एक ओर मां की आरती तो दूसरी तरफ रोजेदार पढ़ रहे कुरान
अलीगढ़ के जिला कारागार में इन दिनों सांप्रदायिक सौहार्द और गंगा जमुना तहजीब की मिसाल दिखाई पड़ रही है। बैरकों में जहां एक ओर नवरात्र में हिन्दू कैदी मां की आरती कर रहे हैं तो दूसरी ओर मुस्लिम बंदी रमजान में कुरान पढ़ते नजर आ रहे हैं। एसा लग रहा है कि यहां ‘राम’ और ‘रहीम’ एक साथ मिलकर त्योहार मना रहे हैं। ऐसे में जेल प्रशासन ने भी इन बंदीयों के लिए खास व्यवस्था कर रखी हैं। शाम होते ही जेल परिसर भक्ति और आस्था के माहौल में डूब जाता है।
जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अलीगढ़ के जिला कारागार में करीब 3800 बंदी-कैदी हैं। इनमें 160 महिला बंदी भी शामिल हैं। अक्सर यह देखने को मिलता है कि जेल में सांप्रदायिक माहौल बना रहता है लेकिन इस बार संयोग है कि नवरात्र व रमजान साथ-साथ हैं। ऐसे में बैरकों में भी सकारात्मक तस्वीर देखने को मिल रही है।
जहां हिदू बंदी व्रत रखकर मां की आरती व पूजा कर रहे हैं वहीं तो मुस्लिम बंदी रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं। शाम होते ही भजन व कीर्तन के साथ मां के जयकारे गूंजने लग जाते हैं। तो रोजा रखने वाले बंदी कुरान और नमाज पढ़ते हुए इबादत करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
डिप्टी जेलर आफताब अंसारी ने बताया कि इस बार 1660 बंदियों ने नवरात्र का व्रत रखा है। इनमें 88 महिलाएं भी शामिल हैं। जबकि 690 बंदी रोजा रख रहे हैं। इन सभी कैदियों को व्रत रोज़े और सहरी से संबधित सभी प्रकार कि ज़रूरी चीजें मुहैया कराई जा रही हैं।
इनके फलाहार के लिए आधा किलो आलू, ढाई सौ ग्राम फल, ढाई सौ ग्राम दूध व सौ ग्राम चीनी दी जा रही है। इसी तरह मुस्लिम बंदियों के लिए रोजा इफ्तार में नींबू का शरबत, बर्फ, फल, दो सौ ग्राम दूध, 15 ग्राम चीनी, जबकि सहरी में बंद व बिस्कुट दिया जा रहा है।