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Randeep Hooda ने किया सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का अंतिम संस्कार, पोस्ट कर लिखी ऐसी बातें रोने लगेंगे आप

जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में मारे गए सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का शनिवार देर रात निधन हो गया। 60 साल की उम्र में दलबीर कौर ने आखिरी सांस ली। बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) ने दलबीर कौर का अंतिम संस्कार किया और उन्हें मुखाग्नि दी। दलबीर कौर के निधन पर रणदीप हुड्डा पंजाब के तरनतारन के गांव भिखीविंड पहुंचे। रणदीप ने उनके शव को कंधा दिया। रणदीप हुड्डा की बेहद भावुक तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं।

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रणदीप हुड्डा दलबीर कौर को अपनी बहन मानते थे। इसके साथ ही रणदीप हुड्डा ने दलबीर कौर की याद में सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट भी लिखा है। उन्होंने लिखा, ‘घर जरूर आना, उन्होंने आखिरी बात कही थी। मैं गया बस वह चली गई थीं। कोई सपने में भी सोच नहीं सकता था कि दलबीर कौर जी हमें इतनी जल्दी छोड़कर चली जाएंगी। एक फाइटर, बच्चे की तरह, तेज और हर चीज के प्रति समर्पित। उन्होंने अपने प्यारे भाई सरबजीत को बचाने की कोशिश के लिए एक व्यवस्था, एक देश, लोगों से और खुद से लड़ाई लड़ी।’

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रणदीप हुड्डा आगे लिखते हैं, ‘बहुत भाग्यशाली था कि उनका प्यार और आशीर्वाद मिला और इस जिंदगी में राखी को कभी याद नहीं किया। विडंबना यह है कि जब हम आखिरी बार मिले थे, मैं पंजाब के खेतों में शूटिंग कर रहा था जहां हमने भारत-पाक सीमा बनाई थी। नवंबर की देर रात ठंड और कोहरा था लेकिन उन्हें इस सब की परवाह नहीं थी। वह खुश थीं कि हम सीमा के एक ही तरफ थे। “खुश रहो, जुग जुग जियो” वह अक्सर अपनी बातचीत इसके साथ समाप्त करती थीं। मैं वास्तव में धन्य महसूस करता हूं। दलबीर जी के पास समय नहीं था। आई लव यू, आई मिस यू और मैं हमेशा आपके प्यार और आशीर्वाद को संजोकर रखूंगा।’

गौरतलब है सरबजीत सिंह को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में जेल में बंद कर दिया गया था। वहीं पर उनकी मौत हो गई थी। सरबजीत की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘सरबजीत’ साल 2016 में आई थी जिसमें रणदीप हुड्डा ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में दलबीर कौर का रोल ऐश्वर्या राय ने किया था।

सरबजीत को पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवाद एवं जासूसी के लिए दोषी ठहराया था और 1991 में मौत की सजा सुनायी थी। हालांकि सरकार ने 2008 में सरबजीत को फांसी देने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद अप्रैल 2013 में लाहौर में कैदियों के हमले के बाद सरबजीत की मौत हो गई थी।

सरबजीत ने पाकिस्तान में दावा किया था कि वह एक किसान है और सीमा के निकट उसका घर है। वह भटक कर पाकिस्तान की सीमा में चला आया है, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसे फांसी की सजा सुना दी गई।