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सुरक्षा मसलों से ज्यादा चर्चा पाकिस्तान में मोदी की दाढ़ी पर हो रही है

कोविड-19 का एक साल और कांस्पिरेसी थ्योरीज के फलने-फूलने का समय. नहीं, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं कि आप कोरोनावायरस को लेकर अटकलों या 5जी माइक्रो चिप के साथ आने वाली वैक्सीन के बारे में सुनकर उबासियां लेने लगें. हालांकि, मुझे अब तक ये बात समझ नहीं आई है कि जब हमारे सिम कार्ड हमें ट्रैक करने का उद्देश्य आसानी से पूरा कर ही रहे हैं फिर इस काम के लिए कोविड चिप की जरूरत क्यों पड़ने लगी? इस सब पर फिर कभी चर्चा करेंगे, चिंता करने के लिए और भी तमाम गंभीर मुद्दे हैं. मोदी की दाढ़ी से जुड़ा घटनाक्रम मंगल पर लैंडिंग से कहीं ज्यादा आकर्षक नज़र आ रहा है. यूं भी कह सकते हैं कि सारी साजिशें, उत्सुकताएं और खुफिया योजनाएं उनकी दाढ़ी में ही अटकी हुई हैं.

मोदी शायद खुद भी अपनी रेपुंजिल जैसी दाढ़ी की असली वजह नहीं जानते होंगे लेकिन कुछ पाकिस्तानियों ने इसके शातिर ‘इरादों’ का खुलासा कर दिया है. ध्यान से सुनिए— कोविड-19 तो महज एक धुंधला आवरण भर था, असली उद्देश्य है अखंड भारत, लीडर नंबर-1 बनना, खुद को कल्कि के अवतार या फिर एक मराठा नायक के रूप में दर्शाना और यहां तक कि जिसके आगे सारे दुनिया छोटी पड़ जाए. भारत-पाकिस्तान के बीच अगली जंग दाढ़ी को लेकर चल रही है. और निश्चित तौर पर इस युद्ध को हम ही जीतेंगे.

मोदी की दाढ़ी पाकिस्तानियों के लिए एक संकेत

लंबी दाढ़ी केवल पाकिस्तानियों को संकेत देने के लिए रखी गई है. यदि कोई इससे अलग कोई दावा करता है तो वो केवल झूठ बोल रहा होगा. मोदी के सीने के साइज पर चर्चा करने के दिन बीत चुके हैं. अब दाढ़ी ही याहूद-ओ-हनूद (यहूदी और हिंदुओं) की साजिश का नया टूल बन गई है. अच्छी तरह समझ लें, सीमा पार तक जड़ें जमा लेने वाली दाढ़ी का कोई अच्छा नतीजा नहीं निकलने वाला है, हमें यही बताया गया है.

बढ़ते बालों, मूंछों और दाढ़ी के पीछे पनप रही साजिशों का पता लगाना कोई बच्चों का खेल नहीं है. और हमारे पास मोदी की दाढ़ी के पीछे पाकिस्तान के लिए छिपे संकेतों को समझने के लिए सर्वज्ञाता दिमाग हैं. इस विषय पर चर्चा किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंता से अधिक गंभीर विषय है.

नियो न्यूज़ पर तीन दाढ़ी वाले लोग और एक बिना दाढ़ी वाला एस्ट्रोलॉजर मोदी की दाढ़ी के पीछे ग्रह-नक्षत्रों के गुण-दोष पर चर्चा करने के लिए जुटे. उन्होंने बताया कि नवंबर 2019 के बाद से मोदी के ग्रह कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं और ऐसे में उनके ज्योतिषी मुरली मनोहर जोशी, जिनका उल्लेख करना वे नहीं भूलते और जो भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य भी हैं, ने भारतीय प्रधानमंत्री को सलाह दी है कि वह अपनी दाढ़ी और बाल कटवाएं-छंटवाएं नहीं.

जोशी भले ही फिजिक्स के प्रोफेसर रहे हों, लेकिन एक अलग ही दुनिया में रहने वाले पाकिस्तान के लिए वह ज्योतिषी ही हैं. हमें यह भी बताया गया है कि मोदी अखंड भारत के सपने को सच करने के लिए हवन कर रहे हैं. बिना दाढ़ी वाले एस्ट्रोलॉजर कहते हैं, ‘खुदा खैर करे.’ इसके बाद इन एस्ट्रोलॉजर महोदय ने एकदम गूढ़ रहस्य का खुलासा किया कि भारत में कुछ लोग मोदी को कल्कि (भगवान विष्णु का 10वां अवतार) का अवतार मानते हैं. बहरहाल, नेता नंबर-1 बनना मोदी का सर्वोच्च उद्देश्य लगता है. नई विश्व व्यवस्था की नींव की पूरी साजिश मोदी की दाढ़ी में ही छिपी हुई है.

दाढ़ी जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी ही तेजी से पाकिस्तान के रणनीतिक विश्लेषकों के दिमाग की नसें सूख गई हैं. दाढ़ी के पीछे मोदी के दुस्साहिक इरादे छिपे हुए हैं, जाहिर तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ, वो भी केवल अपनी मजबूत छवि बनाने के लिए. ‘वो कोई न कोई हिमाकत कर सकता है ’, हमें यही बताया गया है बस केवल दाढ़ी के कारण. एक अन्य कमेंटेटर को पूरा भरोसा है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी दाढ़ी और मूंछें एकदम मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह दिखने के लिए बढ़ाई हैं, जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के खिलाफ जंग लड़ी थी.

राम मंदिर थ्योरी

एक और थ्योरी काफी जोरदारी से चल रही है कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक मोदी अपनी दाढ़ी नहीं बनवाएंगे. एक और दावा जो काफी वजनदार लगता है कि मोदी अपने प्रदर्शनकारी किसानों को प्रभावित करना चाहते हैं. यही कारण है कि उन्होंने एक साल पहले ही दाढ़ी बढ़ानी शुरू कर दी थी. यह है भारतीय प्रधानमंत्री की दाढ़ी की ताकत.

क्षेत्रीय मीडिया इसका विश्लेषण करने में तनिक भी देरी नहीं लगाता है कि मोदी ने अपनी मौजूदगी और वेशभूषा से किस तरह हलचल मचा दी. ‘जैसे एक बार उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के मौके पर 36 लाख रुपये वाला सूट पहना था.’ वही सूट जिसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई और चैरिटी के लिए जिसे नीलाम किया गया. यह भी कहा जाता है कि ये बात झूठ थी कि मोदी कोविड-19 के कारण अपने बाल नहीं कटवा रहे थे क्योंकि कोरोनावायरस अब बीते समय की बात हो गया है और भारतीय प्रधानमंत्री का एकमात्र उद्देश्य साधु या योगी बनना है.

कोई ऐसी साजिश नहीं हो सकती है जो पाकिस्तानी नेताओं को मोदी से ना जोड़ती हो— कुछ सवाल उठते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रधानमंत्री इमरान खान स्टेट ऑफ मदीना बना रहे हैं, यही वजह है मोदी अपनी दाढ़ी बढ़ाते जा रहे हों, वे कहते हैं कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की नेता मरयम नवाज को अक्सर राजनीतिक बैठकों या यात्राओं के दौरान स्टील के गिलास के साथ देखा जाता है. क्या उन्हें भी ऐसा कोई मंत्र मिला है जैसा मोदी को उनकी दाढ़ी के लिए मिला था? रणनीतिक विश्लेषक इस पर भी गौर कर सकते हैं.

पाकिस्तान में किसी ने भी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कोविड हेयरस्टाइल या फिर उनकी दाढ़ी पर चर्चा नहीं की होगी. लेकिन एक बात तो ये भी है कि वो हमारे सबसे पसंदीदा-पड़ोसी नहीं हैं. बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी की दाढ़ी के इर्द-गिर्द घूमती यह सारी चर्चा एक बात एकदम साफ कर देती है— दाढ़ी पाकिस्तान को डराने में नाकाम रही है.

नायला इनायत
(लेखिका पाकिस्तान की स्वतंत्र पत्रकार है)