सेवा पर्व 2025: विकसित भारत के रंग, कला के संग

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा सेवा पर्व 2025 का आयोजन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रव्यापी सेवा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गौरव के उत्सव के रूप में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के विजन से प्रेरित, सेवा पर्व का उद्देश्य समुदायों, संस्थाओं और व्यक्तियों को सेवा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गौरव के सामूहिक आंदोलन में एक साथ लाना है।
चल रहे इस सेवा पर्व 2025 के तहत, संस्कृति मंत्रालय ने 29 सितंबर 2025 को जयपुर (राजस्थान), गुवाहाटी (असम), और महेश्वर (मध्य प्रदेश) में “विकसित भारत के रंग, कला के संग” थीम के तहत विविध प्रकार की कला कार्यशालाओं का आयोजन किया। इन आयोजनों में छात्रों, कलाकारों, शिक्षाविदों, गणमान्य व्यक्तियों और सामुदायिक नेताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे सांस्कृतिक उत्सव और नागरिक जिम्मेदारी के लिए राष्ट्रव्यापी संकल्प को बल मिला।
संस्कृति मंत्रालय की संस्थाओं के माध्यम से 29 सितंबर 2025 को आयोजित कला कार्यशालाओं और स्वच्छता अभियानों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
· गुवाहाटी, असम– एनईजेडसीसी शिल्पग्राम, पंजाबारी (उत्तर पूर्व क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आईजीएनसीए आरसी और सीसीआरटी आरसी के सहयोग से आयोजित)
गुवाहाटी में, एनईजेडसीसी शिल्पग्राम, पंजाबारी में एक बड़े पैमाने पर कला कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 1200 से अधिक छात्रों और कलाकारों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम की शोभा कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाई, जिनमें श्री नोनी बोरपुजारी (प्रख्यात असमिया दृश्य कलाकार), श्री रामकृष्ण तालुकदार (प्रख्यात सत्रीय गुरु और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता), श्री अतुल सी. बरुआ (प्रख्यात असमिया दृश्य कलाकार), श्री स्वप्ननिल बरुआ (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी), और श्री के. रोशनी कुमार (निरीक्षक, सीजीएसटी ऑडिट, गुवाहाटी) शामिल थे। इन सभी ने मिलकर असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को अपनी रचनात्मकता को समाज सेवा से जोड़ने के लिए प्रेरित किया।
जयपुर में, प्रतिष्ठित जवाहर कला केंद्र में एक कला कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 500 से अधिक छात्रों और युवा कलाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शोभा श्रीमती अलका मीणा (अपर महानिदेशक, जवाहर कला केंद्र) ने बढ़ाई, जिन्होंने छात्रों को राष्ट्र निर्माण के साधन के रूप में रचनात्मकता को पोषित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
गुवाहाटी में, बेटकुची हाई स्कूल में भी एक कला कार्यशाला आयोजित की गई, जहाँ छात्रों ने चित्रकला और पेंटिंग के माध्यम से ‘विकसित भारत’ के अपने दृष्टिकोण को सक्रिय रूप से व्यक्त किया।
महेश्वर में, देवी अहिल्या बाल ज्योति स्कूल में एक कला कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यक्रम में श्री शरद शबल (नाट्य कलाकार), श्री अमृत बिचवे (वरिष्ठ बुनकर), और पद्म श्री भालू मोंधे जैसे प्रतिष्ठित मेहमानों ने भाग लिया, जिन्होंने अपने रचनात्मक अनुभव साझा किए और छात्रों को आधुनिक कलात्मक पद्धतियों को अपनाते हुए परंपराओं को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया।
डिजिटल भागीदारी
व्यापक जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने सेवा पर्व पोर्टल के माध्यम से डिजिटल भागीदारी को सक्षम किया है:
संस्थागत अपलोड: संस्कृति मंत्रालय और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तहत आने वाली सभी संस्थाएँ अपने कार्यक्रमों का दस्तावेज़ीकरण कर रही हैं और उन्हें सेवा पर्व पोर्टल https://amritkaal.nic.in/sewa-parv.htm पर अपलोड कर रही हैं।
नागरिकों का योगदान: व्यक्ति अपनी कलाकृतियाँ, तस्वीरें और रचनात्मक अभिव्यक्तियाँ सीधे पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं, और उन्हें #SewaParv का उपयोग करके सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
ब्रांडिंग और प्रचार सामग्री यहाँ से डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं: Google Drive लिंक।
भागीदारी कैसे करें?
1. व्यक्तिगत भागीदारी
कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के किसी भी माध्यम या सामग्री में “विकसित भारत के रंग, कला के संग” थीम पर एक कलाकृति बनाकर योगदान कर सकता है। प्रतिभागी अपनी कलाकृति की तस्वीरें यहाँ अपलोड कर सकते हैं: https://amritkaal.nic.in/sewa-parv-individual-participants
2. 75 स्थानों में से किसी एक पर पेंटिंग कार्यशाला में शामिल हों
प्रतिभागी इसमें भाग लेने के लिए दिए गए स्थानों पर संबंधित संस्कृति मंत्रालय की संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं। 75 स्थानों की सूची: यहाँ क्लिक करें।
29 सितंबर 2025 को जयपुर, गुवाहाटी और महेश्वर में आयोजित कला कार्यशालाओं ने भारत की कलात्मक समृद्धि और सांस्कृतिक गहराई को दर्शाया। जयपुर के जवाहर कला केंद्र ने राजस्थान की रचनात्मक जीवंतता का प्रदर्शन किया, गुवाहाटी प्रमुख दृश्य कलाकारों और गुरुओं की भागीदारी के साथ कलात्मक और सांस्कृतिक प्रेरणा का केंद्र बन गया, और महेश्वर ने पारंपरिक बुनाई, रंगमंच और समकालीन कला के मिश्रण को उजागर किया। सेवा पर्व 2025 के तहत इन आयोजनों ने मिलकर रचनात्मकता, विरासत और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने में कला की भूमिका की पुनः पुष्टि की, जिससे विकसित भारत@2047 की ओर भारत की यात्रा को मजबूती मिली।