पटना (बिहार) से पांडु (गुवाहाटी) तक जहाज पर खाद्यान्न की पायलट आवाजाही से ‘गेटवे ऑफ नॉर्थ ईस्ट’ के लिए एक नया द्वार खुलेगा: पीयूष गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पटना (बिहार) से पांडु (गुवाहाटी) तक जहाज पर खाद्यान्न की पायलट आवाजाही से ‘गेटवे ऑफ नॉर्थ ईस्ट’ के लिए एक नया द्वार खुलेगा।
पटना से पांडु तक खाद्यान्न ले जा रहे एमवी लाल बहादुर शास्त्री जहाज को झंडी दिखाकर रवाना करने और कलुघाट (बिहार) में टर्मिनल के शिलान्यास के अवसर पर आज वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि यह 2,350 किलोमीटर की यात्रा ‘गेटवे ऑफ नॉर्थ ईस्ट’ (असम) का नया द्वार खोलेगी और गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए निर्बाध जलमार्ग कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि ‘एमवी लाल बहादुर शास्त्री’ नामक जहाज को झंडी दिखाकर रवाना करने से मुझे शास्त्री जी के ‘जय जवान जय किसान’ के नारे की याद आ जाती है।
उन्होंने कहा, “यह हमारे किसानों को उनकी पहुंच का विस्तार करके और उन्हें बेहतर मूल्य तथा बेहतर जीवन प्रदान करके आत्मनिर्भर बना देगा। यह कार्यक्रम ‘एक्ट ईस्ट’ नीति तथा बिहार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के समावेशी विकास के लिए प्रधानमंत्री के संयुक्त दृष्टिकोण का एक आदर्श प्रदर्शन है।”
पीयूष गोयल ने कहा कि कालूघाट, बिहार में 78 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इंटरमॉडल टर्मिनलसे इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अनेक अवसर पैदा होंगे। इससे उत्तर बिहार की सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र में कार्गो के परिवहन के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि पटना से यह मार्ग पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए खाद्यान्न और माल की आवाजाही के पारंपरिक तरीके के लिए एक व्यवहार्य विकल्प साबित हो सकता है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करेगा। श्री गोयल ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में जहाजों की निर्बाध आवाजाही के लिए, बांग्लादेश के साथ 305 करोड़ रुपये की लागत से भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) रूट के 2 हिस्सों को विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण को लेकर पूर्वोत्तर के लिए पीएम-डिवाइन नामक नई योजना के लिए बजट में 1,500 करोड़ रुपये के आवंटन से युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका संबंधी गतिविधियों को पूरा किया जा सकेगा।
कुल मिलाकर माल ढुलाई परिवहन में अंतर्देशीय जल परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए जलमार्ग बुनियादी ढांचे और इकोसिस्टम के समग्र विकास के लिए, सरकार द्वारा उठाए गए चार प्रमुख कदमों के बारे में चर्चा करते हुएश्री गोयल ने कहा कि पीएम गतिशक्ति के तहत, जलमार्ग उन 7 इंजनों में से एक है जो आर्थिक विकास और सतत विकास के लिए परिवर्तनकारी शक्ति हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से किसानों तथा एमएसएमई के लिए दूरी की बाधाओं को दूर करने के लिए दक्षता हासिल करने के क्रम में 7 इंजनों का उपयोग करते हुए परिवहन लागत में कमी लाना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण है।
उन्होंने कहा कि 2,000 टन तक के जहाजों की सुरक्षित आवाजाही के लिए सरकार ने एनडब्ल्यू-1 (गंगा) की क्षमता बढ़ाने के लिए 4,600 करोड़ रुपये की लागत से जलमार्ग विकास परियोजना शुरू की है। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना में वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टी-मॉडल टर्मिनलों का निर्माण/स्थापना, आरओ-आरओ टर्मिनल, जेट्टियों, पोत मरम्मत और रखरखाव सुविधाएं आदि शामिल हैं। सागरमाला के तहत वाणिज्यिक केंद्रों को बंदरगाहों के साथ जोड़ने के लिए 80 कनेक्टिविटी परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
गोयल ने यह भी कहा कि 24 राज्यों में 106 नए जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है, जिससे इनकी संख्या 111 हो गई है। उन्होंने कहा कि इन नदियों के विकास में नदी शिपिंग और नेविगेशन तथा गोदाम की सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे का रखरखाव शामिल होगा।
उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश की मित्रता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और श्रीमती शेख हसीना केनेतृत्व में नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि हमारी मैत्री व्यापार, निवेश, खाद्य सुरक्षा और प्रौद्योगिकी में बहुआयामी तथा निकटतापूर्ण सहयोग के साथ एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है तथा भारत एवं बांग्लादेश के बीच लगातार बढ़ती मित्रता का प्रमाण है। यह पहला खाद्यान्न आंदोलन राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी), एनडब्ल्यू-97 (सुंदरबन), भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्ग औरएनडब्ल्यू-2 (ब्रह्मपुत्र नदी) के माध्यम से एक समन्वित पीडब्ल्यूटी आंदोलन होगा।
कोविड महामारी के दौरान दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य आपूर्ति प्रणाली को चलाने मेंभारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के प्रयासों की सराहना करते हुए गोयल ने कहा कि एफसीआई राष्ट्र की जीवन रेखा रही है। उन्होंने कहा कि पीएमजीकेएवाई के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की गई है और सरकार ने कोविड महामारी के दौरान पीएमजीकेएवाई I से लेकर पीएमजीकेएवाई V तक 758 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया है। उन्होंने बताया कि देश की 97 प्रतिशत जनसंख्या को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से जोड़ा जा चुका है।
उन्होंने यह भी कहा कि एफसीआई लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप आदि जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों की सेवा कर रहा है। इससे पहले 2014-15 से 2016-17 में, एफसीआई ने एनएफआर में गेज परिवर्तन के दौरान आईबीपी जलमार्ग मार्ग के माध्यम से ~22हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न अगरतला में पहुंचाया था। श्री गोयल ने एफसीआई खाद्यान्नों की नदी के किनारे की आवाजाही के साथ संगतता में सुधार लाने, गोदामों का उन्नयन, चोरी को कम करने के लिए पैकिंग में सुधार, खाद्यान्न को लंबे समय तक सुरक्षित रखनेके उपाय, दक्षता में सुधार के लिए तकनीक के इस्तेमाल आदि के बारे में सुझाव आमंत्रित किए।
प्रधानमंत्री के उद्धरण “भारत दुनिया की एक प्रमुख नीली अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। सरकार जलमार्गों में इस तरह से निवेश कर रही है जो पहले कभी नहीं देखा गया था” के बारे में गोयल ने कहा कि शिपिंग मंत्रालय और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरणके सहयोग से एफसीआई नदियों के माध्यम सेआवाजाही की संभावनातलाशने और उसे बढ़ाने की दिशा में निरंतर प्रयासरतरहेगा,जो परिवहन का सबसे अधिक पर्यावरण अनुकूल, स्वच्छ और किफायती साधन है।