नवी मुंबई में विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

आज का दिन, मुंबई और महाराष्ट्र के साथ ही विकसित भारत के संकल्प के लिए बहुत बड़ा, बहुत ऐतिहासिक है। आज विकास का ये उत्सव भले ही मुंबई में हो रहा है, लेकिन इस पर पूरे देश की नजर हैं। आज दुनिया के सबसे बड़े Sea bridges में से एक, ये विशाल अटल सेतु देश को मिला है। ये हमारे उस संकल्प का भी प्रमाण है कि भारत के विकास के लिए हम समंदर से भी टकरा सकते हैं, लहरों को भी चीर सकते हैं। आज का ये कार्यक्रम संकल्प से सिद्धि का भी प्रमाण है।
मैं 24 दिसंबर, 2016 का दिन नहीं भूल सकता, जब मैं मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक-अटल सेतु के शिलान्यास के लिए यहां आया था। तब मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करते हुए कहा था कि ‘लिखकर रखिए, देश बदलेगा भी और देश बढ़ेगा भी’। जिस व्यवस्था में सालों-साल काम लटकाने की आदत पड़ गई थी, उससे देशवासियों को कोई उम्मीद बची नहीं थी। लोग सोचते थे कि उनके जीते-जी बड़े प्रोजेक्ट पूरे हो जाएं, ये मुश्किल ही है। औऱ इसलिए मैंने कहा था- लिखकर रखिए, देश बदलेगा और जरूर बदलेगा। ये तब मोदी की गारंटी थी। और आज मैं छत्रपति शिवाजी महाराज को फिर नमन करते हुए, मुंब्रा देवी को नमन करते हुए, सिद्धिविनायक जी को प्रणाम करते हुए, ये अटल सेतु, मुंबईकरों को, देश के लोगों को समर्पित कर रहा हूं।
कोरोना के महासंकट के बावजूद मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का काम पूरा होना बहुत बड़ी उपलब्धि है। हमारे लिए शिलान्यास, भूमिपूजन, उद्घाटन और लोकार्पण सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम भर नहीं होता। न ही ये मीडिया में आने के लिए और जनता को रिझाने के लिए होता है। हमारे लिए हर प्रोजेक्ट, भारत के नव निर्माण का माध्यम है। जैसे एक-एक ईंट से बुलंद इमारत बनती है, वैसे ही ऐसे हर प्रोजेक्ट से भव्य भारत की इमारत बन रही है।
आज यहां देश के, मुंबई और महाराष्ट्र के विकास से जुड़े हुए 33 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। ये प्रोजेक्ट, रोड, रेल, मेट्रो, पानी जैसी सुविधाओं से जुड़े हुए हैं। आज व्यापार जगत को मजबूती देने वाली आधुनिक ‘भारत रत्नम’ और ‘नेस्ट-वन’ बिल्डिंग भी मुंबई को मिली हैं। इसमें से अधिकतर प्रोजेक्ट्स तब शुरू हुए थे, जब महाराष्ट्र में पहली बार डबल इंजन की सरकार बनी थी। इसलिए, महाराष्ट्र में देवेंद्र जी से लेकर अब एकनाथ शिंदे जी, अजीत पवार जी तक, पूरी टीम के प्रयासों का परिणाम है, मैं उन सबको बधाई देता हूं।
मैं आज महाराष्ट्र की बहनों को भी बधाई दूंगा। इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं का आना, इन माताओं-बहनों का हमें आशीर्वाद देना, इससे बड़ा सौभाग्य क्या होता है। देश की माताओं-बहनों-बेटियों के सशक्तिकरण की जो गारंटी और जो गारंटी मोदी ने दी है ना, उसको महाराष्ट्र सरकार भी आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री महिला सक्षमीकरण अभियान, नारी शक्तिदूत एप्लिकेशन और लेक लाडकी योजना, ऐसा ही एक उत्तम प्रयास है। आज यहां इस आयोजन में हमें आशीर्वाद देने के लिए इतनी बड़ी संख्या में हमारी माताएं-बहनें और बेटियां आई हुई हैं। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की नारी शक्ति का आगे आना, नेतृत्व करना, उतना ही आवश्यक है।
हमारी सरकार का निरंतर प्रयास है कि माताओं-बहनों-बेटियों के रास्ते में आने वाली हर रुकावट को दूर करें, उनकी जिंदगी आसान बनाएं। उज्ज्वला का गैस सिलेंडर हो, आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज की सुविधा हो, जनधन बैंक खाते हों, पीएम आवास के पक्के घर हों, घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हो, गर्भवती महिलाओं के बैंक खाते में 6 हजार रुपए भेजना हो, नौकरी करने वाली महिलाओं को वेतन के साथ 26 हफ्ते की छुट्टी देना हो, सुकन्या समृद्धि खातों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ब्याज देना हो, हमारी सरकार ने महिलाओं की हर चिंता का ध्यान रखा है। डबल इंजन की सरकार, किसी भी राज्य में हो, महिला कल्याण, उसकी सबसे प्रमुख हमारी गारंटी है। आज जो योजनाएं शुरू हो रही हैं, वो भी इसी दिशा में बड़ा कदम हैं।
बीते कई दिनों से देश में मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक-अटल सेतु की चर्चा हो रही है। आज जो कोई अटल सेतु को देख रहा है, जो इसकी तस्वीरें देख रहा है, वो गौरव से भर उठता है। कोई इसकी विशालता से, समंदर के बीच इसकी अडिग छवि से मंत्रमुग्ध है। कोई इसकी इंजीनियरिंग से प्रभावित है। जैसे, इसमें जितनी वायर लगी है, उससे पूरी पृथ्वी के दो बार चक्कर लग सकते हैं। इस प्रोजेक्ट में जितना लोहा-स्टील इस्तेमाल किया है, उससे 4 हावड़ा ब्रिज और 6 स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण हो सकता है। कोई इस बात से खुश है कि अब मुंबई और रायगढ़ की दूरी और सिमट गई है। जिस यात्रा में पहले कई घंटे लगते थे, अब वही यात्रा कुछ मिनटों में ही हो जाया करेगी। इससे नवी मुंबई के साथ-साथ पुणे और गोवा भी मुंबई के और पास आ जाएंगे। इस ब्रिज को बनाने में जापान ने जो सहयोग किया है, उसके लिए मैं जापान सरकार का भी विशेष रूप से आभारी हूं। मैं आज अपने प्रिय मित्र स्वर्गीय शिंजो आबे को जरूर याद करूंगा। इस ब्रिज के निर्माण को जल्द से जल्द पूरा करने का संकल्प हम दोनों ने मिलकर लिया था।
लेकिन साथियों, अटल सेतु को हम इतने सीमित दायरे में नहीं देख सकते। अटल सेतु, भारत की उस आकांक्षा का जयघोष है, जिसका आह्वान साल 2014 में पूरे देश ने किया था। जब मुझे चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी, तो 2014 के चुनाव से कुछ समय पहले मैं रायगढ़ किले पर गया था। छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने बैठ करके कुछ पल मैंने बिताए थे। उन संकल्पों को सिद्धि में बदलने की उनकी इच्छा शक्ति, जनशक्ति को राष्ट्र शक्ति बनाने की उनकी दूरदृष्टि, सब कुछ मेरी आंखों के सामने और आशीर्वाद बन करके आया था। उस बात को 10 साल हो रहे हैं। इन 10 वर्षों में देश ने अपने सपनों को सच होते देखा है, अपने संकल्पों को सिद्धियों में बदलते हुए देखा है। अटल सेतु इसी भावना का प्रतिबिंब है।
युवा साथियों के लिए, ये नया विश्वास लेकर आ रहा है। उनके बेहतर भविष्य का रास्ता अटल सेतु जैसे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से होकर ही गुज़रता है। अटल सेतु, विकसित भारत की तस्वीर है। विकसित भारत कैसा होने वाला है, उसकी एक झलक है। विकसित भारत में सबके लिए सुविधा होगी, सबकी समृद्धि होगी, गति होगी, प्रगति होगी। विकसित भारत में दूरियां सिमटेंगी, देश का कोना-कोना जुड़ेगा। जीवन हो या आजीविका, सब-कुछ निरंतर, बिना रुकावट के चलेगा। यही तो अटल सेतु का संदेश है।
बीते 10 वर्षों में भारत बदल गया है, इसकी चर्चा खूब होती है। बदले हुए भारत की तस्वीर तब और साफ हो जाती है जब हम 10 वर्ष पहले के भारत को याद करते हैं। 10 साल पहले, हजारों, लाखों करोड़ रुपए के Mega Scams की चर्चा होती थी। आज हजारों करोड़ रुपए के mega-projects के पूरा होने की चर्चा होती है। सुशासन का ये संकल्प, देशभर में दिख रहा है।
देश ने, नॉर्थ ईस्ट में भूपेन हजारिका सेतु और बोगीबील ब्रिज जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स पूरे होते देखे हैं। आज अटल टनल और चिनाब ब्रिज जैसे प्रोजेक्ट्स की चर्चा होती है। आज एक के बाद एक बनते एक्सप्रेस-वे की चर्चा होती है। आज हम भारत में आधुनिक और भव्य रेलवे स्टेशन्स बनते देख रहे हैं। ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर, रेलवे की तस्वीर बदलने वाले हैं। वंदे भारत, नमो भारत, अमृत भारत ट्रेनें, सामान्य जन के सफर को आसान और आधुनिक बना रही हैं। आज हर कुछ सप्ताह में देश के किसी न किसी कोने में नए एयरपोर्ट का लोकार्पण होता है।
यहीं मुंबई में, महाराष्ट्र में ही इन वर्षों में, अनेक मेगा प्रोजेक्ट्स या तो पूरे हो चुके हैं या फिर बहुत जल्द पूरे होने वाले हैं। पिछले साल ही बाला साहेब ठाकरे समृद्धि महामार्ग का लोकार्पण हुआ है। नवी मुंबई एयरपोर्ट और कोस्टल रोड प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम चल रहा है। कोस्टल रोड प्रोजेक्ट से, मुंबई महानगर की कनेक्टिविटी का कायाकल्प होने जा रहा है। ऑरेंज गेट, ईस्टर्न फ्री वे और मरीन ड्राइव की अंडरग्राउंड टनल कनेक्टिविटी, मुंबई शहर में Ease of Travel बढ़ाएगी।
आने वाले कुछ सालों में ही मुंबई को पहली बुलेट ट्रेन भी मिलने वाली है। दिल्ली-मुंबई इकॉनॉमिक कॉरिडोर, महाराष्ट्र को मध्य भारत और उत्तर भारत से जोड़ने जा रहा है। महाराष्ट्र को तेलंगाना, छत्तीसगढ़, और अन्य पड़ोसी राज्यों से जोड़ने के लिये Transmission Line Network बिछाया जा रहा है। इसके अलावा, ऑयल और गैस पाइपलाइन हो, औरंगाबाद इंडस्ट्रियल सिटी हो, नवी मुंबई एयरपोर्ट हो, शेंद्र-बिडकिन इंडस्ट्रियल पार्क हो, ये बड़ी परियोजनाएं, महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को नई गति देने वाली हैं।
आज पूरा देश प्रत्यक्ष देख रहा है कि टैक्सपेयर का पैसा किस तरह देश के विकास में लग रहा है। लेकिन देश पर दशकों तक शासन करने वालों ने देश का समय और टैक्सपेयर का पैसा, दोनों की परवाह नहीं की। इसलिए पहले के दौर में कोई प्रोजेक्ट या तो जमीन पर उतरता ही नहीं था, या फिर दशकों तक लटका रहता था। महाराष्ट्र तो ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स का साक्षी रहा है। निलवंडे डैम का काम 5 दशक पहले शुरू हुआ था। इसे हमारी सरकार ने ही पूरा किया। ऊरण-खारकोपर रेल लाइन पर भी लगभग 3 दशक पहले काम शुरू हुआ था। ये भी डबल इंजन सरकार ने ही पूरा किया है। नवी मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट भी लंबे समय तक लटका रहा। यहां डबल इंजन की सरकार बनने के बाद हमने इसे गति दी और अब पहला चरण पूरा हो चुका है।
ये जो अटल सेतु आज हमें मिला है, इसकी प्लानिंग भी कई सालों पहले से चल रही थी। यानी मुंबई के लिए इसकी ज़रूरत तबसे अनुभव की जा रही थी, लेकिन इसे पूरा करने का सौभाग्य हमें मिला। और आप याद रखिए, बांद्रा-वर्ली सी लिंक प्रोजेक्ट, अटल सेतु से करीब 5 गुना छोटा है। पहले की सरकार में उसको बनते-बनते 10 साल से ज्यादा लगे थे और बजट 4-5 गुणा अधिक बढ़ गया था। ये तब सरकार चला रहे लोगों के काम करने का तरीका था।
अटल सेतु जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स सिर्फ सुविधा ही नहीं देते बल्कि रोज़गार के भी बहुत बड़े साधन होते हैं। इसके निर्माण के दौरान मेरे करीब 17 हज़ार मज़दूर भाई-बहनों और 1500 इंजीनियर्स को सीधा रोजगार मिला। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट से जुड़े कारोबार, निर्माण से जुड़े दूसरे बिजनेस में जो रोजगार मिला, वो अलग है। अब ये इस पूरे क्षेत्र में हर प्रकार के बिजनेस को बल देगा, Ease of Doing Business, Ease of Living इसको बढ़ाएगा।
आज भारत का विकास, दो पटरियों पर एक साथ हो रहा है। आज एक तरफ, गरीब का जीवन बेहतर बनाने के लिए महाअभियान हैं, तो दूसरी तरफ, देश के कोने-कोने में चल रही महा-परियोजनाएं हैं। हम अटल पेंशन योजना भी चला रहे हैं और अटल सेतु भी बना रहे हैं। हम आयुष्मान भारत योजना भी चला रहे हैं और वंदेभारत-अमृत भारत ट्रेनें भी बना रहे हैं। हम पीएम किसान सम्मान निधि भी दे रहे हैं और पीएम गतिशक्ति भी बना रहे हैं। आज का भारत, ये सब कुछ एक साथ कैसे कर पा रहा है? इसका जवाब है- नीयत और निष्ठा। हमारी सरकार की नीयत साफ है। आज सरकार की निष्ठा सिर्फ और सिर्फ देश के प्रति और देशवासियों के प्रति है। और जैसी नीयत होती है, जैसी निष्ठा होती है, वैसी ही नीति भी होती है, और जैसी नीति होती है वैसी ही रीति भी होती है।
जिन्होंने लंबे समय तक देश पर शासन किया, उनकी नीयत और निष्ठा, दोनों सवालों के घेरे में रही है। उनकी नीयत सिर्फ सत्ता हासिल करने की रही, वोट बैंक बनाने की रही, अपनी तिजोरियां भरने की रही। उनकी निष्ठा, देशवासियों के प्रति नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ अपने परिवारों को आगे बढ़ाने तक ही सीमित रही। इसलिए, वो न विकसित भारत के बारे में सोच सके, न आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को लक्ष्य बना सके। इससे देश का कितना नुकसान होता है, ये जानना भी ज़रूरी है। मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं। 2014 से पहले के 10 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सिर्फ 12 लाख करोड़ रुपए का बजट दिया गया था। जबकि हमारी सरकार ने 10 वर्षों में 44 लाख करोड़ रुपए का बजट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिया है। तभी तो आज देश में इतने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। महाराष्ट्र में ही केंद्र सरकार, करीब 8 लाख करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स या तो पूरा कर चुकी है या उन पर काम चल रहा है। ये राशि हर सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों को भी बढ़ा रही है।
हम आज देश के हर परिवार को बुनियादी सुविधाओं के सैचुरेशन यानी शत-प्रतिशत कवरेज का मिशन चल रहे हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत, आज मोदी की गारंटी वाली गाड़ी, देश के कोने-कोने में पहुंच रही है। मोदी की गारंटी, वहां से शुरू होती है, जहां दूसरों से उम्मीदें खत्म हो जाती हैं। हमारी बहनों-बेटियों ने तो ये सबसे अधिक अनुभव किया है। गांव हो या शहर, साफ-सफाई से लेकर पढ़ाई, दवाई और कमाई, हर योजना का सबसे अधिक लाभ हमारी माताओं-बहनों को हुआ है। पीएम जन औषधि केंद्रों पर 80 परसेंट डिस्काउंट के साथ दवाई दी जा रही है।
मोदी की गारंटी, गरीब परिवार की बहनों को पक्का घर देने की है। जिन्हें पहले किसी ने नहीं पूछा उन्हें पहली बार मोदी ने पूछा है, उन्हें बैंकों से मदद दिलवाई है। पीएम स्वनिधि योजना से यहां मुंबई के भी हजारों रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहनों को फायदा हुआ है। हमारी सरकार महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को भी मदद दे रही है। बीते कुछ सालों में हमने अनेक बहनों को लखपति दीदियां बनाया है। और अब मेरा संकल्प है कि आने वाले सालों में 2 करोड़, ये आंकड़ा सुन करके कुछ लोग चौंक जाते हैं, 2 करोड़ महिलाओं को मैं लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य ले करके चल रहा हूं।
महाराष्ट्र की NDA सरकार ने भी जो ये नया अभियान चलाया है, ये नारी सशक्तिकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री महिला सक्षमीकरण अभियान और नारी शक्तिदूत अभियान से महिलाओं के विकास को नई गति मिलेगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, डबल इंजन सरकार, महाराष्ट्र के विकास के लिए ऐसे ही समर्पित भाव से काम करती रहेगी। महाराष्ट्र, विकसित भारत का एक मजबूत स्तंभ बने, इसके लिए हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।
एक बार फिर आप सभी को, इन नए प्रोजेक्ट्स के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। माताओं-बहनों को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं। आपने इतनी बड़ी तादाद में आकर हमें आशीर्वाद दिए।