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प्रधानमंत्री ने असम में महत्‍वपूर्ण तेल और गैस परियोजनाओं और इंजीनियरिंग कॉलेजों का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज असम में धेमाजी से दूरमधुबन, डिब्रूगढ़ में इंडियन ऑयल की बोंगाईगाँव रिफाइनरीकी इंडमैक्‍स इकाई, ऑयल इंडिया लिमिटेड के सेकेंडरी टैंक फार्म और हेबेडा गांव, मकुम, तिनसुखिया में एक गैस कम्‍प्रेसर स्‍टेशन राष्‍ट्र को समर्पित किया। उन्होंने धेमाजी इंजीनियरिंग कॉलेज का भी उद्घाटन किया और असम में सुआलकूची इंजीनियरिंग कॉलेज की आधारशिला रखी।

इस अवसर पर असम के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र भारत का नया विकास इंजन होगा और वह असम के लोगों के लिए अधिक काम करने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे आठ दशक पहले ब्रह्मपुत्र नदी के उत्‍तरी तट ने असमी सिनेमा को जन्म दिया था। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र ने असम की संस्कृति का गौरव बढ़ाने वाली अनेक हस्तियों को जन्‍म दिया है। उन्होंने कहा कि केन्‍द्र और राज्य सरकारें असम के संतुलित विकास के लिए मिलकर काम कर रही हैं और इसका प्रमुख आधार राज्य का बुनियादी ढांचा है।

विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्‍तरी तट में बड़ी संभावनाओं के बावजूद, पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया और इस क्षेत्र के लिए सम्‍पर्क, अस्पतालों, शिक्षा संस्थानों, उद्योगों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता नहीं दी। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्‍वास’ के मंत्र पर काम कर रही है और इस भेदभाव को दूर किया है। उन्होंने असम में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सूची गिनाई, जिनका उद्घाटन सरकार द्वारा किया गया था।

उन्होंने कहा, आज, इस क्षेत्र में ऊर्जा और शिक्षा से जुड़ी 3000 करोड़ रुपये से अधिक की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में इस क्षेत्र की पहचान को मजबूत करेंगी और असम के प्रतीक के रूप में कार्य करेंगी।

प्रधानमंत्री ने भारत की शक्ति और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निरंतर आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों में, भारत में शोधन क्षमता बहुत बढ़ गई है, खासकर बोंगाईगांव रिफाइनरी में।

उन्होंने कहा कि आज शुरू होने वाला गैस इकाई संयंत्र एलपीजी उत्पादन की क्षमता बढ़ाएगा और असम और पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन को आसान बनाएगा। यह इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने उज्जवला योजना के माध्यम से गरीब बहनों और बेटियों को उन पीड़ाओं से मुक्त किया है जिसे उन्हें अपनी रसोई में लकड़ी से धुएं के कारण सहना पड़ता था। उन्होंने आज कहा, आज असम में गैस कनेक्टिविटी लगभग 100 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि केन्‍द्रीय बजट में इस बार 1 करोड़ गरीब बहनों को उज्जवला रसोई गैस कनेक्शन देने का प्रावधान किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब लोग गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन और उर्वरक की कमी से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के सात दशकों के बाद भी जिन 18,000 गांवों में बिजली नहीं थी, उनमें से ज्यादातर असम और पूर्वोत्तर के थे और सरकार ने इसे सुधारने की दिशा में काम किया है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कई उर्वरक उद्योगों को बंद कर दिया गया था या गैस की कमी के कारण बीमार घोषित कर दिया गया था, जिससे गरीब, जरूरतमंद और मध्यम वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।

मोदी ने कहा कि प्रधान मंत्री उर्जा गंगा योजना के तहत, पूर्वी भारत को दुनिया के सबसे बड़े पाइपलाइन नेटवर्क में से एक से जोड़ा जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की जबरदस्‍त प्रतिभा का पूल आत्‍मनिर्भर भारतको प्रोत्साहन देने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। पिछले वर्षों में, हम देश में एक वातावरण बनाने के लिए काम कर रहे थे, जहाँ देश के युवा स्टार्ट अप के साथ समस्याओं को हल कर सकते हैं। आज पूरी दुनिया भारत के इंजीनियरों को मान्‍यता दे रही है। असम के युवाओं में अद्भुत क्षमता है। राज्य सरकार इस क्षमता को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। असम सरकार के प्रयासों के कारण, आज राज्य में 20 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। आज, धेमाजी इंजीनियरिंग कॉलेज के उद्घाटन और सुआलकूची इंजीनियरिंग कॉलेजकी आधारशिला से यह स्थिति और मजबूत हुई है। उन्होंने घोषणा की कि तीन और इंजीनियरिंग कॉलेजों पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि असम सरकार नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश कर रही है। इससे असम के लोगों, विशेषकर चाय बागान के श्रमिकों, अनुसूचित जनजातियों के बच्चों को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषा का लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम चाय, हथकरघा और पर्यटन के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। आत्‍मनिर्भरता असम के लोगों की ताकत और क्षमताओं को बढ़ाएगी। चाय उत्पादन से आत्मनिर्भर असम का विजन मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, जब यहां के युवा खुद स्कूल और कॉलेज में इन कौशलों को सीखेंगे, तो इससे बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में, आदिवासी क्षेत्रों में सैकड़ों नए एकलव्य मॉडल स्कूल खोलने का प्रावधान किया गया है, जिसका असम को भी लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार असम के किसानों के लिए अपनी क्षमता और अपनी आय बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मत्स्य क्षेत्र में किसानों के लिए 20000 करोड़ रुपये की एक बड़ी योजना भी बनाई गई है, जिसका लाभ असम के लोगों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि असम में किसानों की उपज अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि उत्‍तरी तट का चाय बागान भी असम की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

उन्होंने छोटे चाय उत्पादकों को भूमि पट्टे पर देने के अभियान को शुरू करने के लिए असम सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि अब असम में लोगों की जरूरत विकास और प्रगति के दोहरे इंजन को मजबूत करना है।


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