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्लेटफ़ॉर्म गलत सूचना, झूठी या भ्रामक सामग्री और डीपफेक सहित दूसरों का प्रतिरूपण करने वाली सामग्री की पहचान करें और उसे तुरंत हटा दें।
एक महीने की अवधि में, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी और जल शक्ति राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने डीपफेक के गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए उद्योग जगत के प्रमुखों के साथ महत्वपूर्ण हितधारक बैठकें बुलाईं। बैठक के दौरान, उन्होंने सभी प्लेटफार्मों और मध्यस्थों के लिए वर्तमान कानूनों व विनियमों का सख्ती से पालन करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला, इस बात पर जोर दिया कि आईटी नियम डीपफेक के खतरे को व्यापक रूप से दूर कर सकते हैं।
श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “गलत सूचना इंटरनेट पर उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा एवं विश्वास के लिए एक गहरा खतरा उत्पन्न करती है। डीपफेक जो एआई द्वारा संचालित गलत सूचना है, हमारे डिजिटल लोगों की सुरक्षा और विश्वास के लिए खतरे को बढ़ाता है। 17 नवंबर को, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश को डीपफेक के खतरों के बारे में सचेत किया था और उसके बाद, मंत्रालय ने भारतीय इंटरनेट के सभी हितधारकों के साथ दो डिजिटल इंडिया संवाद भी किए, जिससे उन्हें अक्टूबर 2022 में अधिसूचित आईटी नियमों के प्रावधानों और अप्रैल 2023 में संशोधन के बारे में सतर्क किया गया था और जानकारी दी गई थी, जिसमें सभी सोशल मीडिया मध्यस्थों और प्लेटफार्मों पर 11 विशिष्ट निषिद्ध सामग्री उपलब्ध की गई थी।”
मंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि नियम 3(1)(बी)(वी) स्पष्ट रूप से गलत सूचना के प्रसार पर रोक लगाता है। इसलिए, सभी मध्यस्थों को अपने प्लेटफार्मों से ऐसी सामग्री को तुरंत हटाने के लिए और उचित सावधानी बरतने के लिए कहा गया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्लेटफार्मों को आईटी नियमों के अंतर्गत किसी भी उल्लंघन से जुड़े कानूनी परिणामों के बारे में विधिवत सूचित किया गया है।
श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा “नियम 3 (1) (बी) (वी) गलत सूचना और स्पष्ट रूप से झूठी जानकारी को प्रतिबंधित करता है। डिजिटल इंडिया के दो संवादों के दौरान, सरकार और उद्योग आईटी नियमों के साथ प्लेटफार्मों और उपयोगकर्ताओं द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए और ज्यादा उपाय करने पर सहमत हुए हैं, जिन्हें मीडिया में पहले समझाया गया है। आज, एक औपचारिक परामर्श जारी किया गया है जिसमें ‘सहमत’ प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन प्लेटफार्मों पर उपयोगकर्ता नियम 3 (1) (बी) में निषिद्ध सामग्री का उल्लंघन न करें और अगर इस प्रकार के कानूनी उल्लंघनों को नोट किया जाता है या रिपोर्ट किया जाता है तो कानून के अंतर्गत परिणाम भुगतने होंगे। मंत्रालय आने वाले हफ्तों में मध्यस्थों के अनुपालन का बारीकी से निगरानी करेगा और आवश्यकता पड़ने पर आईटी नियमों और/या कानून में और संशोधन करेगा। यह सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का मिशन है कि इंटरनेट सुरक्षित और भरोसेमंद हो और सभी मध्यस्थ भारतीय इंटरनेट का उपयोग करने वाले डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास के लिए कानून के अंतर्गत जवाबदेह हों।”