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राजस्थान की जल जीवन मिशन के तहत मार्च, 2022 तक 30 लाख नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना

राजस्थान ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण घरों में नल के पानी का कनेक्शन प्रदान करने की खातिर आज वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना, संतृप्ति योजना के विवरण के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश की।

राजस्थान ने 2024 तक हर घर नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल करने की योजना भी पेश की। योजना पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय समिति के सामने पेश की गयी।

राजस्थान में 1.01 करोड़ ग्रामीण घर हैं जिनमें से 19.61 लाख (19.3 प्रतिशत) घरों में नल के पानी का कनेक्शन मौजूद है। 2020-21 में ग्रामीण इलाकों में करीब 6.77 लाख नये कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। 2021-22 में राज्य की 30 लाख नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है।

जल जीवन मिशन केंद्र सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर में 2024 तक नल का पानी उपलब्ध कराना है। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में, राज्य को 2,522 करोड़ रुपये का केंद्रीय कोष जारी किया गया था। मौजूदा वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में, राज्य को जल जीवन मिशन के तहत केंद्रीय निधि के रूप में 5,500 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है।

राष्ट्रीय समिति ने राज्य से सामंजस्य के जरिए विभिन्न कोषों का इस्तेमाल करने की अपील की। राज्य मनरेगा, एसबीएम,पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, सीएएमपीए कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के अभिसरण द्वारा सभी उपलब्ध संसाधनों को एक साथ जोड़ेगा।

राजस्थान ने हर ग्रामीण घर में सतही जल स्रोतों से जल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, पानी की कमी वाले क्षेत्रों और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए बहु-ग्राम योजनाएं शुरू की हैं।

राज्य सरकार, पीने और खाना पकाने के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अतंरिम उपाय के तौर पर उन क्षेत्रों में सामुदायिक जल उपचार संयंत्रों को स्थापित करेगी जहां पाइप जलापूर्ति की प्रणाली लागू की जा रही है, जिसे पूरा होने में कुछ समय लगेगा।

वार्षिक कार्य योजना पीने के पानी के स्रोत को मजबूत बनाने/ संवर्द्धित करने, ग्रेवाटर ट्रीटमेंट और दोबारा इस्तेमाल तथागांव के भीतर ही जल आपूर्ति प्रणाली के संचालन एवं रखरखाव पर जोर देती है। राजस्थान में अधिकारियों, राज्य और जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई के इंजीनियरिंग काडर के कर्मचारियों, वीडब्ल्यूएससी सदस्यों, आईएसए कर्मियों आदि सहित 2,42,653 लोगों के गहन कौशल प्रशिक्षण की योजना है।

राज्य में लगभग 32,250 कर्मियों कोप्लंबर, इलेक्ट्रीशियन और पम्प ऑपरेटर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इन प्रशिक्षित कर्मियों का इस्तेमाल पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन और रखरखाव के लिए किया जाएगा।

जल जीवन मिशन के तहत समुदाय को पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पीएचई विभाग समुदाय को सशक्त बनाने और उससे जुड़ने में मदद कर रहा है। इसके लिए एक कार्य योजना लागू की गयी है जो फील्ड टेस्ट किट की समय पर खरीद और समुदाय को उसकी आपूर्ति, सामुदायिक सहभागिता के लिए हर गांव में कम से कम पांच महिलाओं की पहचान, महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण देने और जांच के परिणाम के निष्कर्ष बताने जैसी गतिविधियां सुनिश्चित करेगी। राजस्थान ने 2020-21 में पानी के नमूनों की गुणवत्ता जांच को तेज करने के लिए उपाय किए हैं।

राज्य की जिला स्तर की 27 प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल मान्यता और प्रखंड स्तर की 102 प्रयोगशालाओं एवं 21 मोबाइल प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल मान्यता हासिल करने की योजना है। राज्य में जिला जल जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना करने की और मौजूदा प्रयोगशालाओं को एनएबीएल मान्यता दिलाने की जरूरत है ताकि लोग न्यूनतम दरों पर अपने पानी की जांच करने में सक्षम हों।

एक वेब आधारित संपर्क (SAMPARK) पोर्टल राज्य में ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से उपभोक्ता शिकायतों को लॉग, मॉनिटर और निवारण करने के लिए काम कर रहा है। केंद्र ने राज्य से प्रखंड स्तर पर ग्राहक शिकायतों के निवारण के लिए पोर्टल का विस्तार और उन्नयन करने और जल जीवन मिशन के तहत सभी योजनाओं की प्रभावी निगरानी के लिए अपने कमांड कंट्रोल सेंटर को अपग्रेड करने का आग्रह किया है।

जल जीवन मिशन, हर गांव के लिए ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएसी), पानी समितियों आदि के माध्यम से योजनाओं के कार्यान्वयनमें सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान देता है। 38,823 ग्राम जल और स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है और इस वर्ष सामुदायिक योजना को लागू करने, गांवों की जल आपूर्ति प्रणाली को लागू करने एवं प्रबंधित करने के लिए 24,000 ग्राम कार्य योजना की तैयारी की गई है। राज्य, जल जीवन मिशन और जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी गांवों में आईईसी अभियान शुरू करेगा।

मिशन के तहत राज्य के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करने और वार्षिक कार्य योजना (एएपी) को अंतिम रूप देने के लिएहर साल यह आकलन अभ्यास किया जाता है। पेय जल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय समिति विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों एवं नीति आयोगके सदस्यों के साथ मिलकर प्रस्तावित योजना का आकलन करती है। एएपी को अंतिम रूप देने के बाद, राज्य को योजना की तिमाही प्रगति और समय-समय पर होने वाले खर्च के आधार परपूरे साल धनराशि जारी की जाती है। विस्तृत योजना अभ्यास, राज्य को उसके द्वारा तय की गयी समयसीमा के अनुरूप, लेकिन 2024 से पहले, समयबद्ध तरीके से ‘हर घर जल’ का लक्ष्य हासिल करने में राज्य की मदद करने के लिए किया जाता है।

जल जीवन मिशन के तहत, 2021-22 में मिशन के लिए 50,011 करोड़ रुपए के बजट आवंटन के अलावा, जल एवं स्वच्छता के लिए आरएलबी/पीआरआई को 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदानके तहत 26,940 करोड़ रु की सुनिश्चित निधि उपलब्ध करायी गयीहै, जो राज्य के हिस्से और बाहरी सहायता के साथ-साथ राज्य वित्त पोषित परियोजनाओं के बराबर है। इस तरह 2021-22 में ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश करने की योजना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के भारी निवेश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।