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‘साझा करना और देखभाल करना’ भारतीय सभ्यता के केंद्रीय मूल्य हैं: उपराष्ट्रपति नायडू

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं से सेवा की भावना को अपनाने और समाज में जरूरतमंद व वंचित वर्गों की सहायता करने के लिए नियमित रूप से कुछ समय देने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के नेल्लौर जिले में देवीरेड्डी सारदा चैरिटेबल ट्रस्ट (न्यास) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नायडू ने रेखांकित किया कि ‘सेवा’ भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और उन्होंने आगे दोहराया कि भारत का सभ्यतागत मूल्य ‘साझा करना और देखभाल करना’ है।

उन्होंने कहा कि दूसरों की सहायता करने से बहुत अधिक संतुष्टि मिलती है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि विशेष रूप से युवाओं को चाहिए कि वे गरीबों की सेवा के लिए आगे आएं और सरकार की प्रायोजित योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ उठाने में उनकी सहायता करें।

नायडू ने धर्मार्थ संगठनों से युवाओं और महिलाओं के कौशल विकास व उन्हें सशक्त बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया। उन्होंने आगे परोपकारी लोगों और बड़ी संस्थाओं से इसका आह्वान किया कि वे ग्रामीण भारत में सेवा-उन्मुख कार्यक्रमों को गंभीरता से लेने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करें।

नायडू ने ट्रस्ट की विद्यालय सुविधाओं, स्वास्थ्य केंद्र व कौशल विकास केंद्र का दौरा किया। इस दौरान उन्हें विभिन्न सेवा गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने ट्रस्ट की स्थापना के लिए देवीरेड्डी सुधाकर रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों की सराहना की और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।