आखिर क्यों सऊदी अरब ने तीन साल बाद दिखाई क़तर की ओर नरमी
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सऊदी अरब तीन साल बाद क़तर के लिए अपनी जमीनी और समुद्री सीमाएं खोल रहा है। यह बात कुवैत ने घोषणा करते हुए बताया है। वहीं खाड़ी देशो कि बात करे तो इस निर्णय को बहुत बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि क़तर के कई पड़ोसी देशो के साथ विवाद रहे हैं।
वहीं एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि तनाव को खत्म करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जायेंगे, ताकि सभी मुल्को के सम्बन्ध संतुलन में रहे।
यह अहम फैसला सऊदी अरब में मंगलवार को गल्फ को-ऑपरेशन कॉउन्सिल [जीसीसी] के सम्मेलन में लिया जायेगा।
इसके अलावा आपको बता दें कि क़तर के पड़ोसी मुल्कों ने उस पर आतंकवाद को समर्थन देने के बाद तीन साल पहले कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए थे। जिनमें व्यापारिक, राजनयिक और यात्रा जैसे प्रतिबंध शामिल है। वहीं प्रतिबंध लगाने वाले देशो में सऊदी अरब के साथ-साथ यूएई, बहरीन और मिस्त्र ने क़तर की पूरी तरीके से घेराबंदी कर दी थी।
क़तर की आबादी की बात करे तो बहुत छोटा और अमीर मुल्क है। इसी के साथ क़तर पर हमेशा से जिहादी चरमपंथ को प्रोत्साहित करने का आरोप हमेशा से लगता रहा है, लेकिन क़तर ने कभी भी इन आरोपों को नहीं स्वीकारा हैं।
बीबीसी के रक्षा संवाददाता फ्रैंक गार्डनर का कहना है कि क़तर के ऊपर से यह प्रतिबन्ध महीनो के संयम और लम्बी कूटनीति के बाद हटाए गए है और इसमें कुवैत की बड़ी भूमिका रही है।
गार्डनर आगे कहते है, “साढ़े तीन साल बाद ‘घेराबंदी’ क़तर की अर्थव्यवस्था और खाड़ी एकता की धारणा दोनों के लिए बहुत महंगी साबित हुई है। क़तर के लोग इतनी जल्दी भूलने वाले नहीं हैं और न ही माफ़ करने वाले हैं कि कैसे खाड़ी के अरब पड़ोसियों ने उनकी पीठ में छूरा घोंपा था।
Nisha Jha
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