प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने कोविड-19 से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की
हाल ही में देश भर में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने देश में कोविड-19 की स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे एवं लॉजिस्टिक्स, दवाओं, टीकाकरण अभियान से जुड़ी तैयारियों की स्थिति और कोविड-19 के मामलों में आए हालिया उछाल से निपटने के उपाय के तौर पर उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण आवश्यक कदमों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा; नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल; वित्त सचिव टी. वी. सोमनाथन; स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण; फार्मास्यूटिकल्स सचिव एस. अपर्णा; नागरिक विमानन सचिव राजीव बंसल; आयुष सचिव राजेश कोटेचा; डीएचआर सचिव एवं डीजी आईसीएमआर राजीव बहल; जैव प्रौद्योगिकी सचिव राजेश एस. गोखले और सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने भाग लिया।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण द्वारा वैश्विक स्तर पर कोविड-19 की स्थिति का विवरण प्रदान करते हुए एक व्यापक प्रस्तुति दी गई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में आठ राज्यों (केरल, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान) में अधिकांश मामलों के साथ कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा, देश में किए जा रहे जांच की स्थिति के साथ-साथ पॉजिटिविटी दर में अचानक वृद्धि होने के बारे में भी प्रकाश डाला गया। इन आठ राज्यों में सक्रिय मामलों का विस्तृत विश्लेषण भी प्रस्तुत किया गया और इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि लगभग 92 प्रतिशत मामले होम आइसोलेशन के अधीन हैं।
इस प्रस्तुति में, जनवरी 2023 से हुई विभिन्न वेरिएंट की जीनोम सीक्वेंसिंग से संबंधित विवरण भी प्रदान किया और भारत में फैले वेरिएंट के अनुपात पर गौर किया गया। टीकाकरण की स्थिति पर भी चर्चा की गई। इसके बाद, देश भर में दवा की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे की तैयारी के बारे में चर्चा की गई। माननीय प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुरूप, बुनियादी ढांचे की सक्रियता का आकलन करने हेतु एक राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी और प्रतिभागियों के सामने इस मॉक ड्रिल की स्थिति प्रस्तुत की गई। इसके अलावा, कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के खर्च और दवाओं एवं टीके के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के लिए बजट प्रावधानों की भी समीक्षा की गई।
स्वास्थ्य सचिव ने यह भी बताया कि राज्यों को पहले ही यह सलाह दी जा चुकी है कि वे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बिना किसी पूर्व स्वीकृति के सीधे निर्माताओं से कोविड के टीकों की खुराक की अपेक्षित खरीद के लिए कदम उठा सकते हैं। राज्यों में स्थित निजी अस्पताल भी सीधे निर्माता से ऐसे टीकों की खरीद कर सकते हैं। एक बार खरीदे जाने के बाद इन टीकों के खुराकों को कोविड टीकाकरण के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार लोगों को दिया जा सकता है।
इस विस्तृत प्रस्तुति के बाद डॉ. पी.के. मिश्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्थानीय स्तर पर मामलों में आने वाले उछाल से निपटने के लिए यह जरूरी है कि उप-जिला स्तर पर पर्याप्त स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो और इसे राज्यों के परामर्श से सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि उभरते परिदृश्य के आधार पर राज्यों का मार्गदर्शन करने हेतु दिए जाने वाले का परामर्श का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और उसे उसी के अनुरूप अद्यतन किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, बैठक में उपस्थित लोगों ने यह विचार व्यक्त किया कि उभरते हुए हॉटस्पॉट की पहचान करने पर ध्यान देना अहम है और राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई मामलों के रुझानों की निगरानी करनी चाहिए, कोविड-19 की जांच के लिए पर्याप्त नमूने भेजने चाहिए और समग्र जीनोम सीक्वेंसिंग की गति बढ़ानी चाहिए।
डॉ. पी.के. मिश्रा ने जोर देकर कहा कि जांच-निगरानी-उपचार-टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की आजमायी हुई 5-सूत्री रणनीति को जारी रखना चाहिए और कोविड उपयुक्त व्यवहार के बारे में समुदाय के भीतर जागरूकता को बढ़ावा देना और नागरिकों को ढिलाई बरतने के खिलाफ सचेत करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने अधिकारियों को कोविड-19 की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की सलाह दी।