श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के छः दिन बाद मनाई जाने वाली छठीपर्व, आइये जानते है कैसे मनाई जाती है छठी
इस साल 4 सितम्बर को लड्डू गोपाल की छठी का पर्व मनाया जाएगा। श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल कहते हैं। जन्माष्टमी के छह दिन बाद लड्डू गोपाल की छठी मनाई जाती है। कहा जाता है कि जो लोग घर में लड्डू गोपाल रखना चाहते हैं जन्माष्टमी का दिन इस के लिए सबसे उत्तम है।
छठी के दिन सुबह कान्हा को पंचामृत से स्नान करवाएं। पंचामृत- दूध, तुलसा, दही, शहद और गंगाजल को मिलाकर बनाया जाता है। गोपाल को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाते हैं।
इस दिन शाम को छठी मनाई जाती है। कढ़ी-चावल बनाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाते हैं। माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं।
क्यों मनाते हैं छठी
श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। उन्हें वासुदेव ने रातों-रात यशोदा के घर छोड़ दिया था। कंस को जब ये बात पता लगती है तो वे पूतना को श्री कृष्ण को मारने के लिए गोकुल यशोदा के पास भेजता है और ये आदेश देता है कि गोकुल में जितने भी 6 दिन के बच्चे हैं उन्हें मार दिया जाए। पूतना के गोकुल पहुंचते ही यशोदा बालकृष्ण को छिपा देती हैं।
श्री कृष्ण को पैदा हुए छह दिन हो गए थे, लेकिन उनकी छठी नहीं हो पाई थी। तब तक उनका नामकरण भी नहीं हो पाया था। फिर यशोदा ने सप्तमी को छठी पूजन किया और तभी से श्री कृष्ण की छठी मनाई जाने लगी। इतना ही नहीं, तभी से बच्चों की भी छठी की परंपरा शुरू हो गई।