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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कटक में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज कटक में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस-2023 का उद्घाटन किया। ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर तथा ओडिशा के कृषि और किसान अधिकारिता, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री, रणेंद्र प्रताप स्वैन भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि चावल भारत में खाद्य सुरक्षा का आधार है और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख कारक भी है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में भव्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत चावल का अग्रणी उपभोक्ता और निर्यातक है, जिसका काफी श्रेय इस संस्थान को जाता है, लेकिन जब देश आजाद हुआ तो स्थिति अलग थी। राष्ट्रपति ने कहा कि उन दिनों हम अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ थे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर थे। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ, चावल नए स्थानों पर उगाए जाने लगे और इसे नए उपभोक्ता मिले। उन्होंने कहा कि धान की फसल के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। मुर्मु ने कहा कि सूखा, बाढ़, चक्रवात अब अधिक बार आते हैं, जिससे चावल की खेती अधिक प्रभावित हो जाती है। उन्होंने कहा कि भले ही नई भूमि पर चावल उगाए जा रहे हैं, लेकिन कई ऐसी जगह हैं जहां पारंपरिक किस्मों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमें बीच का रास्ता निकालना होगा, एक ओर हमें पारंपरिक किस्मों को संरक्षित करना होगा और दूसरी ओर ईकोसिस्टम के संतुलन को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी को बचाने की चुनौती भी है, हमें मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए ऐसे उर्वरकों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे देश के वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल चावल उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए इसके पोषण संबंधी पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। मुर्मु ने कहा कि कम आय वाले समूहों का एक बड़ा वर्ग चावल पर निर्भर रहता है, जो अक्सर उनके दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है, इसलिए चावल के माध्यम से प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान-एनआरआरआई द्वारा देश के पहले उच्च प्रोटीन वाले चावल के विकास पर उन्होंने कहा कि इस तरह की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों का विकास आदर्श है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि देश का वैज्ञानिक समुदाय इस चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम होगा।

केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री तोमर ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए सरकार कृषि को प्राथमिकता देने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र ने बहुत प्रगति की है क्योंकि हमारे किसानों की कड़ी मेहनत को वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा पूरक बनाया गया है। तोमर ने कहा कि हम न केवल खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हैं, बल्कि दुनिया की मदद करने वाले देशों में से एक हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है। कृषि मंत्री ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प है कि देश में कोई भी बच्चा या व्यक्ति कुपोषित न रहे। तोमर ने कहा कि कुपोषण की समस्या को हल करने के लिए पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए चावल की बायोफोर्टिफाइड किस्मों का उत्पादन किया जाना चाहिए और इस दिशा में कदम उठाते हुए संस्थान ने सीआर 310, 311 और 315 किस्मों का विकास किया है। उन्होंने बताया इस संस्थान ने चावल की 160 किस्में विकसित की हैं। तोमर ने कहा कि प्रयोगिक परियोजना शुरू करते हुए बायोफोर्टिफाइड चावल को पीडीएस के अंतर्गत वितरित करने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में चावल का उत्पादन 2010 में केवल 89 मिलियन टन था, जो किसानों और वैज्ञानिकों के प्रयासों से 2022 में 46 प्रतिशत बढ़कर 130 मीट्रिक टन हो गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और इसके निर्यात में हम नंबर एक पर हैं।

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले साढ़े 8 वर्षों में राष्ट्रपति की देखरेख में फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को मुआवजा देने की पहल की है, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, के साथ-साथ पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 2.24 लाख करोड़ रुपये 11.5 करोड़ किसानों को उनकी आय में सहायता के प्रयास में उनके खातों में पैसा जमा कर उन्‍हें सुरक्षा कवच दिया है। तोमर ने कहा कि लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने और पानी की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृषि में प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है, इसके लिए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार डिजिटल कृषि मिशन पर राज्यों के साथ काम कर रही है, जिसके लिए बजट में 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, उनके कल्याण के लिए प्रधानमंत्री ने अल्पावधि ऋण को 2014 के 6-7 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, ताकि छोटे किसान कर्ज के लिए साहूकारों के बोझ तले न दबें, इसने निश्चित रूप से किसानों को सशक्त बनाया है। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार का प्रयास रहा है, जिसके लिए एक लाख करोड़ रुपये कृषि अवसंरचना कोष और अन्य कृषि तथा संबद्ध क्षेत्र के लिए प्रावधान किया गया है और 1.5 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे निजी निवेश के द्वार खुल गए हैं और गांवों को आवश्यक अधोसंरचना उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। तोमर ने कहा कि कृषि अवसंरचना कोष में परियोजनाओं के लिए अब तक 16,000 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिससे हमारे देश की कृषि को लाभ होने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि यह 1 लाख करोड़ रुपये जल्द से जल्द धरातल पर पहुंचे, इस प्रयास में हम निजी निवेश को शामिल कर कृषि को उन्नत और लाभकारी साधन बनाने की दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कांग्रेस में धान की खेती को लेकर बेहतर रूपरेखा तैयार की जाएगी।

ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि चावल हमारे देश के लोगों का मुख्य भोजन है और यह हमारी संस्कृति एवं परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने पौराणिक कथाओं से भगवान कृष्ण और सुदामा की कहानी का उल्लेख करते हुए कहा कि चावल खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को हल कर सकता है। उन्होंने कई लोगों के मुख्य भोजन के रूप में चावल के महत्व को रेखांकित किया। ओडिशा के कृषि मंत्री स्वैन ने कहा कि ओडिशा न केवल चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि 6 अन्य राज्यों को चावल की आपूर्ति भी करता है। उन्होंने कहा कि ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में चावल का उत्पादन बढ़ाने की काफी गुंजाइश है।

उद्घाटन समारोह में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. पी.के. अग्रवाल, एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स के अध्यक्ष डॉ. ए.के. नायक, संस्थान के निदेशक एवं आयोजन सचिव डॉ. एस. साहा उपस्थित थे। चार दिवसीय कांग्रेस में देश-विदेश के किसान, वैज्ञानिक, केन्द्रीय व राज्य कृषि व अन्य विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।