प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में विभिन्न हरित जलमार्ग पहल का उद्घाटन किया, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यटन में प्रमुख उपलब्धि रहेगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के कुशल मार्गदर्शन में, भारत ने आज स्वच्छ ऊर्जा और दायित्वपूर्ण पर्यटन में एक नई प्रमुख उपलब्धि हासिल की है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के अंतर्गत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के माध्यम से कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित दो हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामरन जहाजों – एमवी गुह और एमवी निशादराज को राष्ट्र को समर्पित किया।
एमवी गुह अयोध्या में सरयू नदी पर और एमवी निषादराज वाराणसी में गंगा नदी पर नौकायन करेंगे। 50 यात्रियों की बैठने की क्षमता वाले ये अत्याधुनिक जहाज तेजी से चार्ज होने वाली बैटरी से संचालित होते हैं और वार्षिक 400 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये हरित जहाज राज्य में धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित, एमवी गुह और एमवी निषादराज जहाज़ों को अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित किया जाएगा।
भारत में शहरी जल परिवहन महानगरीय क्षेत्रों में भीड़भाड़ को कम करने और प्रदूषण को कम करने के लिए एक स्थायी समाधान के रूप में गति प्राप्त कर रहा है। जलमार्गों के विकास और आधुनिक जहाजों की शुरूआत जैसी पहलों के साथ, शहर में संपर्क बढ़ाने और पर्यावरण-अनुकूल आवागमन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए जल परिवहन को अपना रहे हैं।
इन तैनाती के साथ, भारत सरकार का लक्ष्य समुद्री क्षेत्र में हितधारकों के विश्वास को प्रोत्साहन देना और उन्हें 8 जनवरी 2024 को प्रकाशित हरित नौका-अंतर्देशीय वेसल्स ग्रीन ट्रांज़िशन दिशानिर्देशों के अंतर्गत हरित और स्वच्छ ईंधन में बदलाव की ओर ले जाना है।
हरित नौका दिशानिर्देश हरित जहाजों को अपनाकर समुद्री परिदृश्य को बदलने और हरित इकोसिस्टम के संचालन को स्थापित करने के लिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसका लक्ष्य ईंधन के कम/शून्य उत्सर्जन स्रोतों को अपनाना और वर्ष 2047 तक भारतीय जल में 100 प्रतिशत हरित जहाज़ों का संचालन करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके साथ ही, वाराणसी के घाटों पर चार सामुदायिक घाटों का उद्घाटन किया और वाराणसी में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या- 1 (एनडब्ल्यू- 1) और उत्तर प्रदेश के मथुरा और प्रयागराज में राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या- 110 के साथ 13 सामुदायिक घाटों की आधारशिला रखी।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा कार्यान्वित की जा रही जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 के 1390 किलोमीटर लंबे हिस्से की नौवहन क्षमता में सुधार करना है। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 (गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली) के किनारे रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के अंतर्गत साठ सामुदायिक घाट विकसित किए जा रहे हैं। इन सामुदायिक घाटों का उद्देश्य स्थानीय किसानों, व्यापारियों, उद्योगों को नजदीकी बाजारों तक आसानी से पहुंच प्रदान करना है, जिससे व्यापार और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें, पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके और भीतरी इलाकों के संपर्क में सुधार किया जा सके।
इसके अलावा, एक क्विक पोंटून ओपनिंग मैकेनिज्म सिस्टम (क्यूपीओएमएस) का भी उद्घाटन किया गया। क्विक पोंटून ओपनिंग मैकेनिज्म सिस्टम (क्यूपीओएमएस) त्वरित और कुशल तरीके से राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 पर कुल्फी पोंटून पुलों को मैन्युअल रूप से तोड़ने और फिर से जोड़ने में लगने वाले समय को कम करने में मदद करेगा, जिससे जहाज के साथ-साथ वाहन यातायात में होने वाली समग्र असुविधा और देरी में कमी आएगी। इस प्रकार क्विक पोंटून ओपनिंग मैकेनिज्म सिस्टम (क्यूपीओएमएस) की स्थापना से कुल लॉजिस्टिक लागत में कटौती करने और समय को छह घंटे से घटाकर 30 मिनट करने में सहायता मिलेगी।
इन नवोन्मेषी परियोजनाओं और बुनियादी ढांचे के शुभारंभ के साथ, राष्ट्र स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने, दायित्वपूर्ण पर्यटन को प्रोत्साहन प्रदान करने और अपने जलमार्गों में संपर्क बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार, हितधारकों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोगात्मक प्रयास सभी के लिए हरित भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण का उदाहरण हैं।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) का लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) के हिस्से के रूप में वर्ष 2030 तक अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की हिस्सेदारी को 5 प्रतिशत तक बढ़ाना है, जो समुद्री क्षेत्र के विकास और संपर्क में वृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में एक व्यापक प्रयास का संकेत देता है।
समुद्री अमृत काल विजन 2047 के अंतर्गत, 46 पहलों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल हिस्से को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख उपाय शामिल हैं। इन पहलों में तट के किनारे उत्पादन/मांग केंद्रों के पास बंदरगाह-आधारित समूह केंद्र और तटीय बर्थ का निर्माण शामिल है। इसके अतिरिक्त, सड़क, रेल और अंतर्देशीय जलमार्ग संपर्क और विस्तार परियोजनाओं की योजना है, साथ ही बंदरगाह बकाया और टर्मिनल शुल्क को कम करने के प्रयास भी हैं। मल्टीमॉडल परिवहन के लिए वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) में कटौती के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से खरीदे गए बंकर ईंधन और स्पेयर पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति जैसे राजकोषीय प्रोत्साहन भी प्रस्तावित हैं। वर्ष 2047 तक 50 जलमार्गों को चालू करना और कम-ड्राफ्ट पोत डिजाइन पेश करना, संभवतः टग-बार्ज कॉन्फ़िगरेशन के संयोजन में, इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से रणनीतियों में से एक हैं।