एक तो संसाधन की कमी से हो रही मौत, अब श्मशान घाट में लकड़ियों की हो गई कमी
कोरोना महामारी की ऐसी आँधी चली है, कि इसके आगे सरकार नतमस्तक हो गई है। दुनिया भर में भारत को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी है। लोग ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे है तो कहीं अस्पतालों में बेड न मिलने से सड़कों पर मौत की नींद सो जा रहे है। आलम यह है कि श्मशान घाट पर लाशों का दाह संस्कार करने के लिए परिजनों को 48 घंटे इंतज़ार करना पड़ रहा हैI
अब लाशें इतनी जल रही है, कि शमशानों में लकड़ियों की कमी पड़ गई है। इस वजह से अब नगर निगम ने राज्य के वन विभाग से मदद मांगी है।
जानकारी के मुताबिक नगर पालिका की एजेंसियों ने लकड़ी की व्यवस्था करने के लिए राज्य के वन विभाग से संपर्क किया है. इस समस्या को दूर करने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सूखे गोबर को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाए। वहीं दूसरी लहर के आने से पहले शहर के सबसे बड़े निगमबोध घाट श्मशान घाट में हर दिन 6,000-8,000 किलोग्राम लकड़ी की जरूरत होती थी, लेकिन अब 80,000-90,000 किलोग्राम लकड़ी की जरूरत हर दिन होती है।
नॉर्थ एमसीडी के मेयर जय प्रकाश ने बताया कि श्मशान घाटों में लकड़ी का स्टॉक तेजी से घट रहा है। इसलिए नगर निगम को पार्किंग स्थल और पार्कों में श्मशान सुविधाएं बनानी पड़ेगी। वहीं अब लकड़ी की आवश्यकता भी काफी बढ़ गई है इसलिए दिनभर लकड़ी की मांग को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार के सहयोग की जरूरत है।
शहर के वन विभाग ने बताया कि उसे लकड़ी के लिए नगरपालिका एजेंसियों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं। वहीं उप संरक्षक आदित्य मदनपोत्रा ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने क्षेत्र परिवहन निगम को दिल्ली में क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का निर्माण करने की अनुमति दी है, जिससे अब कम से कम 500 पेड़ों की लकड़ी को इस्तेमाल में लिया जा सकता है। वहीं एसडीएमसी ने दिल्ली सरकार से सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पड़ोसी राज्यों से लकड़ी की आपूर्ति बिना किसी बाधा के शहर तक हो सके।