राज्य सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ

मैं यहां आदरणीय राष्ट्रपति जी के अभिभाषण की चर्चा में भागीदार बनने के लिए उपस्थित हुआ हूं। और मैं आदरणीय राष्ट्रपति जी के भाषण को मेरी तरफ से आदरपूर्वक धन्यवाद भी देता हूं, अभिनंदन भी करता हूं।

ये 75वां गणतंत्र दिवस, ये अपने-आप में एक महत्वपूर्ण milestone है। और उस समय संविधान की यात्रा के इस महत्वपूर्ण पड़ाव का राष्‍ट्रपति जी का भाषण उसका एक ऐतिहासिक महत्‍व भी रहता है। और उन्‍होंने अपने भाषण में भारत के आत्‍मविश्‍वास की बात कही है, भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के प्रति विश्‍वास को प्रकट किया है और भारत के कोटि-कोटि जनों का जो सामर्थ्‍य है, उस सामर्थ्‍य को बहुत ही कम शब्‍दों में, लेकिन बहुत ही शानदार तरीके से देश के सामने सदन के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किया है। मैं राष्‍ट्रपति जी के इस प्रेरक उद्बोधन के लिए और राष्‍ट्र को दिशा-निर्देश के लिए और एक प्रकार से विकसित भारत के संकल्‍प को सामर्थ्‍य देने के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

चर्चा के दरम्यान अनेक माननीय सदस्‍यों ने अपने विचार रखे और चर्चा को समृद्ध करने का अपने-अपने तरीके से प्रयास भी किया। इस चर्चा को समृद्ध करने के प्रयास करने वाले सभी आदरणीय साथियों का भी मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं, अभिनंदन करता हूं। कुछ साथियों के लिए आलोचना करना, कड़वी बातें करना, ये उनकी मजबूरी थी, उनके प्रति भी मैं संवेदनाएं प्रकट करता हूं।

मैं उस दिन तो कह नहीं पाया, लेकिन मैं खड़गे जी का विशेष आभार प्रकट करता हूं। बहुत ध्‍यान से सुन रहा था खड़गे जी को मैं और ऐसा आनंद आया-ऐसा आनंद आया…ऐसा बहुत कम मिलता है। लोकसभा में तो कभी-कभी मिल जाता है, लेकिन आजकल वो दूसरी ड्यूटी पर हैं, तो मनोरंजन कम मिलता है। लेकिन लोकसभा में जो मनोरंजन की कमी हमें खल रही है उस दिन आपने पूरी कर दी। और मुझे प्रसन्‍नता इस बात की थी कि माननीय खड़गे जी काफी लम्‍बा, और बड़े इत्मीनान, मजे से शांति से बोल रहे थे, समय भी काफी दिया था। तो मैं सोच रहा था कि आजादी मिली कैसे, इतना सारा बोलने की आजादी मिली कैसे? ये बात मैं सोच तो रहा था, लेकिन बाद में मेरे ध्‍यान में आया दो स्‍पेशल कमांडर जो रहते हैं ना, उस दिन नहीं थे, वो आजकल नहीं रहते। और इसलिए बहुत भरपूर फायदा स्‍वतंत्रता का आदरणीय खड़गे जी ने उठाया है। और मुझे लगता है, उस दिन खड़गे जी ने सिनेमा का एक गाना सुना होगा, ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा। अब खड़गे जी भी एम्‍पायर नहीं हैं, कमांडोज नहीं हैं तो चौक्‍के-छक्‍के मारने में मजा आ रहा था उनको। लेकिन एक बात खुशी की रही। उन्‍होंने जो 400 सीट एनडीए के लिए आशीर्वाद दिया था, और मैं खड़गे जी के इस आशीर्वाद को, आपके आशीर्वाद मेरे सिर-आंखों पर। अब आपको आशीर्वाद वापिस लेना है तो ले सकते हैं, क्‍योंकि अपन लोग तो आ गए हैं।

मुझे पिछले वर्ष का वो प्रसंग बराबर याद है, उस सदन में हम बैठते थे और देश के प्रधानमंत्री की आवाज को गला घोंटने का भरपूर प्रयास किया गया था। हम बड़े धैर्य के साथ, बड़ी नम्रता के साथ आपके एक-एक शब्‍द को सुनते रहे। और आज भी आप न सुनने की तैयारी के साथ आए हैं, आप न सुनने की तैयारी के साथ आए हैं, लेकिन मेरी आवाज को आप दबा नहीं सकते हैं। देश की जनता ने इस आवाज को ताकत दी हुई है। देश की जनता के आशीर्वाद से आवाज निकल रही है और इसलिए आपने पिछली बार, मैं भी इस बार पूरी तैयारी के साथ आया हूं। मैंने सोचा था कि उस वक्‍त की शायद आप जैसे व्‍यक्ति इस सदन में आए हैं तो मर्यादाओं का पालन करेंगे, लेकिन डेढ़-पौने दो घंटे तक क्‍या जुल्‍म किया था आप लोगों ने मुझ पर। और उसके बाद भी मैंने एक भी शब्‍दों की मर्यादायें तोड़ी नहीं।

मैंने भी एक प्रार्थना की है। आप प्रार्थना तो कर सकते हो, मैं तो करता रहता हूं। पश्चिम बंगाल से आपको जो चैलेंज आया है कि कांग्रेस 40 पार नहीं कर पाएगी। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप 40 बचा पाएं।

हमको बहुत सुनाया गया है और हमने सुना है। लोकतंत्र में आपका कहने का अधिकार है और हमारी सुनने की जिम्‍मेदारी है। और आज जो भी बातें हुई हैं, उसको मुझे देश के सामने रखनी चाहिए और इसलिए मैं प्रयास करूंगा।

ये जब सुनता हूं, उधर भी सुना, इधर भी सुना, मेरा विश्‍वास पक्‍का हो गया है कि पार्टी सोच से भी outdated हो गई है। और जब सोच outdated हो गई है तो उन्‍होंने अपना कामकाज भी outsource कर दिया है। देखते ही देखते इतना बड़ा दल, इतने दशकों तक देश पर राज करने वाला दल, ऐसा पतन, ऐसी गिरावट, हमें खुशी नहीं हो रही है, हमारी आपके प्रति संवेदनाएं हैं। लेकिन डॉक्टर क्‍या करेगा जी, पेशेंट खुद, आगे क्या बोलूं।

ये बात सही है कि आज बहुत बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, सुनने की ताकत भी खो चुके हैं, लेकिन मैं तो देश के सामने बात रखने के लिए जरूर कहूंगा। जिस कांग्रेस ने सत्ता के लालच में सरेआम लोकतंत्र का गला घोंट दिया था, जिस कांग्रेस ने दर्जनों बार लोकतांत्रिक तरीके से चुन करके आई सरकारों को रातोंरात भंग कर दिया था, बर्खास्त कर दिया था, जिस कांग्रेस ने देश के संविधान, लोकतंत्र की मर्यादाओं को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया था…जिस कांग्रेस ने अखबारों पर ताले लगाने तक की कोशिश की थी, अब आज जो कांग्रेस देश को तोड़ने के नेरेटिव गढ़ने का नया शौक उनको पैदा हुआ है। इतना तोड़ा कम नहीं है, अब उत्तर-दक्षिण को तोड़ने के लिए बयान दिए जा रहे हैं? और ये कांग्रेस हमें लोकतंत्र और federalism उस पर प्रवचन दे रही है?

जिस कांग्रेस ने जात-पात और भाषा के नाम पर देश को बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिस कांग्रेस ने आतंकवाद और अलगाववाद को अपने हित में पनपने दिया, जिस कांग्रेस ने नॉर्थ-ईस्‍ट को हिंसा, अलगाव और पिछड़ेपन में धकेल दिया, जिस कांग्रेस ने, जिस कांग्रेस के राज में नक्‍सलवाद के लिए देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनाकर छोड़ दिया, जिस कांग्रेस ने देश की बहुत बड़ी जमीन दुमश्‍नों के हवाले कर दी, जिस कांग्रेस ने देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण होने से रोक दिया, वो आज हमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए भाषण दे रहे हैं? जिस कांग्रेस ने आजादी के बाद से ही confuse रही, उनको उद्योग जरूरी हैं कि खेती जरूरी है, उसी confusion में गुजारा किया। जो कांग्रेस तय नहीं कर पाई कि nationalization करना है कि privatisation करना है, उलझती रही। जो कांग्रेस 10 वर्ष में 12 नंबर से 11 नंबर पर आर्थिक व्यवस्था ले आ पाई, 10 साल में 12 से 11 नंबर। और आप 12 से 11 आने में बहुत मेहनत नहीं पड़ती है, जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं तो मेहनत और बढ़ती है, हम 10 साल में 5 नंबर पर ले आए, और ये कांग्रेस हमें यहां आर्थिक नीतियों पर लंबे-लंबे भाषण सुना रही है?

जिस कांग्रेस ने ओबीसी को पूरी तरह से आरक्षण नहीं दिया, जिसने सामान्य वर्ग के गरीबों को कभी आरक्षण नहीं दिया, जिसने बाबा साहेब के बजाय, बाबा साहिब को भारत रत्न देने योग्य नहीं माना, अपने ही परिवार को भारत रत्न देते रहे। जिस कांग्रेस ने देश की गली-सड़कों, चौक-चौराहे पर अपने ही परिवार के नाम के पार्क जड़ दिए हैं, वो हमें उपदेश दे रहे हैं? वो हमें सामाजिक न्‍याय का पाठ पढ़ा रहे हैं?

जिस कांग्रेस के अपने नेता की कोई गारंटी नहीं है, अपनी नीति की कोई गारंटी नहीं है, वो मोदी की गारंटी पर सवाल उठा रहे हैं।

यहां एक शिकायत थी और उनको लगता है कि हम ऐसा क्यों कहते हैं, हम ऐसा क्यों देख रहे हैं। देश और दुनिया उनके 10 साल के कार्यकाल को ऐसे क्यों देखती थी, देश क्यों नाराज हो गया, इतना गुस्सा देश को क्यों आया, आदरणीय सभापति जी, हमारे कहने से सब नहीं हुआ है, खुद के कर्मों के फल और अब तो सामने रहते हैं, वो कोई दूसरे जन्म में नहीं होते हैं, इसी जन्म में हैं।

हम किसी को बुरा नहीं कहते हैं, हमें क्यों बुरा कहना चाहिए, जब उन्हीं को लोगों ने बहुत कुछ कहा हो तो मुझे क्या कहने की जरूरत है। मैं एक तरह का वक्तव्य सदन के सामने रखना चाहता हूं। मैं पहला quote पढ़ रहा हूं – सदस्यगण जानते हैं, ये quotation है, सदस्यगण जानते हैं कि हमारी growth धीमी हो है और fiscal deficit बढ़ गया है, महंगाई दर बीते 2 वर्षों से लगातार बढ़ रही है। Current account deficit हमारी उम्मीदों से कहीं अधिक हो चुका है। ये quote मैंने पढ़ा है। ये किसी भाजपा के नेता का quote नहीं है, नहीं ये quote मेरा है।

यूपीए सरकार के 10 साल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री आदरणीय पीएम के रूप में रहे श्रीमान मनमोहन सिंह जी ने कहा था और खुद के कार्यकाल में कहा। ये हालत थी, उन्होंने वर्णन किया था।

अब मैं दूसरा quote पढ़ता हूं, मैं दूसरा quote पढ़ता हूं – देश में व्यापक गुस्सा है पब्लिक ऑफिस के misuse को लेकर भारी गुस्सा है, institutions को misuse कैसे होता था, ये उस समय भी मैंने नहीं करा, ये उस के प्रधानमंत्री पर डॉ. मनमोहन सिंह जी कह रहे थे। उस समय भ्रष्टाचार को लेकर पूरा देश सड़कों पर था, गली-गली में आंदोलन चल रहे थे। अब मैं तीसरा quote पढूंगा- एक संशोधन की कुछ पंक्तियां हैं, इसको भी आप सुनिए– Tax Collection में भ्रष्टाचार होता है, इसके लिए GST लाना चाहिए, राशन की योजना में leakage होती है, जिससे देश का गरीब से गरीब सबसे अधिक पीड़ित है, इसको रोकने के लिए उपाय खोजने होंगे। सरकारी ठेके जैसे दिए जा रहे हैं उस पर शक होता है। ये भी तत्कालीन प्रधानमंत्री आदरणीय मनमोहन सिंह जी ने कहा था। और उसके पहले और एक प्रधानमंत्री उन्होंने ये कहा था दिल्ली से एक रूपया जाता है, 15 पैसा पहुंचता है। सुधार, बीमारी का पता था, सुधार करने की तैयारी नहीं थी, और आज बातें तो बड़ी-बड़ी की जा रही हैं। कांग्रेस के 10 साल का इतिहास देखिए, Fragile Five Economy में दुनिया में कहा जाता था, ये मैं नहीं दुनिया कहती है Fragile Five. Policy paralysis ये तो उनकी पहचान बन गई थी। और हमारे 10 वर्ष टॉप Five Economy वाले। हमारे बड़े और निर्णायक फैसलों के लिए 10 साल याद किए जाएंगे।

हम उस कठिन दौर से बहुत मेहनत करके सोच-समझकर के देश को संकटों से बाहर लाए हैं। ये देश ऐसे ही आशीर्वाद नहीं दे रहा है।

यहां सदन में अंग्रेजों को याद किया गया। अब राजा, महाराजाओं का तो अंग्रेजों के साथ गहरा नाता रहा था उस समय, तो अब मैं जरा पूछना चाहता हूं कि अंग्रेजों से कौन inspired था। मैं तो ये तो नहीं पूछूंगा कि कांग्रेस पार्टी को जन्म किसने दिया था, ये तो मैं नहीं पूछूंगा। आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता को किसने बढ़ावा दिया। अगर आप अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे, तो अंग्रेजों की बनाई दंड संहिता, Penal Code आपने क्यों नहीं बदली।

अगर आप अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे तो अंग्रेजों के जमाने के सैकड़ों कानून क्यों चलते रहें। आप अगर अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे तो लाल बत्ती कल्चर, ये लाल बत्ती कल्चर इतने दशकों बाद भी क्यों चलता रहा? अगर आप अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे, तो भारत का बजट शाम को 5 बजे इसलिए आता था, क्योंकि British Parliament का सुबह शुरू होने का समय होता था। ये Britain की पार्लियामेंट के अनुकूल शाम 5 बजे बजट की परंपरा क्यों चलाई रखी थी आपने? कौन अंग्रेजों से inspired था। अगर आप अंग्रेजों से प्रेरित नहीं थे तो हमारी सेनाओं के चिन्हों पर आज भी गुलामी के प्रतीक अब तक क्यों बने हुए थे? हम एक के बाद एक हटा रहे हैं। अगर आप अंग्रेजों से प्रेरित नहीं थे तो राजपथ को कर्तव्य पथ बनने के लिए मोदी का इंतजार क्यों करना पड़ा।

अगर आप अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे, तो अंडमान और निकोबार इन द्वीप समूहों पर आज भी अंग्रेजी सत्ता के निशान क्यों लटके पड़े थे?

अगर आप अंग्रेजों से प्रभावित नहीं थे, तो इस देश के सेना के जवान देश के लिए मर-मिटते रहें लेकिन देश जवानों के सम्मान में एक War Memorial तक आप बना नहीं पाए थे, क्यों नहीं बनाया? अगर आप अंग्रेजों से Inspired नहीं थे, प्रभावित नहीं थे तो भारतीय भाषाओं को हीन भावना से क्यों देखा? स्थानीय भाषा में पढ़ाई के प्रति आप लोगों की बेरुखी क्यों थी?

अगर आप अंग्रेजों से प्रेरित नहीं थे तो भारत को Mother of Democracy बताने में आपको कौन रोकता था? आपको क्यों महसूस नहीं हुआ कि दुनिया में, आदरणीय सभापति जी मैं सैकड़ों उदाहरण दे सकता हूं कि आप किस प्रभाव में काम करते थे और देश को सुनते हुए ये सारी बातें याद आने वाली हैं।

मैं एक और उदाहरण देना चाहता हूं। कांग्रेस ने Narrative फैलाएं, और उस narrative का परिणाम क्या हुआ कि भारत की संस्कृति और संस्कार को मानने वाले लोगों को बड़े हीन भाव से देखा जाने लगा, दकियानूसी माना जाने लगा। और इस प्रकार से हमारे अतीत के प्रति अन्याय करने की नौबत आई है। अपनी मान्यताओं को गाली देते हैं, अपनी अच्छी परंपराओं को गाली देते हैं तो आप progressive हैं, इस प्रकार के narrative गढ़े जाने लगे देश में। और इसका नेतृत्व कहा होता था ये दुनिया भली-भांति जानती है। दूसरे देश से आयात करना, उसको गर्व कर और भारत की कोई चीज है तो दूसरे दर्जे की है, ये status बना दिया गया था। ये status symbol बाहर से आया made in foreign, status बना दिया था। ये लोग आज भी वोकल फॉर लोकल बोलने से बच रहे हैं, मेरे देश के गरीबों के कल्याण का काम होता है। आज आत्मनिर्भर भारत की बात उनके मुंह से नहीं निकलती है। आज Make in India कोई बोलता है तो उनके पेट में चूहे दौड़ने लग जाते हैं।

देश ये सब देख चुका है और अब समझ भी चुका है और उसी का परिणाम आप भुगत भी रहे हैं।

राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में विस्तार से सिर्फ चार सबसे बड़ी जातियों के विषय में हम सबको संबोधित किया था। युवा, नारी, गरीब और हमारे अन्नदाता। हम जानते हैं इनकी समस्याएं ज्यादातर एक समान हैं, उनके सपने भी एक समान हैं और उसके समाधान अगर करने हैं तो थोड़ा 19-20 का फर्क पड़ेगा लेकिन इन चारों वर्गों के समाधान के रास्ते भी एक ही हैं। और इसलिए उन्होंने बहुत ही उपयुक्त रूप से राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है कि इन चार स्तंभों को मजबूत करिए, देश विकसित भारत की तरफ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

अगर हम 21वीं सदी में हैं, हम विकसित भारत के सपनों को इसी सदी में 2047 तक सिद्ध करना चाहते हैं तो 20वीं सदी की सोच नहीं चल सकती है। 20वीं सदी का स्वार्थीय एजेंडा, मैं और मेरा वाला जो खेल है ना वो 21वीं सदी में देश को समृद्ध विकसित भारत नहीं बना सकता है। कांग्रेस, इन दिनों काफी बातें हो रही हैं, जाति की फिर से एक बार, क्यों जरूरत पड़ गई है उनको मैं तो नहीं जानता हूं। लेकिन अगर उनको जरूरत पड़ी है तो पहले जरा अपने गिरेबान में झांके, उनको पता चलेगा क्या किया है। दलित, पिछड़े और आदिवासी कांग्रेस जन्मजात उनकी सबसे बड़ी विरोधी रही है, और मैं तो कभी-कभी सोचता हूं अगर बाबासाहेब ना होते ना तो शायद ये SC/ST को आरक्षण मिलता कि नहीं मिलता, ये भी मेरे मन में सवाल उठता है।

और मैं ये कह रहा हूं इसके पीछे मेरे पास प्रमाण है। इनकी सोच आज से नहीं है, उस समय से ऐसी है मेरे पास प्रमाण है। और मैं प्रमाण के सिवाय, मैं यहां कहने के लिए नहीं आया हूँ, आदरणीय सभापति जी। और जब बातें वहां से उठी है तो फिर तैयारी रखनी चाहिए उनको और मेरा परिचय तो हो चुका है 10 साल हो गए। एक बार, और मैं आदरपूर्वक नेहरू जी को इन दिनों ज्यादा याद करता हूं, क्योंकि हमारे साथियों की अपेक्षा रहती है कि जरा उनको कभी-कभी बोलो कुछ तो बोलना चाहिए। अब देखिए एक बार नेहरू जी ने एक चिठ्ठी लिखी थी। और ये चिठ्ठी मुख्यमंत्रियों को लिखी थी, मैं उसका अनुवाद पढ़ रहा हूं, उन्होंने लिखा था, ये देश के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी द्वारा उस समय के देश के मुख्यमंत्रियों को लिखी गई चिठ्ठी है, on record है, मैं अनुवाद पढ़ता हूं – मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं, मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं जो अकुशलता को बढ़ावा दे, जो दोयम दर्जे की तरफ ले जाए। ये पंडित नेहरू की मुख्यमंत्रियों को लिखी हुई चिठ्ठी है। और तब जाकर के मैं कहता हूँ, ये जन्मजात इसके विरोधी हैं। नेहरू जी कहते थे, अगर SC, ST, OBC को नौकरियों में आरक्षण मिला तो सरकारी काम का स्तर गिर जाएगा। और आज जो आंकड़े गिनाते हैं ना, इतने यहाँ हैं, इतने यहाँ हैं, उसका मूल तो यहां है। क्योंकि उस समय तो उन्होंने रोक दिया था, recruitment ही मत करो। अगर उस समय सरकार में भर्ती हुई होती और वो प्रमोशन करते-करते आगे बढ़ते, तो आज यहां पर पहुंचते।

ये quote मैं पढ़ रहा हूँ, आप verify कर सकते हैं। मैं पंडित नेहरू का quote पढ़ रहा हूँ।

आप तो जानते हैं नेहरू जी ने जो कहा वो कांग्रेस के लिए हमेशा से पत्थर की लकीर होता है। नेहरू जी ने कहा मतलब पत्थर की लकीर उनके लिए। दिखावे के लिए आप कुछ भी कहें, लेकिन आपकी सोच ऐसे कई उदाहरणों से सिद्ध होती है। मैं अनगिनत उदाहरण देख सकता हूँ, लेकिन मैं एक उदाहरण जरूर देना चाहता हूँ और वो उदाहरण मैं जम्मू-कश्मीर का देना चाहता हूँ। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के SC, ST, OBC को सात दशकों तक उनके अधिकारों से वंचित रखा। आर्टिकल 370, मैं हम कितनी जीतेंगे उसकी बात अभी नहीं कर रहा हूँ। आर्टिकल 370 को निरस्त किया, तब जाकर के इतने दशकों के बाद SC, ST, OBC को वो अधिकार मिले, जो देश के लोगों को बरसों से मिले हुए थे, उसको रोक के रखा था। जम्मू-कश्मीर में Forest Rights Act उनको प्राप्त नहीं था। जम्मू-कश्मीर में Prevention of Atrocities Act नहीं था, ये हमने 370 हटाकर ये अधिकार उनको दिए। हमारे SC समुदाय में भी सबसे पीछे पीढ़ी कोई रहा तो हमारा वाल्‍मीकि समाज रहा लेकिन हमारे वाल्मीकि परिवारों को भी सात-सात दशक के बाद भी जम्मू-कश्मीर में रहे, लोगों की सेवा करते रहे लेकिन Domicile का अधिकार नहीं दिया गया। ये है और मैं आज देश को भी अवगत करना चाहता हूँ कि स्‍थानीय निकायों में Local Self Governments में OBC के आरक्षण का विधेयक भी कल 6 फरवरी को लोकसभा में भी पारित हुआ है।

SC, ST, OBC उनकी बड़ी भागीदारी से कांग्रेस और साथियों को हमेशा परेशानी रही है। बाबा साहब की राजनीति को, बाबा साहब के विचारों को खत्म करने के लिए कोई कसर उन्‍होंने छोड़ी नहीं है। वक्‍तव्‍य available है, चुनाव में क्‍या-क्‍या बोला गया वो भी available है। इनको तो भारत रत्न भी देने की तैयारी नहीं थी। वो भी भाजपा के समर्थन से और सरकार बनीं तब बाबा साहब को भारत रत्न मिला। इतना ही नहीं, सीताराम केसरी अति पिछड़ी जाति से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष उठाकर के फुटपाथ पर फेंक दिया गया, OBC। वो वीडियो available है, वो देश ने देखा। सीताराम केसरी के साथ क्‍या हुआ।

इनके एक मार्गदर्शक अमेरिका में बैठे हैं, जो पिछले चुनाव में हुआ तो हुआ के लिए Famous हो गए थे। और कांग्रेस इस परिवार के काफी करीबी हैं। उन्‍होंने अभी-अभी संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के उनके योगदान को छोटा करने का भरपूर प्रयास किया।

देश में पहली बार एनडीए ने एक आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनाने के लिए प्रस्ताव दिया, उनको उम्मीदवार बनाया। आपका हमसे वैचारिक विरोध हो, वो एक बात है। अगर हमसे वैचारिक विरोध होता आपने सामने Candidate खड़ा किया होता, मैं समझ सकता था। लेकिन वैचारिक विरोध नहीं था क्यों, क्योंकि हमारे यहां से गया हुआ व्यक्ति आपने उम्मीदवार बनाया। इसलिए वैचारिक विरोध नहीं था, आपका विरोध एक आदिवासी बेटी के लिए था। और इसलिए आपने और ये जब संगमा जी चुनाव लड़ रहे थे, वो भी एक आदिवासी थे नॉर्थ ईस्‍ट के उनके साथ भी यही किया गया था। और आज तक सभापति जी, राष्ट्रपति जी का अपमान करने की घटनाएं कम नहीं है। पहली बार इस देश में हुआ है। उनके जिम्‍मेदार लोगों के मुंह से ऐसी-ऐसी बातें निकली हैं, शर्म से माथा झुक जाए। राष्ट्रपति के लिए ऐसी भाषा बोली गई है, मन में जो कसक पड़ी है ना, वो कहीं न कहीं इस प्रकार से निकलती रहती है। एनडीए के अंदर हमें 10 साल काम करने का मौका मिला। हमने पहले दलित को और अब आदिवासी को, हमने हमेशा हमारी प्राथमिकता क्या है इसका परिचय दिया है।

जब मैं हमारी सरकार के performance की बात करता हूँ। एनडीए की जो गरीब कल्‍याण की नीतियाँ हैं, उसकी बातें करता हूँ। थोड़ा सा अगर उस समाज को निकट से जानते हो, आखिर किस समाज के लाभार्थी हैं, कौन लोग हैं? ये झुग्गी-झोपड़ी में किसको रहने के लिए जिंदगी गुजारनी पड़ रही है? ये किस समाज के लोग हैं? मुसीबतों से गुजरना पड़ता है, व्यवस्थाओं से वंचित रहना पड़ा है, कौन समाज है? हमने जितना काम किया है ना, ये SC, ST, OBC, आदिवासी इसी समाज के लिए है। कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को पक्का घर मिला है, तो मेरे इस समाज के बंधुओं को मिला है। स्वच्छता के अभाव में हर बार बीमारी से जूझना पड़ता था, उनको स्वच्छ भारत अभियान का लाभ देने का काम सभापति जी हमारी योजनाओं के तहत मिला है, ताकि उसको अच्छी जिंदगी जीने का अवसर मिल सके। इसी परिवारों के हमारी माताएं-बहनें धुएं से खाना पका-पका करके अपने स्वास्थ्य के संकट को झेल रही थीं, हमने उनको उज्जवला गैस दिया, वो इन्‍हीं परिवारों में से हैं। मुफ्त राशन हो, मुफ्त इलाज हो, इसके लाभार्थी यही मेरे परिवार हैं। जो समाज के इस वर्ग के मेरे परिवारजन हैं, जिनके लिए हमारी सारी योजनाएं काम कर रही हैं।

यहां पर कुछ ऐसा नेरेटिव रखा गया, कम से कम तथ्यों को इस प्रकार से नकारना किसका भला होगा? आप ऐसा करके अपनी क्रेडिबिलिटी भी खाे रहे हैं। अपनी प्रतिष्ठा भी खो रहे हैं।

यहां शिक्षा के भ्रामक आंकड़े भी रखे गए। गुमराह करने का कैसा प्रयास होता है। पिछले 10 वर्ष में SC, ST students के लिए जो scholarship दी जाती है, 10 साल में उसकी वृद्धि हुई है। इन 10 वर्षों में स्कूलों में, हायर एजुकेशन में, नामांकन की संख्‍या भी बहुत बढ़ी है और dropout बहुत तेजी से कम हुआ है।

10 साल पहले 120 एकलव्‍य मॉडल स्‍कूल थे, आदरणीय सभापति जी आज 400 एकलव्‍य मॉडल स्‍कूल हैं। आप इन चीजों को क्यों नकारते हैं, क्‍यों ऐसा करते हैं? मुझे समझ नहीं आता इस बात का।

पहले 1 सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी थी, आज 2 सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी हैं। आदरणीय सभापति जी ये भी सच्चाई है कि लंबे अर्से तक दलित, पिछड़े, आदिवासी बेटे-बेटियां कॉलेजों का दरवाजा तक नहीं देख पाते थे। मैं तो मुझे याद मैं गुजरात में जब सीएम बना तो मेरे लिए चौंकाने वाला analysis मेरे सामने आया। गुजरात में उमरगांव से अम्‍बाजी पूरा बेल्‍ट आदिवासी बहुल क्षेत्र है। हमारे दिग्विजय सिंह जी के दामाद भी उसी इलाके में हैं। उस पूरे इलाके में साइंस स्‍ट्रीम की एक भी स्‍कूल नहीं थी, मैं जब वहां गया अब उस इलाके में मेरे आदिवासी बच्‍चों के लिए साइंस स्‍ट्रीम की स्‍कूल नहीं होगी तो इंजीनियरिंग, डॉक्टरी का तो सवाल ही कहां उठता है। ऐसी minimum चीजें और यहां पर क्‍या भाषण दे रहे हैं जी।

और मैं बताना चाहता हूँ सदन को गर्व होगा, आप उस सदन में बैठे हैं, वहां एक ऐसी सरकार आपके साथ बात कर रही है कि ऐसी सरकार नेतृत्‍व कर रही है जहां कितना बड़ा परिवर्तन आया। आप उस समाज का विश्वास बढ़ाइए, उनका हौसला बुलंद कीजिए। वो देश की मुख्यधारा में तेजी से आगे बढ़ें, उसके लिए हम प्रयास करें, सामूहिक प्रयास करें। आप देखिए, आदिवासी और हमारे SC, ST के विद्यार्थियों का नामांकन, मैं कुछ आंकड़े रखना चाहता हूँ। उच्च शिक्षा में SC विद्यार्थियों का नामांकन 44% बढ़ा है। उच्च शिक्षा में ST विद्यार्थियों का नामांकन 65% बढ़ा है। हायर एजुकेशन में OBC समाज के विद्यार्थियों के नामांकन में 45% बढ़ोतरी हुई है। और जब मेरे गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, वंचित उन परिवार के बच्चे हायर एजुकेशन में जाएंगे, डॉक्टर बनेंगे, इंजीनियर बनेंगे उस समाज के अंदर एक नया वातावरण पैदा होगा और उस दिशा में…हमारी कोशिश यही है कि मूलभूत समस्याओं का समाधान करने के लिए थोड़ा समय लगे लेकिन मजबूती से काम करे और इसलिए हमने एजुकेशन को इस प्रकार से बल देके काम किया है। कृपा करके जानकारियों का अभाव है तो कहिए हम जानकारियां दे देंगे आपको। लेकिन ऐसे नेरेटिव मत बनाइए ताकि आपकी प्रतिष्ठा भी कम हो, आपके शब्‍द की भी ताकत खत्‍म हो जाए, आप पर दया आ जाती है कभी-कभी।

सबका साथ, सबका विकास! ये नारा नहीं है, ये मोदी की गारंटी है। और जब इतने सारे काम करते हैं तो मान लीजिए कि किसी ने कविता लिखकर के भेजी थी, कविता तो बड़ी लंबी है क्योंकि उसमें एक वाक्य है-

किस प्रकार देश में निराशा फैलाने प्रयास, मैं यह तो समझता हूं जो लोग इतनी निराशा की गर्त मे डूब चुके हैं। वैसे निराशा फैलाने का उनका सामर्थ्य भी बचा नहीं है। वो भी सामर्थ्य नहीं बचा, आशा का संचार तो कर ही नहीं सकते। जो खुद ही निराशा में डूबे हैं उनसे आशा लेकिन देश में हर जगह जहां बैठों वहां निराशा, निराशा, निराशा फैलाने का जो खेल चल रहा है और सच्चाई को नकार कर हो रहा है। वो न खुद का भला कर पाएंगे ना देश का भला कर पाएंगे।

हर बार एक ही गाना गाया जाता है। समाज के कुछ वर्गों को भड़काने के लिए बिना हकीकतों को ऐसे वाक्य बोल दिए जाते हैं। मैं जरा देश के सामने कुछ हकीकत बोलना चाहता हूं और मुझे विश्वास है मीडिया ऐसे विषयों पर जरा डिबेट कर ले, ताकि पता चले।

यहां पर सरकारी कंपनियों को लेकर हमारे ऊपर भांति-भांति के आरोप लगे। क्या-क्या आरोप लगाए जा रहे हैं। सिर, पैर, माथा कुछ नहीं है बस लगाते चलो। अब देखिए देश को याद है मारुति के शेयर के साथ क्या खेल चल रहा था। उस जमाने में हेडलाइन्स बना करती थी। मारुति शेयर का क्या चल रहा था। मैं उसकी गहराई में नहीं जाना चाहता हूं वरना उनको वहां तक पानी पहुंचेगा कि शायद यहां पर करंट लग जाएगा। इसलिए मैं वहां तक जाना नहीं चाहता।

मैं तो आजाद भारत में पैदा हुआ हूं। मेरे विचार भी आजाद हैं और मेरे सपने भी आजाद हैं। जो गुलामी की मानसिकता को जीने वाले हैं उसके पास और कुछ चीजें नहीं हैं। वही पुराने कागज लेकर-लेकर के घूमते रहते हैं।

कांग्रेस ने कहा कि हमने PSU बेच दिए, PSU डुबो दिए, भांति भांति के बातें यहां पर होती है और वरिष्ठ लोगों के मुंह से सुन रहा था। याद कीजिए BSNL, MTNL को बर्बाद करने वाले कौन थे? वो कौन सा का कालखंड था, जब BSNL, MTNL बर्बाद हो चुके। जरा याद कीजिए HAL उसकी दुर्दशा क्या करके रखी थी बर्बादी? और जाकर के गेट पर भाषण देकर के 2019 का चुनाव लड़ने का एजेंडा तय होता था HAL के नाम पर। जिन्होंने HAL को तबाह कर दिया था वो HAL के गेट पर जाकर के भाषण झाड़ रहे थे।

एयर इंडिया को किसने तबाह कर दिया, किसने बर्बाद कर दिया, ऐसी हालत कौन लाया था। कांग्रेस पार्टी और यूपीए ये दस साल की उनकी बर्बादी से मुंह नहीं मोड़ सकते। देश भली-भांति जानता है, और अब मैं हमारे कार्यकाल की जरा सफलता की बात बताना चाहता हूं।

आज जिस बीएसएनएल को आपने तबाह करके छोड़ा था ना वो बीएसएनएल आज मेड इन इंडिया 4 जी, 5 जी उस तरफ आगे बढ़ रहा है और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

HAL के लिए इतनी भ्रम फैलाए, आज record manufacturing HAL दे रहा है। Record Revenue Generate कर रहा है HAL. जिसको लेकर के इतने हो हल्ले चलाए गए और कर्नाटक में एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी HAL बन गई है। कहां छोड़ा था, कहां जाकर हमने पहुंचाया।

एक कमांडो जो यहां नहीं है, LIC को लेकर भी पता नहीं कैसे-कैसे बड़ी विद्वत्तापूर्ण बयान देते थे। LIC का ऐसा हो गया, LIC का वैसा हो गया, LIC का यूं हो गया। जितनी गलत बातें LIC के लिए बोलनी चाहिए बोली और तरीका यही है किसी को बर्बाद करने के लिए अफवाह फैलाओ, झूठ फैलाओ, भ्रम फैलाओ और टेक्निक वही है गांव में किसी का बड़ा बंगला हो, लेने का मन करता हो, लेकिन हाथ न लगता हो तो फिर हवा फैला देते हैं कि भुतिया बंगला है यहां जो जाता है, ऐसी हवा फैला देते हैं कोई लेता नहीं है फिर जाकर के लपक लेते हैं। LIC, LIC क्या चलाया?

मैं सीना तान कर के सुनाना चाहता हूं, आंखे ऊंची करके सुनाना चाहता हूं। आज एलआईसी के शेयर रिकॉर्ड स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं। क्यों?

अब प्रचार किया जा रहा है, PSU बंद हो गए, PSU बंद हो गए। अब उनको तो याद भी नहीं होगा क्या है। बस किसी ने पकड़ा दिया बोलो-बोलो। 2014 में देश में 234 PSU थे। 2014 उनके यूपीए के दस साल के कालखंड में। अब 2014 में जब उन्होंने छोड़ा 234, आज 254 हैं। 234 थे, आज 254 हैं। अब भाई कोई कौन सा arithmetic वो जानते हैं बेच दिए, अब बेचने के बाद 254 हो गया, क्या-क्या कर रहे हो आप लोग?

आज अधिकतर PSU record return दे रहे हैं। और इन्वेस्टर्स का भरोसा PSUs की तरफ बढ़ रहा है। जो छोटा सा भी शेयर बाजार जानते हैं उनको समझ आता है। नहीं समझता है तो किसी को पूछो। आप सभापति जी देखिए, BSE PSU Index में बीते एक वर्ष के दौरान लगभग दो गुनी उछाल हुई है।

10 साल पहले यानी 2014, 2004 से 2014 के बीच की बात करता हूं। PSU का net profit करीब-करीब सवा लाख करोड़ था। और इस दस वर्ष में PSU का net profit ढाई लाख करोड़ है। दस वर्ष में, हमारे दस वर्ष में PSU की net worth 9.5 lakh crore से बढ़कर के 17 lakh crore हो गई है।

इनका हाथ जहां भी लगता है ना उसका डूबना तय हो जाता है। और उसकी यही दशा करके उन्होंने छोड़ी थी। हम मेहनत करके इतनी बाहर लाए इतनी प्रतिष्ठा बढ़ी है, आपको खुशी होनी चाहिए, भ्रम मत फैलाइये, बाजार में हवा ऐसी न फैलाइये, कि देश के सामान्य निवेशक के मन उलझन में आ जाए। ऐसा काम आप नहीं कर सकते।

इन लोगों की मर्यादा इतनी है, अब इन्होंने अपने युवराज को एक स्टार्टअप बनाकर के दिया है। अभी वो नॉन स्टार्टर है, न तो वो लिफ्ट हो रहा है, न वो लॉन्च हो रहा है।

आप पिछली बार भी इतनी शांति से रहे होते तो कितना मजा आता।

मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे लंबे समय तक एक राज्य के मुख्यमंत्री के नाते देश की और जनता की सेवा करने का अवसर मिला। और इसलिए मैं regional aspirations को भली-भांति समझता हूं। क्योंकि मैं उस process से निकला हूं। जैसे हमारे यहां दिग्विजय जी, उनको भली-भांति सहज समझ आता है कि भई एक राज्य के लिए क्या होता है। हम लोग उसी दुनिया से निकलकर के आए थे। तो हमें अनुभव है, पता है, शरद राव जी को है, तो ऐसे कुछ लोग हैं यहां जिनको ये सारी चीजों का पता है। देवगौड़ा साहब हैं, तो इन लोगों को इन सारी चीजों का पता है। तो हम इसका महत्व समझते हैं। हमें कोई किताबों में नहीं पढ़ना पड़ता है हम अनुभव करके आए हैं। और ये भी सच्चाई है सब। दस साल यूपीए की पूरी शक्ति गुजरात को क्या कुछ न करने में लगी हुई थी। आप कल्पना नहीं कर सकते हैं। लेकिन मैं आंसू नहीं बहाता, रोने की मेरी आदत नहीं है। लेकिन तब भी, उतने संकटों के बावजूद भी उतने जुल्म के बाद भी, हर प्रकार की मुसीबतों को झेलते हुए भी, मेरी तो मुसीबत ऐसी थी कि यहां किसी मिनिस्टर से मुझे अपॉइंटमेंट नहीं मिलती थी। वो कहते थे कि भई आप जानते हो, मेरी तो दोस्ती है मैं फोन पर बात कर लूंगा लेकिन कहीं फोटो-वोटो निकल गई यह डर रहता था। यहां मंत्रियों को डर रहता था। अब खैर उनकी मुसीबतें मैं समझ सकता हूं। मेरे यहां एक बार बड़ी प्राकृतिक आपदा आई। मैंने उस समय प्रधानमंत्री जी को बड़ा रिक्वेस्ट किया कि आप आईये, एक बार जरा देख लीजिए। उनका कार्यक्रम बना। फिर साहब एक एडवाइजरी कमेटी बनी थी ना, शायद वहां से हुक्म आया, तो कोई हेलीकॉप्टर से हवाई निरीक्षण करे वो तो मैं समझता सकता हूं, साहब वो कार्यक्रम बदलकर के साउथ में किस राज्य में गए थे मुझे याद नहीं रहा आज। और बोले हम हवाई जहाज से ऊपर से देख लेंगे, हम गुजरात में नहीं आएंगे। मैं सूरत पहुंचा हुआ था, वो आने वाले थे। मैं जानता हूं आखिर में क्या हुआ होगा। तो आप कल्पना कर सकते हैं साहब प्राकृतिक आपदा में भी मैंने ऐसी मुसीबतों को झेला है। लेकिन उसके बावजूद भी उस समय भी मेरा मंत्र था, आज भी मेरा मंत्र है कि देश के विकास के लिए राज्य का विकास। भाारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। और हम सबको इसी रास्ते पर चलना चाहिए। हम राज्यों के विकास से ही राष्ट्र का विकास कर पाएंगे। इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है, कोई विवाद नहीं हो सकता है। और मैं आपको विश्वास देता हूं सभापति जी राज्य अगर एक कदम चलता है तो दो कदम चलने की ताकत देने के लिए मैं तैयार हूं। Cooperative federalism क्या होता है? और मैंने तो हमेशा कहा Competitive Cooperative federalism, आज देश को जरूरत है Competitive Cooperative federalism, हमारे राज्यों के बीच में तंदुरुस्त स्पर्धा हो ताकि हम तेजी से देश में आगे बढ़ें। एक सकारात्मक सोच के साथ हमको चलने की जरूरत है। और मैं ये राज्य में था तब भी इसी विचारों को लेकर के काम करता था। इसलिए चुपचाप सहता भी था।

कोविड एक उदाहरण है। इतना बड़ा संकट आया दुनिया का। ऐसे संकट के समय राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 20 बैठकें की उस कालखंड में। एक-एक बात का विचार-विमर्श करके साथ ले करके चले और सभी राज्‍यों का सहयोग, एक टीम बन करके केंद्र और राज्‍य ने काम किया…दुनिया जिस मुसीबत को झेल नहीं पाई..हम सबने मिल करके…किसी एक को क्रेडिट मैं कभी नहीं दूंगा…सबने मिल करके इस देश को बचाने के लिए जो हो सकता है किया। राज्‍यों को भी उसका क्रेडिट लेने का पूरा अधिकार है, इस सोच में हमने काम किया है।

जी-20 का आयोजन हम दिल्‍ली में कर सकते थे। हम दिल्‍ली में इन बड़े-बड़े नेताओं के बीच रह करके सब कुछ, क्‍या नहीं कर पाए, पहले ये हुआ ही है। हमने ऐसा नहीं किया। हमने जी-20 का पूरा यश राज्‍यों को। दिल्‍ली में एक मीटिंग की…राज्‍यों में 200..एक-एक राज्‍य को एक्सपोजर मिले दुनिया में। ये गलती से नहीं हुआ, योजनाबद्ध तरीके से हुआ है। मेरे लिए किसकी सरकार है, इसके आधार पर मैं देश नहीं चलाता हूं, हम सब मिल करके देश आगे बढ़ाना चाहते हैं, इस भूमिका से काम किया है।

हमारे देश में विदेश के मेहमान आते थे, तो मेरे आने के बाद आ रहे हैं ऐसी थोड़ी न बात है? पहले भी आते थे, आज विदेशी मेहमान आते हैं तो मेरा आग्रह रहता है कि आपको एक दिन किसी राज्‍य में जाना चाहिए। मैं उनको ले करके जाता हूं राज्‍यों में, ताकि उनको पता चले कि मेरा देश अब दिल्‍ली नहीं है। मेरा देश चेन्नई में भी है। मेरा देश बेंगलुरु में भी है। मेरा देश हैदराबाद में भी है, मेरा देश पूरी में भी है, भुवनेश्‍वर में भी है, मेरा देश कलकत्ता में भी है, मेरा देश गुवाहाटी में भी है। पूरी दुनिया को मेरे देश के हर कोने का एक्सपोजर मिले, इसकी हम कोशिश कर रहे हैं। वहां की सरकार का सहयोग-असहयोग, इसके तराजू पर नहीं तौलते। एक ईमानदारी से इस देश के भविष्य के लिए, पूरा विश्व मेरे भारत को जाने, इसके लिए हम प्रयास करते हैं और मैं अभी भी 26 जनवरी को इतना बड़ा काम रहता है, सबको मालूम है, उसके बाद भी मैं 25 तारीख को फ्रांस के राष्ट्रपति को राजस्थान की गलियों में घुमा रहा था, दुनिया को पता चले कि मेरा राजस्‍थान ऐसा है।

हमने एक बहुत बड़ा कार्यक्रम लिया है, जिसकी पूरे विश्‍व में मॉडल के रूप में चर्चा हो रही है- aspirational district, aspirational district की जो सफलता है ना उसमें 80 परसेंट भूमिका मेरे राज्‍यों के सहयोग की है। राज्यों ने जो सहयोग दिया है, उन्होंने aspirational district की मेरी भावना को समझा है। आज मुझे aspirational district को आगे बढ़ाने के लिए 80 परसेंट ताकत राज्यों से मिल रही है। डिस्ट्रिक्ट लेवल के अफसरों से मिल रही है। और जो राज्य, वो राज्य के औसत में भी आखिरी पायदान पर खड़े थे, वो आज नेशनल एवरेज के साथ कम्‍पीटीशन करने लगे हैं, ये डिस्ट्रिक कभी पिछड़े डिस्ट्रिक माने जाते थे। ये सब कुछ सहयोग से होता है। और इसलिए हमारे कार्यक्रमों की रचना ही सबको साथ ले करके चलने की है और मिल करके देश के भविष्य को बनाने की है। आज देश का हर कोना, हर परिवार विकास के फल प्राप्त करे, ये हम सब का दायित्व है और हम उसी दिशा में जाना चाहते हैं। हम हर राज्य को उसका पूरा हक भी देना चाहते हैं। लेकिन मैं आज एक अहम मुद्दे पर मेरी पीड़ा व्‍यक्‍त करना चाहता हूं।

एक राष्‍ट्र हमारे लिए सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। हम सबके लिए एक इकाई ऐसी है, जो प्रेरणा देने वाली इकाई है। जैसे शरीर होता है, शरीर में जैसे अंगांगी भाव होता है, अगर पैर में कांटा लगे तो पैर ये नहीं कहता है, हाथ कभी नहीं सोचता है कि मुझे क्या, पैर को कांटा लगा है…पैर, पैर का काम करेगा, पलभर में हाथ पैर के पास पहुंच जाता है, कांटा निकालता है। कांटा पैर को लगता है, आंख ये नहीं कहती कि आंसू मैं क्‍यों बहाऊं, आंसू आंख से निकलते हैं। हिन्‍दुस्‍तान के किसी भी कोने में दर्द हो तो पीड़ा सबको होनी चाहिए। अगर देश का एक कोना, अगर शरीर का एक अंग अगर काम नहीं करता है तो पूरा शरीर अपंग माना जाता है। शरीर जिस प्रकार से, अगर देश का भी कोई कोना, देश का कोई क्षेत्र विकास से वंचित रह जाएगा तो देश विकसित नहीं हो सकता है। और इसलिए हमें भारत को एक अंगांगी भाव से देखना चाहिए, उसको टुकड़ों में नहीं देखना चाहिए। जिस प्रकार से इन दिनों भाषा बोली जा रही है, देश को तोड़ने के लिए राजनीतिक स्वार्थ के लिए नए narrative गढ़े जा रहे हैं। एक पूरी सरकार मैदान में उतर करके भाषा गढ़ रही है। इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य क्या हो सकता है, आप मुझे बताइए।

झारखंड का कोई आदिवासी बच्चा अगर Olympic के खेल के अंदर जाकर के medal लेकर आएगा, तो क्या हम ये सोचते हैं कि ये तो झारखंड का बच्चा है, पूरा देश कहता है, हमारे देश का बच्चा है। जब एक झारखंड के बच्चे में प्रतिभा देखते है और देश हजारों, लाखों रुपया खर्च करके उसको अच्छे कोचिंग के लिए दुनिया के किसी देश में भेजता है, तो हम ये सोचेंगे कि ये खर्चा झारखंड के लिए हो रहा है, क्या इस देश के लिए नहीं हो रहा है। हम क्या करने लगे हैं, क्या भाषा बोलने लगे हैं। इससे देश का गौरव, हमारे यहां वैक्सीन, देश के करोड़ों लोगों को वैक्सीन का, हम ये कहेंगे वैक्सीन तो उस कोने में बनी थी इसलिए हक उनका है, देश को नहीं मिल सकती, क्या ऐसा सोच सकते हैं क्या? वैक्सीन उस शहर में बनी थी, इसलिए देश के और भागों को इसका लाभ नहीं मिलेगा, ये सोचेंगे क्या? क्या सोच बन गई है। और एक राष्ट्रीय दल के अंदर से ऐसे विचार आए ये बहुत दुख की बात है।

क्या अगर हिमालय कहना शुरू कर दे, हिमालय कल बोलना शुरू कर दे, ये नदिया मेरे यहां से बहती हैं, मैं तुम्हें पानी नहीं देने दूंगा, पानी का अधिकार मेरा, देश का क्या होगा, देश कहा जाकर के रुकेगा। अगर जिन राज्यों में कोयला है, वो कह दे कोयला नहीं मिलेगा, ये हमारी संपत्ति है, जाओ तुम अंधेरे में गुजारा करो, देश कैसे चलेगा।

Oxygen कोविड के समय, हमारे यहां Oxygen की संभावनाएं पूर्वी कार्यो में जो उद्योग है उसके यहां हैं, पूरे देश को Oxygen की जरूरत थी, अगर उस समय पूरब के लोग कहकर के बैठ जाते, Oxygen हम नहीं दे सकते, हमारे लोगों की जरूरत है, देश को कुछ नहीं मिलेगा, क्या होता देश का? उन्होंने संकट झेलकर भी देश को Oxygen पहुंचाया। देश के अंदर ये भाव तोड़ने का क्या प्रयास हो रहा है। क्या इस प्रकार से देश को कि हमारा टेक्स, हमारी मनी, किस भाषा में बोला जा रहा है। ये देश के, देश के भविष्य के लिए नया खतरा पैदा करने वाली बात होगी। देश को तोड़ने के लिए नए-नए narrative खोजना बंद कर दीजिए। देश को आगे बढ़ना है, देश को एक साथ लेकर के चलने का प्रयास कीजिए।

पिछले 10 वर्ष नीति और निर्माण के, ये नए भारत की नए दिशा दिखाने के लिए है। जो दिशा हमने पकड़ी है, जो निर्माण कार्य हमने लिए हैं बीते एक दशक में हमारा पूरा फोकस, बेसिक सुविधाएं जरूर मिले, उस पर हमारा ध्यान केंद्रित रहा है।

हर परिवार का जीवन स्तर ऊपर उठे, उसके जीवन में Ease of Living बढ़े। अब समय की मांग है- उसकी Quality of Life में हम कैसे हम सुधार लाए। हम आने वाले दिनों में हमारी पूरी शक्ति, पूरा सामर्थ्य East of Living से एक कदम आगे बढ़कर के Quality of Life कर तरफ हम बढ़ाना चाहते हैं, हम उसके लिए जाएंगे।

आने वाले 5 वर्ष Neo Middle Class जो गरीबी से निकलकर के बाहर आए हैं, ऐसे Neo Middle Class को नई ऊंचाई और सशक्त बनाने के लिए हम अनेक विविध कार्यक्रम पहुंचाने के लिए, पूरा प्रयास करने वाले हैं। और इसलिए हमने सामाजिक न्याय का जो मोदी कवच दिया है ना उस मोदी कवच को और मजबूत बनाने वाले हैं, और ताकत देने वाले हैं।

आजकल जब हम कहते हैं कि 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए तो ऐसा कुतर्क दिया जाता है कि 25 करोड़ बाहर आए तो फिर 80 करोड़ को खाना, अनाज क्यों देते हो।

हम जानते हैं कोई बीमार व्यक्ति हॉस्पिटल से बाहर आ जाए ना तो भी डॉक्टर कहता है कुछ दिन इसको ऐसे-ऐसे संभालिए, खाने में परहेज रखिए, ढ़िकना करिए, फलाना करिए। क्यों…कभी दोबारा वहां मुसीबत में ना आ जाए। जो गरीबी से बाहर निकला है ना उसको ज्यादा संभालना चाहिए ताकि कोई ऐसा संकट आकर के फिर से गरीबी की तरफ लपक ना जाए। और इसलिए उसको मजबूती देने का समय देना चाहिए। इस समय हमने गरीब को मजबूत किया ताकि वो फिर से वो Neo Middle Class, फिर से वापिस उस नर्क में डूब न जाए। हम 5 लाख रूपया आयुष्मान का देते है ना, उसके पीछे ये एक इरादा है। परिवार में एक बीमारी आ जाए ना मध्यम वर्ग के आदमी को भी गरीब बनने से देर नहीं लगती है। और इसलिए गरीबी से बाहर निकलना जितना जरूरी है, उतना गलती से भी गरीबी की तरफ पीछे न चला जाए उसके लिए ध्यान रखने की आवश्यकता है। और इसलिए हम अनाज देते हैं, अनाज देते रहेंगे। किसी को बुरा लगे या न लगे, 25 करोड़ गरीबी से बाहर निकले हैं। Neo Middle Class हुए हैं, लेकिन मुझे समझ है, मैं वो दुनिया जी करके आया हूँ। उनको जरूरत ज्यादा है और इसलिए हमारी ये योजना जारी रहेगी।

देश जानता है और इसीलिए मैंने गारंटी दी है, मेरी गारंटी है गरीबों के 5 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा आगे भी मिलती रहेगी। मेरी गारंटी है, मोदी की गारंटी है। 80% डिस्काउंट से जो दवाइयां मिल रही हैं, जिसका लाभ मध्‍यम वर्ग गरीब को मिल रहा है, वो मिलता रहेगा।

मोदी की गारंटी है कि किसानों को जो सम्मान निधि मिल रही है, वो सम्मान निधि चालू रहेगी, ताकि विकास की यात्रा में वो ताकत के साथ जुड़ जाए।

गरीबों को पक्के घर देने का मेरा अभियान है। अगर परिवार बड़ा होता है, नया परिवार बनता है। पक्‍के घर देने का मेरा कार्यक्रम जारी रहेगा। नल से जल योजना, मेरा पक्का इरादा है और मेरी गारंटी है कि नल से जल देंगे। हम नए शौचालय बनाने की जरूरत पड़ेगी, तो मेरी पक्की गारंटी है, हम जारी रखेंगे। ये काम सारे तेजी से चलेंगे, क्योंकि विकास का जो रास्ता, विकास की जो दिशा हमने पकड़ी है, इसको हम किसी भी हालत में जरा भी धीमी नहीं होने देना चाहते।

हमारी सरकार का तीसरा term दूर नहीं है। कुछ लोग इसे मोदी 3.0 कहते हैं। मोदी 3.0, विकसित भारत की नींव को मजबूत करने के लिए पूरी शक्ति लगा देगी।

अगले पांच साल में भारत में डॉक्‍टरों की संख्या पहले की तुलना में अनेक गुना बढ़ेगी। मेडिकल कॉलेजों की संख्‍या बढ़ेगी। इस देश में इलाज बहुत सस्‍ता और सुलभ हो जाएगा।

अगले पांच साल में हर गरीब के घर में नल से जल का कनेक्शन होगा।

आने वाले पाँच साल में उन गरीब को पीएम आवास जो देने हैं, एक भी वंचित नहीं रहे, इसका पक्‍का ख्याल रखा जाएगा। अगले पांच साल सोलर पावर से बिजली बिल जीरो, देश के कितने नागरिकों, करोड़ों नागरिकों को बिजली बिल जीरो और ठीक अगर आयोजन करेंगे तो अपने घर पर बिजली बनाकर के बेच करके कमाई कर पाएंगे, ये अगले पांच साल का कार्यक्रम है।

अगले पांच साल देश में पाइप से गैस के कनेक्शन, पूरे देश में नेटवर्क बनाने का भरपूर प्रयास किया जाएगा।

आने वाले पांच साल हमारी युवा शक्ति का दम पूरी दुनिया देखेगी। आप देखना आदरणीय सभापति जी, हमारे युवा स्‍टार्टअप, युवाओं के यूनिकॉर्न, इसकी संख्‍या लाखों में होने वाली है। और इतना ही नहीं Tier 2, Tier 3 cities नए-नए स्‍टार्टअप से उसके एक नई पहचान के साथ उभरने वाला है। ये मैं पांच साल का चित्र मेरे सामने देख रहा हूँ।

Reserve Funding उसकी वृद्धि का प्रभाव आप देखना, पिछले सात दशक में जितने Patent नहीं हुए हैं उतने रिकॉर्ड Patent फाइल होने का दिन आने वाले पांच सालों मैं देख रहा हूँ।

आज मेरे मध्‍यम वर्ग के लाखों बच्‍चे विदेशों में पढ़ने के लिए चले जाते हैं। मैं वो स्‍थिति लाना चाहता हूँ कि मेरे बच्चों के लाखों रुपए बच जाएं। मेरे देश के मध्‍यम वर्ग के सपने पूरे हों। Best से Best University मेरे देश में हो। उच्‍चतम शिक्षा उनको मेरे देश में मिले और मेरे बच्‍चों का, उनके परिवार का पैसा बचे इसलिए मैं कह रहा हूँ।

आने वाले पांच साल आप देखना कोई भी international खेल competition ऐसी नहीं होगी, जिसमें भारत के झंडे हर जगह पर न फहराते हों। मैं ये देखने वाला हूँ पांच साल खेल जगत के अंदर दुनिया में भारत के युवा की शक्‍ति की पहचान होते हुए।

आने वाले पांच साल में भारत का पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह ट्रांस्‍फॉर्म होने वाला है। अगले पांच साल में गरीब और मिडिल क्‍लास को तेल और शानदार यात्रा की सुविधाएं बहुत आसानी से मिलने वाली हैं। तेज मिलने वाली हैं, पूरी ताकत से बहुत सुविधाएं मिलने वाली हैं। अगले पांच साल में देश बुलेट ट्रेन भी देखेगा और देश वंदे भारत ट्रेन का विस्तार भी देखेगा।

अगले पांच साल में आत्मनिर्भर भारत का अभियान नई ऊंचाई पर होगा। देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता नजर आएगा।

आने वाले 5 साल में मेड इन इंडिया, सेमीकंडक्टर दुनिया में हमारी गूंज होगी। इलेक्ट्रॉनिक के हर goods में वो चिप होगी, जिसमें किसी न किसी भारतीय का पसीना होगा।

दुनिया के इलेक्ट्रिक बाजार में, इलेक्ट्रॉनिक बाजार में एक नई गति का सामर्थ्य आने वाले पांच साल में देश देखेगा।

आज देश लाखों करोड़ों रुपये का तेल इम्पोर्ट करता है। अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए हम ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करेंगे और मुझे विश्वास है, हम ऊर्जा जरूरतों पर जो dependency है वो कम करने में सफल होंगे। इतना ही नहीं आदरणीय सभापति जी, Green Hydrogen अभियान से हम दुनिया के बाजार को लालायित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारा Green Hydrogen ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य रखेगा। इथेनॉल की दुनिया में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हम 20 परसेंट का लक्ष्य प्राप्त करके हमारे लोगों का ट्रांसपोर्टेशन सस्ता हो, इसकी व्यवस्था होगी।

जब मैं 20 परसेंट इथेनॉल की बात करता हूं, उसका सीधा लाभ मेरे देश के किसानों को होने वाला है, किसानों को एक नई प्रगति मिलने वाली है। देश के हजारों करोड़ रुपये आज खाद्य, हम कृषि प्रधान देश तो कहते हैं, लेकिन आज भी हजारों करोड़ रुपयों का खाने का तेल हमें बाहर से लाना पड़ रहा है। हमारे देश के किसानों पर मुझे भरोसा है और मुझे पक्का विश्वास है, जो नीतियों लेकर हम चलते हैं edible oil में, मेरा देश बहुत ही जल्द 5 साल में आत्मनिर्भर हो जाएगा। और जो पैसा बचेगा, मेरे देश के किसान की जेब में जाएगा, जो आज विदेश के बाजार में जाता है।

केमिकल की खेती के कारण हमारी धरती मां को बहुत नुकसान हो रहा है। आने वाले पांच साल में नेचुरल फार्मिंग की तरफ देश के किसानों को ले जाने में हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ेंगे। एक नई जागृति का काम होगा, हमारी धरती मां की भी सुरक्षा होगी।

नेचुरल फार्मिंग बढ़ने से दुनिया के बाजार में भी हमारी उत्पादों की ताकत बढ़ने वाली है।

यूएन के माध्यम से मैंने मिलेट का अभियान चलाया। श्री अन्न के नाते आज हमने उसको पहचान दी है। मैं वो दिन दूर नहीं देखता हूं, जबकि आने वाले पांच सालों में दुनिया के बाजार में सुपर फूड के रूप में मेरे गांव के छोटे-छोटे के घर में पैदा हुआ मिलेट श्री अन्न दुनिया के बाजार में उसकी प्रतिष्ठा होगी, सुपरफूड की प्रतिष्ठा होगी।

ड्रोन खेतों में एक नई किसानों की ताकत बनकर के उभरने वाला है। 15 हजार ड्रोन दीदी का कार्यक्रम ऑलरेडी हम लॉन्च कर चुके हैं। ये तो शुरुआत है, आगे बहुत सफलता दिखती है।

हम नैनो टेक्नोलॉजी को एग्रीकल्चर में लाने के प्रयोग में अब तक सफल हुए हैं। हमने नेनो यूरिया में बहुत बड़ी सफलता पाई है। नेनो डीएपी की दिशा में सफलता पाई है। और आज एक बोरी खाद लेकर के घुमने वाला किसान एक बॉटल के खाद से काम चला लेगा, वो दिन दूर नहीं है।

सहकारिता के क्षेत्र में हमनें एक नई मिनिस्ट्री बनाई है। उसके पीछे इरादा है कि सहकारिता का पूरा जन आंदोलन नई ताकत के साथ उभरे और 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुसार उभरे उसको भी हम और उसका सबसे बड़ा लाभ हम दो लाख भंडारण का काम, जो हाथ में लिया है। जब 5 साल के भीतर-भीतर वो पूरा हो जाएगा। छोटे किसान को भी अपनी पैदावार को रखने की जगह मिल जाएगी। किसान तय करेगा किस भाव से बाजार में बेचना है नहीं बेचना है। उसको जो बर्बाद होने का डर था वो खत्म हो जाएगा और किसान की आर्थिक ताकत बढ़ जाएगी। पशुपालन और मछली पालन, पक्का मैं कहता हूं नए रिकॉर्ड बनाने वाले हैं। आज हमारे यहां पशुओं की संख्या है, लेकिन दूध की उत्पादन कम है। हम इस रीति को बदल देंगे। फिशरिंग एक्सपोर्ट करने की दुनिया में हम बहुत बड़ी तेजी से विकास करेंगे ये भी मेरा अपना विश्वास है। हमने एफपीओ की रचना का कार्यक्रम, जो प्रारंभ किया है। अनुभव बहुत अच्छा है। पांच साल के भीतर-भीतर किसानों की एक नए संगठन की शक्ति और कृषि उत्पादन में वैल्यू की ताकत ये लाभ मेरे देश के किसानों को अवश्य मिलने वाला है।

जी-20 की सफलता ने साफ कर दिया है। और दुनिया में कोविड के बाद जो खुलापन आया उस खुलेपन का सबसे बड़ा लाभ हमने देखा है कि विश्व का ध्यान भारत की तरफ गया है और इसलिए एक बहुत बड़ा क्षेत्र टूरिज्म का, आने वाले दिनों में होने वाला है, और जो सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला है। आज विश्व के कई देश हैं, जिसकी पूरी इकॉनमी टूरिज्म पर निर्भर है। भारत में भी बहुत से राज्य ऐसे बन सकते हैं, जिनकी पूरी इकॉनमी का सबसे बड़ा हिस्सा टूरिज्म होगा और वो दिन दूर नहीं है, जिन नीतियों को लेकर के हम चल रहे हैं भारत एक बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने वाला है।

जिसका हिसाब किताब पहले बहुत कम हुआ करता था, जिसकी बातें सुनकर के हमारा मजाक उड़ाया जाता था। जब मैं डिजिटल इंडिया की चर्चा करता था। जब मैं फिनटेक की चर्चा करता था, तब मैं जरा आउट ऑफ वर्क बाते कर रहा हूं ऐसा लोगों को लगता था। आउट डेटा सोच वालों के लिए सामर्थ्य का अभाव था। लेकिन मैं पूरे विश्वास से कहता हूं आदरणीय सभापति जी, आने वाले पांच वर्ष डिजिटल इकोनॉमी की दुनिया में भारत का डंका बजने वाला है। भारत एक नई शक्ति बनने वाला है। आज डिजिटल व्यवस्थाएं भारत के सामर्थ्य को बढ़ाने वाली हैं। विश्व मानता है कि AI का सबसे ज्यादा उपयोग कोई करने का सामर्थ्य किसी देश में होगा, तो हिंदुस्तान में होगा। लेटेस्ट से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग मेरा देश करेगा।

Space की दुनिया में भारत का नाम रोशन हो रहा है। हमारे वैज्ञानिकों का पराक्रम नजर आने वाला है। और आने वाले पांच साल का जो कार्यक्रम है ना, मैं आज उसको शब्दों में बयां नहीं करना नहीं चाहता हूं। विश्व को अचंभित करने की दिशा में हमारे वैज्ञानिक space की दुनिया में भारत को ले जाएंगे, ये मेरा पक्का विश्वास है।

ग्रास रूट लेवल की इकॉनमी में बहुत बड़ा बदलाव 10 करोड़ स्वयं सहायता में हमारी माताएं बहनें जुड़ी हों। और तीन करोड़ हमारी लखपति दीदी ये अपने आप में हमारी बेटियों के उत्कर्ष की गाथा लिख रही हैं।

ऐसे अनेक विविध क्षेत्र हैं, जिस क्षेत्र में मैं साफ देख रहा हूं आने वाले पांच साल भारत कभी अनसुना करते थे, स्वर्णिम युग था, मुझे वो दिन दूर दिखते जब पांच साल में वो मजबूत नींव आएगी और 2047 तक पहुँचते-पहुँचते, ये देश उस स्वर्णिम युग को फिर से जीने लगेगा। इस विश्वास के साथ आदरणीय सभापति जी, विकसित भारत ये शब्दों का खेल नहीं है। ये हमारा कमिटमेंट है और इसके लिए हम समर्पित भाव से हमारी हर सांस उस काम के लिए है, हमारी हर पल उस काम के लिए है, हमारी सोच उस काम के लिए समर्पित है। उसी एक भावना के साथ हम चले हैं, चल रहे हैं, चलते रहेंगे और देश आगे बढ़ता रहेगा, ये मैं आपको विश्वास देता हूं। आने वाली सदियां इस स्वर्ण काल को इतिहास में अंकित करेगी। ये विश्वास मेरे मन में इसलिए है, देश की जनता का मिजाज मैं भली-भांति समझ पाता हूं। देश ने बदलाव के दस साल के अनुभव को देखा है। एक क्षेत्र में जो बदलाव देखा है, वो तेज गति से बदलाव जीवन के हर क्षेत्र में, जीवन के हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां, नई ताकत प्राप्त होने वाली है, और हर संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाना, ये हमारी कार्यशैली का हिस्सा है।

मैं फिर एक बार इस सदन में आप सबने जो विचार रखे, उसके कारण देश के सामने सत्य रखने का जो मुझे अवसर मिला और डंके की चोट पर सत्य रखने का अवसर मिला और सदन की पवित्रता के बीच रखने का अवसर मिला है, संविधान की पूरी साक्ष्य के सामने विचार रखने का अवसर मिला है। मुझे विश्वास है कि देश जिनकी वारंटी खत्म हो गई है उनकी बातें सुन नहीं सकता है। जिसकी गारंटी की ताकत देखी है, उसके विचारों पर विश्वास करते हुए आगे बढ़ेगा।

मैं फिर एक बार आदरणीय सभापति जी, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। और आदरणीय राष्ट्रपति जी को मेरी तरफ से उनके व्याख्यान के लिए आदरपूर्वक अभिनंदन और आभार व्यक्त करते हुए, मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।