स्किल इंडिया ने रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं को ई-कार्ट लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य बनाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया
असंगठित क्षेत्र को औपचारिक रूप देने और रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं को बेहतर बनाने के प्रयास में, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने आज पूर्वी दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों को कुशल और ई-कार्ट लाइसेंस के योग्य बनाने के लिए, भोजन तैयार करने और बिक्री के व्यवसाय में सुंदरता तथा स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने की घोषणा की। इस पहल को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0 के पहले की सीख को मान्यता देने के (आरपीएल) घटक के तहत लागू किया जाएगा।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को प्रासंगिक कौशल प्रदान करना, उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करना, विक्रेताओं को राजस्व सृजन के लिए अधिक अवसर प्रदान करना, स्थानीय निकायों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के बदले में नियमों और निर्धारित नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के साथ अपने प्रायोगिक चरण में, स्किल इंडिया का लक्ष्य 23 से 55 वर्ष की आयु वर्ग के 2,500 विक्रेताओं को कौशल प्रदान करना है।
इस पहल का शुभारंभ करते हुए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालयतथा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय में राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि भारत 55 लाख रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं के लिए कर्म भूमि है और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनका योगदान 14 प्रतिशत है जो एक छोटी संख्या नहीं है। यह भारत की अर्थव्यवस्था में उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व से पहले, हमारे रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं के उत्थान पर ध्यान देने में की कमी थी। हालाँकि, उनकी दृष्टि के साथ, जैसा कि हम भारत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, यह पहली बार है, स्ट्रीट फ़ूड वेंडर्स के लिए स्वनिधि और आरपीएल प्रशिक्षण जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कोविड-19 के बाद, जब खुदरा और रेहड़ी पटरी वाला वर्ग के लोग बेहद प्रभावित हुए हैं। मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्ट्रीट फूड विक्रेताओं का आचरण और भलाई परिभाषित करती है कि उनके संबंधित शहरों को कैसे माना जाता है, इसलिए उनका कौशल विकसित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सरकार रेहड़ी-पटरी वालों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
इस पहल पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, पूर्वी दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल, ने भारत के कार्यबल को कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि स्ट्रीट फूड वेंडरों की स्थिति में सुधार पर उनका ध्यान निश्चित रूप से उनके काम करने और रहन सहन की स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस पहल के अंतर्गत वेंडरों को कौशल प्रदान करके और उन्हें ई-कार्ट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ऋण प्रदान करके, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी विक्रेता बिना काम के न रहे। इसके अलावा, यह पहल पूर्वी दिल्ली के 4,000 विक्रेताओं और राष्ट्रीय स्तर पर 25 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को सामाजिक सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करेगी।
रयह परियोजना पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र कौशल परिषद (टीएचएसएससी) और एनएसडीसी के प्रशिक्षण भागीदारों द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। टीएचएसएससी द्वारा अनुशंसित दो प्रशिक्षण साझेदार लर्ननेट इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स और टाटा स्ट्राइव हैं। इस पहल के अंतर्गत, स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों, कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा प्रावधानों, कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ प्रभावी संचार तकनीक, नए युग के कौशल जैसे डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल भुगतान और ई-सेलिंग पर प्रशिक्षित किया जाएगा। मुद्रा योजना के तहत वेंडरों को ऋण के साथ सहायता भी की जाएगी।
एमएसडीई, एनएसडीसी और टीएचएसएससी द्वारा इस कार्यक्रम के माध्यम से स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को उत्पादकता बढ़ाने तथा उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान किया जाएगा। आरंभिक बैच ईडीएमसी मुख्यालय में होंगे और शेष लाभार्थियों को विकेन्द्रीकृत मोड में उनके संबंधित वार्डों/जोनों में प्रशिक्षित किया जाएगा। ईडीएमसी इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालन के लिए स्कूलों और सामुदायिक हॉलों की पहचान करेगा।
सभी चुने गए लाभार्थी उम्मीदवार जिन्होंने पंजीकरण पूरा कर लिया है, वे नगर निगम के अधिकारियों की उपस्थिति में प्रशिक्षण भागीदारों (टीपी) द्वारा आयोजित एक परामर्श सत्र में भाग लेंगे। परामर्श सत्र का उद्देश्य अगले 4-5 दिनों के लिए उम्मीदवारों को उनकी कौशल दक्षता, योग्यता, रुचियों, अवसरों और यात्रा कार्यक्रम की संरचना पर स्पष्टता प्रदान करने का है। कार्यक्रम पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत लागू किया जाएगा, इसमें प्रशिक्षण, प्रमाणन और मूल्यांकन लागत प्रदान प्रदान की जाएगी। इसके अलावा उम्मीदवारों को 3 वर्ष के लिए 500 रुपये का प्रोत्साहनऔर 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा भी दिया जाएगा।
इसके अलावा, प्रशिक्षण के दौरान उम्मीदवारों की आय हानि की क्षतिपूर्ति करने के लिए, एनएसडीसी यह सुनिश्चित करेगा कि वे 32 घंटे का प्रशिक्षण पूरा करें और प्रशिक्षण पर प्रतिदिन लगभग 8 घंटे खर्च करें। अनुकूलित निगरानी और मूल्यांकन संवर्द्धन दौरे, पिछले कौशल का सत्यापन और प्रारंभिक स्क्रीनिंग, ई-सत्यापन कॉल तथा चेहरा पहचान द्वारा निर्धारित पात्रता हाजिरी लगाने की कार्रवाई भी की जाएगी।
यह उम्मीद की जाती है कि बेहतर अवसरों को देखते हुए आवेदकों का एक बड़ा हिस्सा मौजूदा फेरीवाले और स्ट्रीट फूड विक्रेता होंगे। इसलिए, कार्यक्रम को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि प्रशिक्षण के लिए सीमित घंटों की संख्या, उनकी सुविधा के अनुसार, प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त स्थान का चयन और प्रेरणा तथा परामर्श के लिए संबंधित गैर सरकारी संगठनों और एमसीडी का समर्थन लेना शामिल है। प्रशिक्षण भागीदार मुद्दों का समाधान करने वाली प्राथमिक एजेंसी होगी।