एनसीआरबी रिपोर्ट: लालू से ज्यादा नीतीश राज में हो रहा अपराध
राष्ट्रीय जनता दल पर उनके राजनीतिक विरोधियों की ओर से अक्सर ये आरोप लगाया जाता है कि साल 1990 से लेकर 2005 तक बिहार में जंगल राज की स्थिति थी। बॉलीवुड ने बिहार में कथित अपहरण उद्योग को लेकर गंगाजल जैसी फ़िल्म भी बनाई थी। और जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ नितीश कुमार की सरकार को सुशासन बाबू की सरकार कहा जाने लगा। मीडिया में बातें होने लगी कि जंगल राज का अंत हो गया। लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट देखने के बाद सब कुछ साफ़ हो गया, कि न ही जंगल राज का अंत हुआ है और न ही बिहार में सुशासन बाबू की सरकार आई हैं।
पिछले दिनों विधानसभा में एनसीआरबी के आँकड़े पेश करते हुए तेजस्वी ने कहा, “लालू जी और राबड़ी जी के 15 साल के शासनकाल को लोगों ने एक प्रॉपेगैंडा के तौर पर जंगल राज और अपराधियों का राज बताया है। आज हम कुछ आँकड़े सदन में रखकर ये बताना चाहते हैं कि जंगल राज कब था, या था ही नहीं, या अभी है।
“1990 में जब लालू जी को सत्ता हाथ में मिली तो संज्ञेय अपराधों की संख्या 1,24,414 थी। इसके बाद 1995 में ये संख्या 1,15,598 हो जाती है. इसका मतलब हुआ कि 90 से 95 में दर्ज मामलों की संख्या में कमी आई। 95 में अपराध में 6.3 फीसदी की कमी आई। इसके बाद 2000 में बिहार अपराध के मामले में 23वें नंबर पर था।
इसके बाद 2000 से 2005 तक कुल मामले 97,850 आए. मतलब ये हुआ कि नब्बे में जो आंकड़ा 1.24 लाख था, वो 2005 में एक लाख के अंदर आ गया। ये हमारे आँकड़े नहीं हैं, ये आँकड़े एनसीआरबी के हैं। बल्कि केंद्र सरकार के आँकड़े हैं।”
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