आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में कौशल विकास की अहम भूमिका: धर्मेन्द्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने विनय कुमार सक्सेना के साथ दिल्ली में पूर्व शिक्षण (आरपीएल) की मान्यता कार्यक्रम को पूरा करने के लिए एनडीएमसी कर्मचारियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।
इस अवसर पर दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार, एमएसडीई के सचिव राजेश अग्रवाल, एनडीएमसी के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह भल्ला, एनएसडीसी के सीओओ वेद मणि तिवारी और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण को बढ़ाने के लिए, कौशल भारत मिशन के तहत अगस्त महीने में 900 उम्मीदवारों को पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) कार्यक्रम को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
इस पहल को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के तहत विश्व बैंक की एक परियोजना आजीविका संवर्धन (संकल्प) कार्यक्रम के लिए एनडीएमसी और कौशल अर्जन द्वारा सह-वित्त पोषित किया गया है। एमएसडीई के रणनीतिक कार्यान्वयन और ज्ञान भागीदार, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा पहल शुरू की गई थी, और 5 अगस्त, 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसका उद्घाटन किया गया था। पहले चरण में 25,000 श्रमिकों को अतिरिक्त कौशल देने का लक्ष्य है।
इस अवसर पर सभी उम्मीदवारों को बधाई देते हुए प्रधान ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के मार्गदर्शन में एनएसडीसी और एनडीएमसी की पहल भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में एक और कदम है। जैसाकि हम विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, कौशल विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह की पहल कार्यबल को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल के दौरान सभी नागरिकों के लिए ‘पंच प्रण’ की रूपरेखा तैयार की है, हमें भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अपने कार्यबल की उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर, दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने विभिन्न क्षेत्रों में सभी 900 कुशल प्रशिक्षुओं को बधाई दी और कहा कि आरपीएल प्रमाण पत्र उन्हें उनके करियर में नई ऊंचाई तक पहुंचने में मदद करेंगे।
उन्होंने एक मजबूत कौशल विकास प्रणाली तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण हासिल करने के लिए परम्परागत कारीगरों को अतिरिक्त कौशल प्रदान करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के महत्व की सराहना की और महिलाओं से आगे आने तथा अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कौशल प्राप्त करने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने की अपील की।
पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के मौजूदा कौशल सेट, ज्ञान और अनुभव का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है जो या तो नौकरी के दौरान काम करके या वर्षों से सीखकर प्राप्त किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत, श्रमिकों को अनेक व्यवसायों निर्माण, इलेक्ट्रिकल, प्लंबिंग, पॉटरी, हैंडीक्राफ्ट आदि में अतिरिक्त कौशल प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम के पहले चरण में नवम्बर 2022 तक नौकरी के अनेक क्षेत्रों में 25,000 लोगों को अतिरक्त कौशल प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में 5,000 लोगों को उद्यमिता कार्यक्रम के माध्यम से और तीसरे चरण में 45,000 लोगों को अतिरिक्त कौशल प्रदान किया जाएगा।
पहल के तहत सभी लाभार्थियों को 12 घंटे का एक अनिवार्य अभिविन्यास प्रदान किया जाता है, जिसमें डोमेन-विशिष्ट प्रशिक्षण, मूल्यांकन की प्रक्रिया से परिचित कराने और तकनीक-आधारित सॉफ्ट स्किल्स और उद्यमिता पर अभिविन्यास शामिल है।
मंत्री ने यह भी कहा कि कौशल विकास आज आकांक्षी हो गया है और पारंपरिक व्यवसायों से आगे जाना अनिवार्य हो गया है। भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल भुगतान बाजारों में से एक है, हमें डिजिटलीकरण को अपनाने और ब्लॉकचैन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, आदि जैसे नए कौशल सीखने की जरूरत है।