संसद ने आज ऐतिहासिक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित किया
संसद ने आज ऐतिहासिक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को पारित कर दिया। केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने आज इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और उच्च सदन द्वारा इसे पारित कर दिया गया।अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास उनकी सहमति के लिए भेजा जाएगा।
बंदरगाहों से जुड़े बुनियादी ढांचे के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार एवं वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का लक्ष्य निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना है। यह विधेयक तेज और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करता है। इस विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन के मॉडल का पुनर्विन्यास लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के रूप में करना है।इस विधेयक से प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मददमिलेगी।यह विधेयक निर्णयलेने की प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्तता लाकरऔर मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने के लिए सशक्त बनायेगा।
प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
यह विधेयक प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि इसमें ओवरलैपिंग करने वाले और पुराने पड़ चुके अनुच्छेदों को समाप्त करके अनुच्छेदों की कुल संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।
नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा 17 से 19 सदस्यों की जगह 11 से 13 सदस्य ही होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों से लैस एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने की प्रक्रिया और रणनीतिक योजना निर्माण को मजबूतीदेगा। प्रमुख बंदरगाह की अवस्थिति वाले राज्य सरकार, रेल मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, सीमा शुल्क, राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों के अलावा सरकार की तरफ से एक नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्राधिकरण के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को इस बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं, जोकि सार्वजनिक – निजी साझेदारी (पीपीपी) वाली परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित बंदरगाह से जुड़ी अन्य सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का पैमाना तय करने के अधिकार दिए गए हैं।
एक न्यायिक निर्णय करने वाला (एडजुडीकेटरी) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी से संबंधित रियायत पाने वालों के बीच उत्पन्न विवादों को देखने, संकट में पड़ी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने और संकट में पड़ीऐसी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के तरीके सुझाने और ऐसी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय सुझाने और बंदरगाहों/ बंदरगाहों के भीतर काम करने वालेनिजी ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।
बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते उपजी आपातकालीन स्थिति से निपटने के मामले में पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति जरुरीथी।
प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, किसी भी किस्म के विकास या बुनियादी ढांचे के संदर्भ में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करने का अधिकारी होगा।
बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा सीएसआर और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित प्रावधान पेश किए गए हैं।
प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े लाभ समेत वेतन एवं भत्ते और सेवा शर्तों को सुरक्षित करने के प्रावधान किए गए हैं।