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परषोत्तम रुपाला ने मूल्य-वर्धित मांस उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पशु रोग मुक्त जोन बनाने की अपील की

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन मंत्री परषोत्तम रुपाला ने मूल्य-वर्धित मांस उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों से देश में क्षेत्र-विशिष्ट पशु रोग मुक्त जोन के निर्माण की दिशा में काम करने की अपील की है।

रुपाला ने नई दिल्ली में एपीडा द्वारा आयोजित मूल्य-वर्धित मांस उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय व्यवसाय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि पोल्ट्री पक्षी के बीच रोग के एकल प्रकोप के मामले में भी समस्त देश को ‘रोग प्रभावित’ संदर्भित कर दिया जाता है।

रुपाला ने सिक्किम को जैविक राज्य के मॉडल रूप में घोषित किए जाने और इसकी उपज को बाजार में एक प्रीमियम को समझे जाने को संदर्भित करते हुए कहा, “सभी हितधारकों को निश्चित रूप से छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए और एक समय में छोटे क्षेत्रों- कुछ जिलों को रोग मुक्त घोषित करने के लिए काम करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य के मामले में भारत को रोग मुक्त बनाने के लिए कार्रवाई योग्य बिंदुओं के साथ एक रूपरेखा तैयार करने के लिए सभी हितधारकों के साथ एक सर्वेक्षण आरंभ करने की आवश्यकता है। रुपाला ने कहा, “इसके साथ-साथ, हमारे पास दूषित क्षेत्रों और क्वारंटाइन की पहचान करने के लिए एक कार्य योजना होनी चाहिए, जिस प्रकार हमने कोविड-19 की रोकथाम के लिए किया है।”

उन्होंने कहा कि पशु हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जीवन रक्षक प्रणाली हैं, वे कठिन समय में जीविका प्रदान करते हैं और विशेष रूप से ग्रामीण लोगों के लिए पोषण का एक बड़ा स्रोत, प्रोटीन प्रदान करते हैं। पशु उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम करने की आवश्यकता है।

रुपाला ने मूल्य-वर्धित मांस उत्पादों और पोर्क और पोर्क उत्पादों के निर्यात पर दो नियमावली भी जारी कीं।

यह उल्लेखित करते हुए कि पशुपालन मंत्रालय उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए पशु कल्याण, स्वास्थ्य और पोषण में सुधार हेतु अवसंचरना के विकास के लिए काम कर रहा है, उन्होंने कहा कि जहां विश्व भारत के कोविड-19 टीकाकरण की रिकॉर्ड संख्या को स्वीकार करता है, सरकार वर्तमान में पशुओं के बीच मुंहपका एवं खुरपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के उन्मूलन के लिए पशुओं के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चला रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर, 2019 में, देश में पशुधन के बीच एफएमडी और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने और मिटाने के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम लॉन्‍च किया था। केंद्र ने केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के तहत 12,652 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसका उद्देश्य दोनों बीमारियों को कम करने के प्रयास में देश में 600 मिलियन से अधिक मवेशियों का टीकाकरण करना है।

रुपाला ने अच्छी गुणवत्ता वाले मांस का उत्पादन करने और इसके द्वारा गुणवत्ता वाले मूल्य-वर्धित उत्पादों हेतु पशुपालन के लिए पशु फार्म स्थापित करने के लिए पशुधन उद्योग को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, पशुपालन अवसंरचना विकास कोष और राष्ट्रीय पशुधन मिशन की योजनाओं का लाभ उठाने की भी अनुशंसा की।

एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने स्वागत भाषण में प्रतिनिधियों को जानकारी दी कि किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत ने मांस के निर्यात में अग्रणी भूमिका निभाई है और कोविड- 19 महामारी के दौरान भी वृद्धि की गति बनाए रखी है। डॉ. अंगमुथु ने कहा, “जैविक शहद और मछली उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि अर्जित करते हुए भारत फ्रोजेन और गोजातीय मांस का सबसे बड़ा निर्यातक है।”

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा एपीडा के वरिष्ठ अधिकारियों के अतिरिक्त, अल्लाना संस लिमिटेड, वेंकटेश्वर हैचरीज, लुलु ग्रुप, हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, मयूर पिग्गरी फार्म, दर्शन फूड्स, आईटीसी समूह, एओवी प्राइवेट लिमिटेड, हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज, सुअर पर एनआरसी, निफ्टेम-कुंडली और अन्य के प्रतिनिधित्व वाले पशुधन उद्योग की अग्रणी कंपनियों के अधिकारियों ने दिन भर चलने वाली इस बैठक में भाग लिया।

एपीडा मानकों और विशिष्टताओं को निर्धारित करने, पैकेजिंग, विपणन रणनीतियों में सुधार का सुझाव और सहायता देने, निर्यात के लिए उत्पादों के विकास की सुविधा प्रदान करने, निर्यात क्षेत्रों की स्थापना और गंतव्य बाजारों में सम्बन्धित आयातकों के साथ हमारे निर्यातकों को जोड़ने के लिए क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करने के द्वारा कृषि और पशु ताजा और प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है।

निर्यातकों के साथ-साथ एपीडा ने मांस और मांस उत्पादों सहित आम, अंगूर, केले, बेकरी उत्पादों जैसे कई सेक्टरों में कई सफलता गाथाएं लिखी हैं।