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लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के अध्यक्ष श्री ताशी ग्यालसन ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और विकास के बिन्दुओं पर चर्चा की

लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के अध्यक्ष श्री ताशी ग्यालसन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में क्षेत्र के विकास से संबंधित बिन्दुओं की विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के नेताओं को सूचित किया कि लद्दाख में स्थापित होने वाला भारत का पहला रात्रिकालीन आकाशीय अभयारण्य (नाइट स्काई सैंक्चुरी) केंद्र शासित प्रदेश में खगोलीय पर्यटन (एस्ट्रो टूरिज्म) को बढ़ावा देगा और राजस्व के साथ-साथ आजीविका भी पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि “विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर से हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से शेघ्रातिशीघ्र इस नाइट स्काई रिजर्व का उद्घाटन करने का अनुरोध करेंगे। ”

पिछले साल दिसंबर में, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने पूर्वी लद्दाख के हानले गांव में प्रस्तावित डार्क स्काई रिजर्व को अधिसूचित किया था। 1,073 वर्ग किलोमीटर में फैला यह नाइट स्काई रिजर्व चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है और उस भारतीय खगोलीय वेधशाला के निकट स्थित है, जो विश्व में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, हनलीट में 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित दूसरा सबसे ऊंचा प्रकाशिक (ऑप्टिकल) टेलीस्कोप है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “यह डार्क स्काई रिजर्व विश्व में अपनी तरह के इस प्रकार के केवल 15 या 16 केन्द्रों में से एक है जो रात्रिकालीन आकाश के शानदार दृश्य प्रस्तुत करेगा। इसकी ऊंचाई और वर्षा छाया क्षेत्र में हिमालय के पार स्थित होने के कारण, यह नाइट स्काई रिज़र्व लगभग पूरे वर्ष नक्षत्र पर्यवेक्षकों (स्टार गेजर्स) के लिए आदर्श स्थान है”।

उन्होंने आगे कहा कि “विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और सीएसआईआर की ओर से हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से शीघ्रातिशीघ्र इस नाइट स्काई रिजर्व का उद्घाटन करने का अनुरोध करेंगे।”

नाइट स्काई रिजर्व का उद्देश्य खगोल पर्यटन की पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों के माध्यम से आजीविका को बढ़ावा देना, खगोल विज्ञान के बारे में जागरूकता फैलाना और कम कृत्रिम प्रकाश एवं वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लेह बेरी से खाद्य उत्पाद विकसित करने पर परियोजनाएं चल रही हैं, जो इस क्षेत्र का पोषक तत्वों से भरपूर और असाधारण फल है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले वर्ष से “लेह बेरी” का व्यावसायिक रोपण शुरू करने का निर्णय लेने के लिए लद्दाख प्रशासन को धन्यवाद दिया। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) “लेह बेरी” को बढ़ावा दे रही है इस जो इस शीत मरुस्थलीय क्षेत्र का एक विशेष खाद्य उत्पाद है और व्यापक उद्यमिता के साथ-साथ स्व-उद्यमिता एवं आजीविका का साधन भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मई 2018 में प्रधानमंत्री मोदी जी की लद्दाख यात्रा का उल्लेख किया जिसमें पीएम ने सी बकथोर्न की व्यापक खेती के लिए दृढ़ता से सलाह दी थी, जो “लेह बेरी” का स्रोत है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) स्थानीय किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपयोग की जाने वाली कटाई मशीनरी भी विकसित कर रहा है, क्योंकि वर्तमान में वनों में होने वाले इस सी बकथोर्न के पौधे से केवल 10% फल ही निकाले जा रहे हैं।

लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) – लेह के अध्यक्ष ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने के लिए लेह में एक विशेष परीक्षा केंद्र की स्थापना को स्वीकृति देने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह की सराहना की । उन्होंने कहा कि “इससे उन छात्रों को बड़ी राहत मिली है, जो श्रीनगर या चंडीगढ़ जैसे अन्य केंद्रों की यात्रा करने के लिए भारी खर्च उठाने के लिए विवश हो गए थे।”

जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लद्दाख और देश के अन्य सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं । उन्होंने आगे कहा कि “मोदी सरकार के अंतर्गत पहली बार, लद्दाख को एक विश्वविद्यालय के लिए स्वीकृति दी गई है और एक इंजीनियरिंग कॉलेज एवं मेडिकल कॉलेज ने पिछले वर्ष से शैक्षणिक सत्र भी शुरू कर दिया है

प्रतिनिधिमंडल ने सीमा क्षेत्र और स्थानीय प्रशासनिक मामलों में रणनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा की ।