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लैपटॉप का सही तरीके से इस्तेमाल न करना ,बढ़ा सकता है कई परेशानी

क्या आप दिन भर अपना सारा समय और यहां तक कि खाली समय मे भी लैपटॉप पर काम करते हुए बिताते हैं? डॉक्टरों ने लैपटॉप के अधिक प्रयोग करने पर इसके घातक परिणाम होने की चेतावनी दी है।

1. इतना गर्म कि संभालना मुश्किल

कंप्यूटर, मॉनीटर और लैपटॉप के बायोलॉजिकल प्रभाव होते है, जो कि विकसित होते ऊतकों को प्रभावित करती है। साथ ही इससे जन्मदोष, कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ जैसी समस्याएं होती है। इसके अलावा यह न्यूरोलॉजिकल फंक्शन में भी बदलाव कर देते है। कुछ वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह टी-लिंफोसाइट को सही करने की क्षमता को बिगाड़ देता है, जो कि कैंसर से लड़ने में सहायक होती है। हालांकि डॉक्टरों ने इस बात को गलत साबित किया है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि रोजमर्रा लैपटॉप इस्तेमाल करने वालों पर इसका बायोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है।

सुधारे कैसे:

स्क्रीन से 30 इंच की दूरी रखें। ऐसे में अगर आपको मॉनिटर देखने में दिक्कत आ रही है, तो टेक्स्ट साइज बढ़ाएं। इसके अलावा मॉनिटर के किनारों और पीछे से चार फीट की दूरी रखें। जिससे चुंबकीय तरंगों का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा।

2. देखने में परेशानी

ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो जाता है। इसमें आंखों में जलन, खुजली, थकान, लालपन, पानी आन जैसी समस्याएं आती है। जब हम लगातार मॉनीटर को देखते रहते हैं तो हम अपनी पलक कम झपकाने लगते हैं, जिसकी वजह से आंखे सूखने लगती है। इसके अलावा स्क्रीन की चमक से आखों में तनाव होता है, जिससे सिरदर्द होता है।

सुधारे कैसे:

हर 20 मिनट में, 20 सेकेंड का ब्रेक लेकर अपने से 20 फीट दूर की किसी वस्तु को देखें। इसके अलावा ब्रेक के दौरान अपनी पलकों को झपकाते भी रहें। स्क्रीन का एंगल आपके लाइन ऑफ विजन से 90 डिग्री का होना चाहिए। लैपटॉप को किताबों के ऊपर या लैपटॉप स्टैंड पर रखना चाहिए।

3. गर्दन में दर्द

लैपटॉप पर देर तक काम करने से गर्दन में अकड़न और दर्द होता है। ज्यादातर कोहनी हवा में रहती है, जिससे कंधे और गले की मांसपेशियां सिकुड़ती है। जिसकी वजह से र्सिवकल स्पोंडलाइटिस की परेशानी भी हो जाती है। कई लोग भारी लैपटॉप बैग गलत तरीके से टांगते हैं। वह बैग को एक कंधे पर टांगते हैं जिससे असंतुलन की स्थिति बन जाती है। जिसकी वजह से गर्दन, कंधे और लोअर, अपर बैक की मांसपेशियों में दर्द होता है।

सुधारे कैसे:

आप दिन में कुछ समय कंधे को पीछे की तरफ और आगे की तरफ घुमाने की एक्सरसाइज कर सकते हैं। अपने सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमा सकते हैं। कुछ देर आकाश की तरफ देखें और उसके बाद रिलैक्स हो जाए।

4. भावनात्मक

रोज-रोज होने वाला सिरदर्द, तेज हृदयगति, सोने में दिक्कत, गुस्सा, लगातार तनाव रहना, आलस्य और परेशानी लोगों को होती है। जो लोग कंप्यूटर या इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, उनकी लोगों से बातचीत काफी कम हो जाती है जिसकी वजह से डिप्रेशन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है और उन्हें गुस्सा ज्यादा आता है।

सुधार :

कंप्यूटर पर कम समय व्यतीत करें। हाई-परफोरमेंस लैपटॉप आरामदायक होते हैं। ऐसी कई शिकायतें आई है कि गोद में लैपटॉप रखकर काम करने से त्वचा और कमर में जलन की समस्या होती है।