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हुबली-धारवाड़, कर्नाटक में विकास कार्यों के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन

मुझे इस साल की शुरुआत में भी हुबली आने का सौभाग्य मिला था। जिस तरह हुबली के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों ने सड़कों के किनारे खड़े होकर मुझे आशीर्वाद दिया, वो पल मैं कभी भूल नहीं सकता हूं इतना प्यार, इतने आशीर्वाद। बीते समय में मुझे कर्नाटक के अनेक क्षेत्रों में जाने का अवसर मिला है। बेंगलुरू से लेकर बेलागावी तक, कलबुर्गी से लेकर शिमोगा तक, मैसूर से लेकर तुमकुरू तक, मुझे कन्नड़िगा लोगों ने जिस तरह का स्नेह दिया है, अपनापन दिया है, एक से बढ़कर एक, आपका ये प्यार, आपके आशीर्वाद अभिभूत करने वाले हैं। ये स्नेह आपका मुझ पर बहुत बड़ा ऋण है, कर्ज है और इस कर्ज को मैं कर्नाटक की जनता की लगातार सेवा करके चुकाउंगा। कर्नाटक के प्रत्येक व्यक्ति का जीवन खुशहाल हो, यहां के नौजवानों को आगे बढ़ने के, रोजगार के लगातार नए अवसर मिलें, यहां की बहन-बेटियां और सशक्त हों, इसी दिशा में हम मिलकर काम कर रहे हैं। भाजपा की डबल इंजन की सरकार, कर्नाटक के हर जिले, हर गांव, हर कस्बे के पूर्ण विकास के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रही है। आज धारवाड़ की इस धरा पर विकास की एक नई धारा निकल रही है। विकास की ये धारा हुबली, धारवाड़ के साथ ही, पूरे कर्नाटक के भविष्य को सींचने का काम करेगी, उसे पुष्पित और पल्लवित करने का काम करेगी।

सदियों से हमारा धारवाड़ मलेनाडु और बयालू सीमे इसके बीच गेटवे टाउन, यानी द्वार के रूप में जाना जाता रहा है। अलग-अलग क्षेत्रों के यात्रियों के लिए ये नगर एक पड़ाव होता था। इसने हर किसी का दिल खोलकर के स्वागत किया, और हर किसी से सीखकर खुद को समृद्ध भी किया। इसीलिए धारवाड़ केवल एक गेटवे ही नहीं रहा, बल्कि ये कर्नाटक और भारत की जीवंतता का एक प्रतिबिंब बन गया। इसे कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है। धारवाड़ की पहचान साहित्य से रही है, जिसने डॉ डी. आर. बेंद्रे जैसे साहित्यकार दिये हैं। धारवाड़ की पहचान समृद्ध संगीत से रही है, जिसने पंडित भीमसेन जोशी, गंगूभाई हंगल और बासवराज राजगुरु जैसे संगीतज्ञ दिये हैं। धारवाड़ की धरती ने पंडित कुमार गंधर्व, पंडित मल्लिकार्जुन मानसुर, जैसे महान रत्नों को दिया है। और धारवाड़ की पहचान यहाँ के स्वाद से भी है। ऐसा कौन होगा, जिसने एक बार ‘धारवाड़ पेड़ा’ का स्वाद लिया हो और फिर उसका मन उसे दोबारा खाने का ना किया हो। लेकिन हमारे साथी प्रहलाद जोशी मेरे स्वास्थ्य का बहुत ख्याल रखते हैं, इसलिए उन्होंने आज मुझे पेड़ा तो दिया, लेकिन बंद बॉक्स में दिया।

आज धारवाड़ में IIT के इस नए कैम्पस की दोहरी खुशी है। यहां हिंदी समझ में आता है इस तरफ। ये कैंपस, धारवाड़ की पहचान को और मजबूत करने का काम करेगा।

यहाँ आने से पहले मैं अभी मंड्या में था। मंड्या में मुझे ‘बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेस वे’ कर्नाटक की और देश की जनता को समर्पित करने का सौभाग्य मिला। ये एक्सप्रेस वे कर्नाटक को दुनिया के सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी हब के रूप में और आगे ले जाने का रास्ता तैयार करेगा। अभी कुछ ही दिन पहले बेलागावी में कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ था। शिमोगा में कुवेम्पु एयरपोर्ट का inauguration भी हुआ था। और, अब धारवाड़ में IIT का ये नया कैम्पस कर्नाटक की विकासयात्रा में नया अध्याय लिख रहा है। एक इंस्टीट्यूट के रूप में यहां की high-tech facilities IIT-धारवाड़ को वर्ल्ड के बेस्ट institutes के बराबर पहुँचने की प्रेरणा देंगे।

ये संस्थान, भाजपा सरकार की संकल्प से सिद्धि का भी उदाहरण है। 4 साल पहले फरवरी 2019 में मैंने इस आधुनिक इंस्टीट्यूट का शिलान्यास किया था। बीच में कोरोना काल था, काम करने में अनेक दिक्कतें थी। लेकिन उसके बावजूद भी मुझे खुशी है कि 4 साल के भीतर-भीतर IIT-धारवाड़ आज एक futuristic institute के रूप में तैयार हो चुका है। शिलान्यास से लोकार्पण तक, डबल इंजन सरकार इसी स्पीड से काम करती है और मेरा तो संकल्प रहता है जिसका शिलान्यास हम करेंगे उसका उद्घाटन भी हम ही करेंगे। होती है, चलती है शिलान्यास करो पत्थर रखो और भूल जाओ वो वक्त चला गया है।

आजादी के बाद कई दशकों तक हमारे यहां यही सोच रही कि अच्छे शिक्षण संस्थाओं का विस्तार होगा तो उसके ब्रांड पर असर पड़ेगा। इस सोच ने देश के युवाओं का बहुत नुकसान किया है। लेकिन अब नया भारत, नौजवान भारत, इस पुरानी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। अच्छी शिक्षा हर जगह पहुंचनी चाहिए, हर किसी को मिलनी चाहिए। जितने ज्यादा उत्तम इंस्टीट्यूट होंगे, उतने ज्यादा लोगों तक अच्छी शिक्षा की पहुंच होगी। यही वजह है कि बीते 9 वर्षों में भारत में अच्छे एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की संख्या लगातार बढ़ रही है। हमने AIIMS की संख्या तीन गुना कर दिया। आजादी के बाद 7 दशकों में जहां देश में सिर्फ 380 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं पिछले 9 वर्षों में 250 मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। इन 9 वर्षों में देश में अनेकों नए IIM और IIT खुले हैं। आज का ये कार्यक्रम भी भाजपा सरकार की इसी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

21वीं सदी का भारत, अपने शहरों को आधुनिक बनाते हुए आगे बढ़ रहा है। भाजपा सरकार ने हुबली-धारवाड़ को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया था। आज इसके तहत यहां अनेक स्मार्ट परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ है। इसके अलावा एक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स की आधारशिला रखी गई है। टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट गवर्नेंस की वजह से आने वाले दिनों में हुबली धारवाड़ का ये क्षेत्र विकास की नई ऊंचाई पर जाएगा।

पूरे कर्नाटक में श्री जयदेव हॉस्पिटल ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट पर भी बहुत भरोसा किया जाता है। इसकी सेवाएं बेंगलुरु, मैसूर और कलबुर्गी में मिलती हैं। आज हुबली में इसके नए ब्रांच की आधारशिला रखी गई है, इसके बनने के बाद इस क्षेत्र के लोगों को बहुत बड़ी सुविधा हो जाएगी। ये क्षेत्र पहले से ही Health Care Hub है। अब नए अस्पताल से यहां के और ज्यादा लोगों को फायदा होगा।

धारवाड़ और उसके आसपास के क्षेत्र में पीने के साफ पानी को उपलब्ध कराने के लिए भी केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत यहां एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की योजना का शिलान्यास हुआ है। इसके द्वारा रेणुका सागर जलाशय और मालाप्रभा नदी का जल, नल के जरिए सवा लाख से ज्यादा घरों तक पहुंचाया जाएगा। धारवाड़ में जब नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार होगा तो इससे पूरे जिले के लोगों को फायदा होगा। आज तुपरीहल्ला फ्लड डैमेज कंट्रोल प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी गई है। इस प्रोजेक्ट के द्वारा बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।

आज मुझे एक और बात की बहुत प्रसन्नता है। कर्नाटक ने कनेक्टिविटी के मामले में आज एक और माइलस्टोन को छू लिया है। और कर्नाटक को ये गौरव दिलाने का सौभाग्य हुबली को मिला है। अब सिद्धरूधा स्वामीजी स्टेशन पर दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। लेकिन ये सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं है, ये सिर्फ एक प्लेटफॉर्म का विस्तार नहीं है। ये विस्तार है उस सोच का, जिसमें हम इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देते हैं। होसपेट–हुबली–तिनाईघाट सेक्शन का इलेक्ट्रिफिकेशन और होसपेट स्टेशन का अपग्रेडेशन हमारे इसी विजन को ताकत देता है। इस रूट से बड़े पैमाने पर उद्योगों के लिए कोयले की ढुलाई होती है। इस लाइन के इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण की सुरक्षा होगी। इन सारे प्रयासों से क्षेत्र के आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सिर्फ आंखों को अच्छा लगने के लिए नहीं होता, ये जीवन को आसान बनाने वाला होता है। ये सपनों को साकार करने का रास्ता बनाता है। जब हमारे यहां अच्छी सड़कें नहीं थीं, अच्छे अस्पताल नहीं थे, हर वर्ग, हर आयु के लोगों को कितनी परेशानी होती थी। लेकिन आज जब नए भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, तो सभी को इसका लाभ मिल रहा है। अच्छी सड़कों से स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवाओं को आसानी होती है। आधुनिक हाईवे से किसानों को, मज़दूरों को, व्यापार करने बिजनेस वाले को, दफ्तर आने वाले लोगों को, मिडिल क्लास को, हर किसी को लाभ होता है। इसलिए हर कोई अच्छा-आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर चाहता है। और मुझे खुशी है कि बीते 9 वर्षों से देश लगातार अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम कर रहा है। पिछले 9 वर्ष में देश के गांवों में पीएम सड़क योजना के माध्यम से सड़कों का नेटवर्क दोगुना से अधिक हो चुका है। नेशनल हाइवे नेटवर्क में 55% से अधिक वृद्धि हो चुकी है। सिर्फ सड़क ही नहीं, बल्कि देश में आज एयरपोर्ट और रेलवे का भी अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। पिछले 9 वर्षों में देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी से अधिक हो चुकी है।

साल 2014 से पहले देश में इंटरनेट की, भारत की डिजिटल ताकत की चर्चा बहुत कम होती थी। लेकिन आज भारत दुनिया की सबसे ताकतवर डिजिटल इकॉनॉमीज़ में से एक है। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने सस्ता इंटरनेट उपलब्ध कराया, गांव-गांव इंटरनेट पहुंचाया। पिछले 9 वर्षों में हर दिन औसतन ढाई लाख ब्रॉडबैंड कनेक्शन दिए गए हैं, प्रतिदिन ढाई लाख कनेक्शन।

इंफ्रा के विकास में ये गति इसलिए आ रही है, क्योंकि आज देश और देशवासियों की ज़रूरत के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। पहले राजनीतिक लाभ-हानि देखकर ही रेल, रोड ऐसे प्रोजेक्ट्स की घोषणा होती थी। हम पूरे देश के लिए पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान लेकर आए हैं, ताकि जहां-जहां भी देश में ज़रूरत है, वहां तेज़ गति से इंफ्रास्ट्रक्चर बन सके।

आज देश में सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हो रहा है। साल 2014 तक देश की एक बड़ी आबादी के पास पक्का घर नहीं था। टॉयलेट के अभाव के कारण हमारी बहनों को कितने कष्ट उठाने पड़ते थे। लकड़ी-पानी के इंतजाम में ही बहनों का पूरा समय चला जाता था। गरीब के लिए अस्पताल की कमी थी। अस्पताल में इलाज महंगा था। हमने एक-एक करके इन समस्याओं का समाधान किया। गरीब को अपना पक्का घर मिला, बिजली-गैस कनेक्शन मिला, टॉयलेट मिला। अब हर घर नल से जल की सुविधा मिल रही है। घर-गांव के निकट अच्छे अस्पताल बन रहे हैं, अच्छे कॉलेज-यूनिवर्सिटी बन रहे हैं। यानि आज हम अपने युवाओं को हर वो साधन दे रहे हैं, जो आने वाले 25 साल के संकल्प सिद्ध करने में उनकी मदद करेंगे।

आज जब मैं भगवान बसवेश्वर की धरती पर आया हूं तो खुद को और धन्य महसूस कर रहा हूं। भगवान बसवेश्वर के अनेक योगदानों में सबसे प्रमुख है-अनुभव मंडपम की स्थापना। इस लोकतांत्रिक व्यवस्था का दुनिया भर में अध्ययन होता है। और ऐसी अनेक बातें है, जिसके कारण हम दावे के साथ कहते हैं भारत सिर्फ largest democracy नहीं, भारत mother of democracy भी है। ये मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे कुछ वर्ष पूर्व लंदन में भगवान बसवेश्वर की प्रतिमा के लोकार्पण का अवसर मिला। लंदन में भगवान बसवेश्वर, लोकतंत्र की मजबूत नींव का प्रतीक अनुभव मंडपम। वो भगवान बसवेश्वर लंदन की धरती पर उनकी मूर्ति लेकिन ये दुर्भाग्य है कि लंदन में ही भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाने का काम किया गया। भारत के लोकतंत्र की जड़ें, हमारे सदियों के इतिहास से सींची गई हैं। दुनिया की कोई ताकत भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। बावजूद इसके कुछ लोग भारत के लोकतंत्र को लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। ऐसे लोग भगवान बसवेश्वर का अपमान कर रहे हैं। ऐसे लोग कर्नाटक के लोगों का, भारत की महान परंपरा का, भारत के 130 करोड़ जागरूक नागरिकों का अपमान कर रहे हैं। ऐसे लोगों से कर्नाटक के लोगों को भी सतर्क रहना है।

कर्नाटक ने बीते वर्षों में जिस तरह से भारत को tech-future के रूप में पहचान दिलाई है, ये समय उसे और आगे बढ़ाने का है। कर्नाटक हाइटेक इंडिया का इंजन है। इस इंजन को डबल इंजन की सरकार की पावर मिलनी बहुत जरूरी है।

एक बार फिर हुबली-धारवाड़ के लोगों को विकास के प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ बोलें– भारत माता की जय। दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए – भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।