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वाकई पुलिस की लापरवाही ने ली कन्हैया की जान? सवालों के घेरे में उदयपुर पुलिस

Kanhaiya Lal Murder Udaipur: राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। कसूर सिर्फ इतना था कि उसके बेटे द्वारा पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर पिछले दिनों आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट शेयर कर दी गई।

जिसकी वजह से कट्टरपंथियों ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की तर्ज पर कन्हैया की गर्दन काट डाली। कपड़े सिलवाने के बहाने दुकान में घुसे आरोपियों ने पूरी घटना को कैमरे में भी कैद किया और दो वीडियो जारी करते हुए पीएम मोदी को भी मारने की धमकी दी।


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इस मर्डर के बाद से राजस्थान पुलिस भी सवालों के घेरे में आ चुकी है। खुद गहलोत सरकार ने पुलिस की इस गलती को स्वीकार भी किया है, वहीं अभी तक मामले में सिर्फ एएसआई को सस्पेंड किया गया है।

ये पूरा मामला सिर्फ नूपुर शर्मा के समर्थन में की गई पोस्ट से शुरू हुआ। पोस्ट को लेकर उसके ही पड़ोसी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसपर तो उदयपुर पुलिस ने ऐक्शन लेने में बिलकुल देर नहीं की और कन्हैयालाल को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद उसे कोर्ट से जमानत मिल गई।


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कोई इंसान गलत हो या सही, उसका समर्थन करने वाला भी सही हो या गलत उसका फैसला कानून करता है। देश के संविधान ने हर एक इंसान को कानून के दायरों में रहकर इस देश में जीने की आजादी दी है। अगर कन्हैयालाल गलत था तो इसका फैसला भी कानून को ही करना था, लेकिन हुआ क्या? जमानत के बाद कन्हैया को कट्टरपंथियों से धमकियां मिलने लगीं। उसे अलग-अलग नंबरों से फोन और मैसेज के जरिए जान से मारने की धमकी दी जाने लगी।

जब बात हद से गुजर जाती है तब एक इंसान के पास कानून का सहारा लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता। ठीक ऐसे ही जब कन्हैया को लगातार ऐसी धमकी आने लगी तो उसने 15 जून को उसी थाने का दरवाजा खटखटाया जहां पर उसके खिलाफ शिकायत की गई थी। कन्हैया ने थाने में इस बार अपनी शिकायत और गुहार लेकर पहुंचा। उसने धमकियों की जानकारी देते हुए अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाते हुए सुरक्षा की मांग की।


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लेकिन इस बार पुलिस ने मामले में ढील छोड़ दी। कन्हैया को गिरफ्तार करने में देर ना करने वाली पुलिस ने धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने या गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं समझी। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कुछ लोगों को थाने में बुलाकर समझा-बुझा दिया और शांति-मेल मिलाप से रहने का उपदेश देकर घर भेज दिया।

अब राजस्थान पुलिस पर हर कोई सवाल उठाते हुए पूछ रहा हैं कि आखिर क्यों पुलिस मामले की संवेदनशीलता क्यों नहीं समझ पाई? सिर कलम करने की धमकी को इतने हल्के में क्यों लिया गया? कन्हैयालाल को तुरंत गिरफ्तार किया गया तो सर कलम करने की धमकी देने वाले आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?


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हर किसी का यहीं कहना है कि अगर पुलिस ने धमकी देने वालों को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया होता तो आज शायद कन्हैयालाल जिंदा होता। इस हत्या को अंजाम देने वाले आरोपियों के नाम आरोपी रियाज और गौस हैं। रियाज और गौस की बर्बरता को देखते हुए आशंका है कि उनका आतंकी संगठनों से कोई कनेक्शन तो नहीं? टेरर एंगल से जांच के लिए एनआईए की टीम भी दिल्ली से उदयपुर पहुंची है।