राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) की टीम महाराष्ट्र के दौरे पर; राज्य 2021-22 में 27.45 लाख घरों को नल से जल कनेक्शन उपलब्ध कराएगा
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) की 8 सदस्यों की एक टीम महाराष्ट्र के चार जिलों रायगढ़, सिंधुदुर्ग, पालघर और पुणे में 27 से 30 अक्टूबर, 2021 के दौरान राज्य का दौरा कर रही है। यह टीम वर्ष 2024 तक ‘हर घर जल’ सुनिश्चित करने के लिए जेजेएम को तेजी से लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को देखने और स्थानीय अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रतिदिन राज्य के 3 से 5 गांवों का दौरा कर रही है।
अपनी यात्रा के दौरान यह टीम जिला अधिकारियों, स्थानीय ग्राम समुदाय, ग्राम पंचायत और पानी समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करेगी। इसके बाद, यह टीम जिला अधिकारियों के साथ-साथ राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करेगी और अपने पर्यवेक्षणों को साझा करेगी। सभी ग्रामीण परिवारों को निर्धारित समय सीमा के अंदर शत-प्रतिशत नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य की तैयारियों को समझने के लिए राज्य द्वारा इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन और मिशन के तहत की गई प्रगति के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
महाराष्ट्र में कुल 1.42 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 95.30 लाख (66.94 प्रतिशत) घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत के समय 48.43 लाख (34.02 प्रतिशत) घरों में नल के पानी से आपूर्ति की जा रही थी। राज्य में 26 महीनों में 46.85 लाख घरों को नल से पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। वर्ष 2021-22 में राज्य ने 27.45 लाख घरों को नल से पानी के कनेक्शन देने की योजना बनाई गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रत्येक ग्रामीण घर को नल से पानी की आपूर्ति करने के विजन को साकार करते हुए केन्द्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2021-22 में महाराष्ट्र की अनुदान सहायता बढ़ाकर 7,064.41 करोड़ रुपये कर दी है, जो वर्ष 2020-21 में 1,828.92 करोड़ रुपये थी।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आवंटन में इस चार गुना वृद्धि को स्वीकृति देते हुए राज्य को वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए पूरी सहायता उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया है। 2021-22 में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित अनुदान के रूप में महाराष्ट्र को 2,584 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, अगले पांच वर्षों के लिए यानी 2025-26 तक 13,628 करोड़ रुपये के वित्त पोषण का आश्वासन भी दिया गया है। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में इस विशाल निवेश से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे गांवों में आय जुटाने के अवसर भी पैदा होंगे।
सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में पीने, मिड-डे-मिल पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए नल के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभी तक महाराष्ट्र में 71,041 स्कूलों (83 प्रतिशत), 71,290 आंगनवाड़ी केन्द्रों (78 प्रतिशत) को नल से जल की आपूर्ति प्रदान की गई है।
जल जीवन मिशन को ‘वोटम अप’ पहुंच का अनुसरण करते हुए विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया गया है, जिसमें योजना से कार्यान्वयन, प्रबंधन से संचालन तक, स्थानीय ग्राम समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे प्राप्त करने के लिए राज्य को ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) / पानी समिति को मजबूत करने, अगले पांच वर्षों के लिए प्रत्येक गांव के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करने, कार्यान्वयन राज्य एजेंसियों (आईएसए) को ग्रामीण समुदायों की सहायता करने और समर्थन देने तथा लोगों में व्यापक जागरूकता पैदा करने जैसी गतिविधियां करनी होती हैं। राज्य ने 2.74 लाख हितधारकों की क्षमता का निर्माण करने की योजना बनाई है जिसमें सरकारी अधिकारी, आईएसए, इंजीनियर, वीडब्ल्यूएससी एवं पंचायत सदस्य और 4.15 लाख कुशल और अर्ध-कुशल कार्यबल के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं, जिसमें राजमिस्त्री, प्लंबर, फिटर, पंप ऑपरेटर शामिल आदि हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, देश में 2,000 से अधिक जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली गई हैं ताकि आम जनता बहुत कम कीमत पर अपने पानी के नमूनों का परीक्षण करा सकें। महाराष्ट्र में 177 जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें से 33 एनएबीएल मान्यता प्राप्त हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित जल जीवन मिशन, 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में नल से पानी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी में लागू किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में जल जीवन मिशन के लिए 50,011 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। राज्य के बराबर हिस्से और 15वें वित्त आयोग के आरएलबी / पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए अनुदान के रूप में निर्धारित 26,940 करोड़ रुपये से इस साल ग्रामीण पेयजल आपूर्ति क्षेत्र में 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इतने बड़े निवेश से निश्चित रूप से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
वर्ष 2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) के पास नल से जल की आपूर्ति हो रही थी। पिछले 26 महीनों के दौरान, कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और 5.17 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
वर्तमान में, देश में 8.40 करोड़ (43.72 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति हो रही है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुदुचेरी, दमन और दीव के ग्रामीण क्षेत्रों में शत-प्रतिशत घरों में नल से जल के कनेक्शन सुनिश्चित किए हैं। प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ विजन के सिद्धांत का अनुसरण करते हुए इस मिशन का आदर्श वाक्य है ‘कोई भी न छूटे’ और प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराना है। वर्तमान में 81 जिलों और 1.20 लाख से अधिक गांवों के हर घर में नल से जल की आपूर्ति शुरू हो गई है।