डियर रवि शंकर प्रसाद, – ‘हमारे यहाँ भी अनाज है, बिकवा दो प्लीज’

किसान आंदोलन को लेकर सरकार की तरफ से अलग – अलग बयानाजी हो रही है। भाजपा के नेता कभी किसानों को ‘टुकड़े – टुकड़े’ गैंग की सदस्यता दिलाने पर तुले हैं, तो कभी उन्हें ‘खालिस्तान’ का स्थापित सदस्य बता रहे हैं। जब बयानबाजी की बात हो तो भारत के कानून मंत्री ‘रवि शंकर प्रसाद’ कहाँ पीछे रहने वाले थे। पहले उन्होंने किसानों के आंदोलन को ‘हाइजेक’ बताया अब वो ट्वीटर पर गोभी बिकवा रहे हैं।

किसकी गोभी- किसके सर

एक वीडियो आपने देखा होगा। वीडियो बिहार का था। किसान ओम प्रकाश यादव ने खेत में गोभी की फसल लगाई थी। फसल तैयार भी हो गई थी, लेकिन बाजार में किसान को उसके फसल की अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही थी तो किसान ने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चल दी। सोशल मीडिया का ज़माना है। वीडियो वायरल हो गया। तब सामने आए शक्तिमान के स्टाइल में बयानवीर रवि शंकर प्रसाद सिंह। उन्होंने किसान की मदद की। उनकी फसल को दिल्ली में किसी खरीददार के हाथों दस रुपए प्रति किलो बिकवा दी। रवि शंकर प्रसाद को बहुत मोहब्बत हमारी तरफ से।

ट्वीटर को पूरा धुवाँ – धुवाँ कर दिए रवि शंकर प्रसाद जी

फसल बिकवाने में रवि शंकर प्रसाद को अप्रतिम सफलता मिली (मिलती भी कैसे नहीं मंत्री जो ठहरे)। किसान की फसल बिक गई। उसके बाद रवि शंकर प्रसाद ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी शेयर करते हुए कृषि कानूनों और MSP की तारीफ में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए। उन्होंने ऐसा बताया कि ये कानून सोन परी की जादू वाली छड़ी है, जो एक सेकंड में किसानों की समस्याओं को छु मंतर कर देगी।

अगर वीडियो वायरल नहीं होती तो?

किसान की फसल बिक गई। किसानों की फसल बिकनी चाहिए वो भी अच्छे दामों पर। लेकिन, अगर ये वीडियो वायरल नहीं होती तो क्या उस किसान को फसल की सही कीमत मिल पाती ? कितने ऐसे किसान हैं देश में जिनको फसल की कीमत नहीं मिल पाती है, तो क्या रवि शंकर बाबू सबके लिए उपलब्ध होंगे।

बिहार में पहले से ही बाजार खुला हुआ है। हमारे यहाँ जब चाहे जो चाहे फसल आके करोड़ सकता है। तो क्या इससे किसानों की हालत सुधर गई है? ये सवाल अपने आप से पूछिए। बिहार के किसानों की हालत किसी भी पैमाने पर देख लीजिए,वो आपको नेशनल एवरेज से नीचे ही मिलेगी। तो जो रवि शंकर प्रसाद कह रहे हैं वो महज झूठ के अलावा कुछ नहीं है। अगर झूठ नहीं है तो सरकार बिहार में जहाँ बाजार खुला हुआ है, जहाँ बिचौलिए बीच में नहीं हैं। आए और किसानों की फसलों को बिकवा दे। इसी हालात में अगर सरकार बिहार में किसानों की हालत सुधर देती है, तो किसी को इस कानून से क्या दिक्कत होगी।

अभी की स्थिति न पूछिए तो बेहतर है।

केंद्र सरकार का आंकड़ा है कि बिहार में गेहूं की फसल पर सरकार एक हज़ार में से सिर्फ एक किसान को MSP दिलवा पाई। बाकि किसानों सही कीमत नहीं मिली। बिहार में किसानों ने इस साल 61 लाख मेट्रिक टन गेहूं उपजा ली। लेकिन, सरकार उसमे से महज़ 5 हज़ार टन गेंहूं ही खरीद पाई। ये आंकड़े 1 प्रतिशत से भी बहुत नीचे है। इसलिए किसानों ने सरकार पर निर्भर नहीं होकर बाजार का सहारा लिया जहाँ पर उन्हें अब भी MSP से आधे दामों पर फसल बेचनी पड़ती है। वहीँ पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में जहाँ मंडियाँ हैं किसानों की फसल न सिर्फ आसानी से बिक जाती है, उनको फसल के अच्छे दाम भी मिल जाता है।