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पीयूष गोयल ने संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस) की समीक्षा की

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने व्यापार में सुगमता, निर्यात और रोजगार को बढ़ावा देकर भारतीय कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (एटीयूएफएस) की समीक्षा की। कपड़ा मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी।

कपड़ा मंत्री गोयल और कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जरदोश ने कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित पांचवीं अंतर मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) की बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, कपड़ा उद्योग संघों और बैंकों के साथ योजना की समीक्षा की।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, “उन्होंने व्यापार में सुगमता, निर्यात और रोजगार को बढ़ावा देकर भारतीय कपड़ा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना की समीक्षा की।”

वस्त्र मंत्रालय संयुक्त निरीक्षण को सब्सिडी समर्थन के आकार से जोड़ने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण का उपयोग करके संयुक्त निरीक्षण से जुड़ी प्रक्रिया को सरल करेगा, जोकि मौजूदा शत प्रतिशत के बजाय 50 लाख रुपये से कम वाले वर्ग पर बोझ को कम करेगा।

सचिव (वस्त्र) और वस्त्र आयुक्त मशीनरी निर्माताओं और सहायक उपकरण / स्पेयर पार्ट्स निर्माताओं को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया के सरलीकरण के तौर-तरीकों पर विचार करेंगे।

पीयूष गोयल ने कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान आने वाली बाधाओं के बावजूद, वस्त्र मंत्रालय और वस्त्र आयुक्त कार्यालय ने नीतिगत बाधाओं को दूर करने तथा दावों के निपटारे की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि बैंक गारंटी के बरक्स आंशिक सब्सिडी जारी करने का एक विकल्प पेश करके वस्त्र उद्योग में तरलता प्रवाह को कम करने की दिशा में एक विशेष उपाय किया गया।

उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि एटीयूएफएस की स्थापना के बाद से इसके तहत निपटाए गए कुल दावों में से लगभग 61 प्रतिशत दावों का निपटारा महामारी की अवधि यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान किया गया है।

केन्द्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि वस्त्र मंत्रालय और वस्त्र आयुक्त को भौतिक सत्यापन से संबंधित तंत्र के स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वचालित सत्यापन की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा भौतिक निरीक्षण के स्थान पर इकाइयों द्वारा मशीनरी के स्वप्रमाणन तथा वस्त्र आयुक्त के कार्यालय द्वारा आकस्मिक सत्यापन के प्रावधान पर विचार किया जा सकता है।