प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर महाखेल को संबोधित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर महाखेल को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कबड्डी मैच भी देखा। जयपुर ग्रामीण से लोकसभा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 2017 से जयपुर महाखेल का आयोजन कर रहे हैं।
इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस व्यापक प्रतिस्पर्धा में पदक विजेता खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और उनके परिवारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह खिलाड़ी खेल के मैदान में केवल भाग लेने के लिए नहीं बल्कि जीतने और सीखने के लिए आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जीत तभी सुनिश्चित होती है, जब उसमें सीखने की लगन शामिल होती है।’’ उन्होंने कहा कि कोई भी खिलाड़ी खेल के मैदान से खाली हाथ नहीं जाता।
इस प्रतिस्पर्धा में खेल के क्षेत्र में भारत का नाम नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले कई नामचीन चेहरों की उपस्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एशियाई खेलों के पदक विजेता राम सिंह, ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार विजेता पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया, अर्जुन पुरस्कार विजेता साक्षी कुमारी और अन्य वरिष्ठ एथलीटों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के ये प्रसिद्ध खिलाड़ी जयपुर महाखेल में युवा एथलीटों का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पूरे देश में खेल प्रतिस्पर्धाओं और खेल महाकुंभों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है और यह पहल व्यापक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करती है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि राजस्थान की भूमि युवाओं के जोश और उत्साह के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का प्रमाण है कि इस भूमि के बच्चों ने अपने पराक्रम से युद्ध के मैदान को खेल के मैदान में बदल दिया है। जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो राजस्थान के युवा हमेशा दूसरों से आगे रहते हैं। प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के युवाओं की मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को आकार देने के लिए राजस्थान की खेल परंपराओं को इसका श्रेय दिया। उन्होंने दादा, सितोलिया और रुमाल झपट्टा जैसे पारंपरिक खेलों का उदाहरण दिया जो मकर संक्रांति के दौरान आयोजित किए जाते हैं और सैकड़ों वर्षों से राजस्थान की परंपराओं का हिस्सा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने राजस्थान के कई एथलीटों, जिन्होंने अपने खेल योगदान के साथ तिरंगे को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, का उल्लेख करते हुए कहा कि जयपुर के लोगों ने एक ओलंपिक पदक विजेता को अपने सांसद के रूप में चुना है। उन्होंने सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि वह सांसद खेल प्रतिस्पर्धाओं के रूप में योगदान देकर युवा पीढ़ी को खेल के मैदान में वापस ला रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अधिक व्यापक परिणामों के लिए ऐसे प्रयासों के विस्तार पर जोर देने के साथ-साथ जयपुर महाखेल के सफल आयोजन को इन प्रयासों की अगली महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में चिन्हित किया। जयपुर महाखेल की सफलता का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस वर्ष के संस्करण में 600 से अधिक टीमों और 6,500 युवाओं ने भाग लिया है। उन्होंने 125 से अधिक लड़कियों की टीमों की भागीदारी का भी उल्लेख किया जो एक सुखद संदेश देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आजादी के अमृतकाल में देश नई परिभाषा गढ़ रहा है, नई व्यवस्था बना रहा है।” उन्होंने कहा कि खेलों को आखिरकार राजनीतिक के बजाय एथलीट के नजरिए से देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है और उनकी क्षमताओं, स्वाभिमान, स्वावलंबन, सुविधाओं तथा संसाधनों की ताकत का एहसास होने पर हर लक्ष्य आसान हो जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण की झलक इस साल के बजट में भी देखी जा सकती है। उन्होंने बताया कि खेल मंत्रालय को 2014 से पहले के 800-850 करोड़ रुपये की तुलना में इस साल 2500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा, “देश का खेल बजट 2014 से लगभग तीन गुना बढ़ गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि अकेले ‘खेलो इंडिया’ अभियान के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं जो देश में खेल सुविधाओं और संसाधनों के विकास पर खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवाओं में खेलों के लिए जुनून और प्रतिभा की कमी नहीं थी, लेकिन संसाधनों की अनुपलब्धता और सरकार से समर्थन की कमी के कारण बाधाएं उपस्थित हुई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि एथलीटों के सामने आने वाली इन समस्याओं का आज समाधान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पिछले 5-6 वर्षों से आयोजित होने वाले जयपुर महाखेल का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के कोने-कोने में खेल महाकुंभ का आयोजन भाजपा के सांसदों द्वारा किया जा रहा है, जहां हजारों युवाओं की प्रतिभा उभर कर सामने आ रही है।
प्रधानमंत्री ने इन सफलताओं के लिए केंद्र सरकार को श्रेय दिया, क्योंकि जिला और स्थानीय स्तर पर खेल सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। देश के सैकड़ों जिलों में लाखों युवाओं के लिए खेल से संबंधित सुविधाओं के विकास के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने राजस्थान राज्य पर प्रकाश डाला, जहां कई शहरों में खेल से संबंधित सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज देश में खेल विश्वविद्यालय स्थापित हो रहे हैं और खेल महाकुंभ जैसे बड़े कार्यक्रम भी पेशेवर तरीके से आयोजित किए जा रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय के लिए इस वर्ष के बजट में अधिकतम धनराशि आवंटित की गई है। उन्होंने खेल प्रबंधन और खेल प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रत्येक विषय को सीखने के लिए एक ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे युवाओं को इन क्षेत्रों में अपना करियर बनाने का अवसर मिले।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “हमारी सरकार इस बात पर ध्यान दे रही है कि पैसे की कमी के कारण कोई भी युवा पीछे न छूटे।” उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार अब सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सालाना 5 लाख रुपये तक का समर्थन कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख खेल पुरस्कारों में दी जाने वाली राशि को भी बढ़ाकर तीन गुना कर दिया गया है। टॉप्स जैसी योजनाओं का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक जैसी बड़ी वैश्विक प्रतियोगिताओं में भी सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ पूरी ताकत के साथ खड़ी है।
न केवल खेल के क्षेत्र में बल्कि दैनिक जीवन में भी फिटनेस बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है। उन्होंने खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसे अभियानों के बारे में चर्चा करते हुए, फिटनेस में आहार और पोषण की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, ”आप फिट होंगे, तभी आप सुपरहिट होंगे।” प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाने की जानकारी दी और कहा कि राजस्थान बाजरा, अन्न की एक बहुत समृद्ध परंपरा का स्थान है। प्रधानमंत्री ने कहा, “राजस्थान के अन्न-बाजरा और अन्न-ज्वार, इस जगह की पहचान हैं।” प्रधानमंत्री ने यहां बने बाजरे के दलिया और चूरमा को याद करते हुए यह बात कही। उन्होंने सभी युवाओं से अन्न को न केवल अपने आहार में में शामिल करने, बल्कि उसका ब्रांड एंबेसडर बनने की भी अपील की।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि आज के युवा अपनी बहु-प्रतिभाशाली और बहुआयामी क्षमताओं के कारण सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि एक ओर जहां आधुनिक खेल से संबंधित सुविधाएं विकसित की जा रही है, वहीं इस बजट में बच्चों और युवाओं के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय का भी प्रस्ताव किया गया है, जहां शहर से गांव तक हर स्तर पर विज्ञान, संस्कृत और इतिहास जैसे हर विषय की किताबें उपलब्ध होंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “खेल केवल एक शैली नहीं है, बल्कि एक उद्योग है, क्योंकि खेल से संबंधित चीजें और संसाधन बना रहे एमएसएमई के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है।“ उन्होंने खेल क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई को मजबूत करने के लिए बजट में की गई कई महत्वपूर्ण घोषणाओं की जानकारी दी। उन्होंने पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान यानि पीएम विकास योजना का उदाहरण दिया और कहा कि यह योजना शारीरिक कौशल और हाथ के औजारों से काम करने वाले लोगों के लिए बहुत मददगार साबित होगी। उन्होंने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता से हमारे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और उनके लिए नए बाजार भी तैयार होंगे।
संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “जब पूरे मन से प्रयास किए जाते हैं, तो परिणाम सुनिश्चित होते हैं।” उन्होंने टोक्यो ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान देश के प्रयासों पर प्रकाश डाला और कहा कि परिणाम सबके सामने हैं। उन्होंने कहा कि जयपुर महाखेल के दौरान किए गए प्रयासों के भविष्य में शानदार परिणाम मिलेंगे। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “देश के लिए अगला स्वर्ण और रजत पदक विजेता आपके बीच से निकलेगा। अगर आप निश्चित कर लेंगे, तो ओलिंपिक में भी तिरंगे की शान बढ़ा पायेंगे। आप जहां भी जाएंगे देश का नाम रोशन करेंगे। मुझे विश्वास है, हमारे युवा देश की सफलता को बहुत आगे ले जाएंगे।“
इस अवसर पर जयपुर ग्रामीण से लोकसभा सदस्य राज्यवर्धन सिंह राठौर और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।