रूस दौरे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात पर जताई चिंता, भारत चीन विवाद पर भी बोले : जानिए पूरी खबर
रूस दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात पर चिंता जताई है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले बाद से वहां पर स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। तालिबानी फौज वहां के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। अफगानी सैनिक दूसरे देशों में भागकर अपनी जान बचा रहे हैं। इसी मुद्दे को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्कों में भारी चिंता व्यक्त की।
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति ने काफी ध्यान खींचने का कारण सुरक्षा व्यवस्था है क्योंकि उसका सीधा संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अगर हमें अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में शांति स्थापित करनी है और आर्थिक और सामाजिक तरक्की बनी सुचारू रूप से जारी रहे तो भारत और रूस को एक साथ मिलकर काम करना होगा।
जयशंकर ने चीन भारत संबंधों को लेकर भी बहुत चिंता जाहिर की
इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि बीते एक साल से भारत-चीन संबंधों में आई दरार को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बीजिंग द्वारा सीमा मुद्दे को लेकर समझौतों का पालन नहीं करने की वजह से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद ‘‘गड़बड़ा’’ रही है।
मॉस्को में ‘प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी ऐंड इंटरनेशनल रिलेशन्स’ में भारत और चीन के संबंधों के बारे में एक सवाल किया गया तो जयशंकर ने जवाब में कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि बीते चालीस साल से चीन के साथ हमारे संबंध बहुत ही स्थिर थे…चीन दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार के रूप में उभरा।’’ तीन दिवसीय दौरे पर आये जयशंकर ने आगे कहा, ‘‘लेकिन बीते एक वर्ष से, इस संबंध को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई क्योंकि हमारी सीमा को लेकर जो समझौते किये गये थे चीन ने उनका पालन नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘45 साल बाद, वास्तव में सीमा पर झड़प हुई और इसमें जवान मारे गये और किसी भी देश के लिए सीमा का तनावरहित होना, वहां पर शांति होना ही पड़ोसी के साथ संबंधों की बुनियाद होता है। इसीलिए बुनियाद गड़बड़ा गयी है और संबंध भी।’’
गौरतलब है पिछले वर्ष मई माह की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध उत्पन्न हुई थी जिसको दूर करने के लिए कई दौर की सैन्य और राजनयिक दौर की बैठक हुई ताकि बातचीत के माध्यम से इस गतिरोध को खत्म किया जा सके। बैठक के बाद फरवरी में दोनों ही पक्षों ने पैंगांग झील के उत्तर और दक्षिण तटों से अपने सैनिक और हथियार पीछे हटा लिए। हालांकि विवाद स्थल से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता जारी है।