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बिहार में महाराष्ट्र से अधिक लोग शराब पी रहे हैं – पढिए इस ख़बर पर सचिन सार्थक का व्यंग

दुनियवालों किन्तु किसी दिन आ बिहारलय में देखो

दिन को होली रात दिवाली रोज मनाती मधुशाला

अगर आज हरिवंश राय बच्चन साहब ज़िंदा होते तो अपनी कविताओं में मदिरालय की जगह बिहारलय का ही प्रयोग करते, तभी मैं बैठे-बैठे सोच रहा था कहीं उनकी आत्मा को ठेस पहुँच रही होंगी, सो हमने झट से ये उनकी हार्दिक इच्छा पूरी कर दी.

एक दिन धरती पर ब्राह्मण,राजपूत,भूमिहर,अहीर,डोम,चमार सारी जातियां बराबर हो जाएंगी, लेकिन शराब पीने के मामले में बिहार की बराबरी कोई भी राज्य नही कर पाएगा।

अगर नीतीश चचा खुली छूट दे दें तो बिहार वालन सब न जाने केतना राज्य को अपना पासंगा में रख देगा। काहे कि यहाँ के लोग घड़ी देख के न घड़ा देख के पीता है।

और पहला पैक पीने से पहले जो ज़मीनवन पर ढारा जाता है न वो यही से ईजाद हुआ था। पूछने पर कहता है सब हम धरती माता को जगाते है। काहे कि इ धरती पर पाप बहुत बढ़ गया है.

माता को जगाने का यह बहुते सरल तरीक़ा है. और एक बार धरती माता जग गई तो बिहार में जितनी बेगारी,भ्रष्टाचार,लूट,मार,काट मचा है सब चुटकी में ख़त्म हो जाएगा.

अभी कौनों सुनवाई न है मगर उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में धरती माता जग जाएंगी.

और वो अपना इंग्लिश पीकर इंग्लिश बोलने वाला ईजाद सुन कर नशा के वैज्ञानिक कोमा में चला जाएगा. ये कैसे मुमकिन है की दो पैक के बाद अंगूठा छाप वाला भी इंग्लिश बोलने लगता है.

खैर बिहार ख़ाली पीने में ही आगे नही है खाने में भी बहुत आगे है. कभी थाने,ब्लॉक घूम के देख लीजिएगा। इसका अंदाज़ा कर्मचारी और अफ़सरों का निकला हुआ तोंद के आगे तना हुआ शर्ट से लग जाएगा.

अब आगे से जब दिल्ली में मुझसे कोई पूछेगा कहाँ से बीलोंग करते हो, तो हम बे झिजक कह देंगे है खाते पीते हुए राज्य से…

कितना अमेजिंग फ़ीलिंग्स है न अच्छा लगता है बिहार को खाते-पीते हुए देखना राम करे पीते ही जाए, और पिये…  महाराष्ट्र को बहुत पीछे छोड़ के पंजाब से बहुत दूर निकल जाए…