भूपेन्द्र यादव ने सतत विकास की कार्य-दिशा की पड़ताल करने के लिये जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल तथा महामहिम राल्फ ब्रिंकहोस के बीच एक द्विपक्षीय बैठक का आयोजन आज नई दिल्ली में हुआ। ब्रिंकहोस जर्मनी की संघीय संसद के जर्मनी-भारत संसदीय समूह का नेतृत्व कर रहे थे।
यादव ने कहा कि हमारी बातचीत सतत विकास के लिए कार्य-दिशा की पड़ताल पर केंद्रित थी, खासतौर से चक्रीय अर्थव्यवस्था, एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की समस्या का समाधान, वन प्रबंधन तथा जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की क्षमता के विषयों पर बातचीत की गई।
इस बैठक में जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल ने वनों पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव, पर्यावरण व जलवायु पर अफ्रीका में त्रिपक्षीय सहयोग, चक्रीय अर्थव्यवस्था, प्लास्टिक के विकल्प जैसे विषय उठाये। इसके अलावा यह मुद्दा भी उठाया गया कि कैसे दोनों देश इन सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए काम कर सकते हैं।
जर्मन प्रतिनिधिमंडल के सवालों के जवाब में यादव ने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्लास्टिक कचरे से निपटने, प्लास्टिक के विकल्प, लुप्तप्राय प्रजातियों और वनों के संरक्षण, वन सर्वेक्षण, कृषि वानिकी के लिए भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया।
यादव ने द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से प्रौद्योगिकी, जल, चक्रीय अर्थव्यवस्था, वानिकी के क्षेत्रों में जर्मनी द्वारा किए गए प्रयासों को मानते हुए उनकी सराहना की।
अफ्रीका में त्रिपक्षीय सहयोग के प्रश्न पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि विद्युत मंत्रालय पहले से ही अफ्रीका में विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहा है। लेकिन, अफ्रीका में पर्यावरण और जलवायु पर किसी भी त्रिपक्षीय सहयोग के लिए पहले विदेश मंत्रालय से परामर्श करना होगा। भारत नीत जी-20 का आदर्श-वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम् है। इसके मद्देनजर ग्लोबल साउथ की चिंताओं का भी उसी के अनुसार समाधान करने की आवश्यकता है।
इस बैठक के समापन पर, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उनके कई क्षेत्रों में साझा हित हैं, और जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के प्रयास किए जाने चाहिए।