शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे कई विधायकों के साथ पहुँचे गुजरात के होटल, नहीं उठा रहे उद्धव का फोन
महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना के शीर्ष नेता एकनाथ शिंदे 10 पार्टी विधायकों और 12 निर्दलीय और छोटी पार्टियों विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में एक होटल चले गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिंदे कथित तौर पर विधायकों के साथ पार्टी “पहुंच से बाहर” बताये जा रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि शिंदे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का फोन भी नहीं उठा रहे हैं और शिंदे पार्टी से नाराज चल रहे हैं जिस कारण उन्होंने यह कदम उठाया है।
Some MLAs of Shiv Sena and Eknath Shinde are currently not reachable. Efforts are being made to topple the MVA government but BJP has to remember that Maharashtra is very different from Rajasthan or Madhya Pradesh: Shiv Sena leader Sanjay Raut pic.twitter.com/cDUFjfm9pf
— ANI (@ANI) June 21, 2022
आज दोपहर बजे मंत्री एकनाथ शिंदे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, उसके बाद ही स्थिति का पता लग पाएगा। कहा जा रहा है कि शिंदे का यह कदम उद्धव ठाकरे सरकार के लिए मुशकीलों को भी बढ़ाने वाला हो सकता है। शिंदे को 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया था, जब शिवसेना के भाजपा से अलग हो गए थे।
Security heightened outside the residence of Maharashtra minister and Shiv Sena leader Eknath Shinde, in Thane.
Shinde is reportedly "unreachable" after suspected cross-voting in MLC elections. CM Uddhav Thackeray has called an urgent meeting of all Shiv Sena MLAs today at 12pm pic.twitter.com/AswTItPWJE
— ANI (@ANI) June 21, 2022
दैनिक भास्कर की आधिकारिक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शिंदे सभी विधायकों के साथ सूरत के ली मेरिडियन होटल में रुके हैं। इन सभी को सूरत लाने में भाजपा के दो बड़े दिग्गज नेताओं का नाम सामने आने की ख़बर है। यह सभी विधायक अगर बागी हुए तो गिर सकती है सरकार। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद काफी सियासी ड्रामे के बीच उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिला था। 2003 में उद्धव ठाकरे पहली बार शिवसेना में कार्यकारी अध्यक्ष बने थे और 2013 में बाला साहब ठाकरे के निधन होने के बाद उद्धव ने शिवसेना की कमान अपने हाथों में ली थी।