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इन तीन कारणों से बंगाल में बीजेपी की प्रभारी बनी स्मृति ईरानी

पश्चिम बंगाल में बीजेपी को करारी हार मिलने के बाद अब आने वाले दिनों में बंगाल फ़तह करने के लिए आज से ही नया स्ट्रैटेजी बनाने में लग गई है। ऐसे में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथ में बंगाल की बागडोर सौंप दी है। इससे पहले अमेठी में राहुल गांधी को हरा कर बीजेपी के विश्वास पर खड़ी उतरी है। फ़िलहाल अब बंगाल में अपनी जगह बनाने जा रही हैं। मालूम हो कि, बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के प्रभारी रहे हैं, उनकी जगह अब स्मृति ईरानी लेने जा रही हैं।

ज़ाहिर है कि, कैलाश विजयवर्गीय एकलौते ऐसे बीजेपी के प्रभारी है जो पिछले 6 साल से किसी राज्य में अपने पद पर बने हुए है। इस बदलाव के बाद अब स्मृति ईरानी शायद एकमात्र केंद्रीय मंत्री होंगी जो 2014 के बाद किसी राज्य की प्रभारी होंगी।

बता दें कि स्मृति ईरानी लगातार बीजेपी के लिए एक मज़बूत महिला चेहरा बनकर उभरी है। स्मृति ईरानी को बीजेपी एक ऐसे मंत्री के रूप में देखती है जो जमीन से जुड़ी और मजबूत फैसले लेने में सक्षम है। साथ ही टीम के साथ रहकर हर लक्ष्य तक पहुंचने पर यकीन करती हैं। सालो-सालो तक महिला मोर्चा की सदस्य रहने वाली स्मृति ईरानी आज एक केंद्रीय मंत्री हैं।

ममता बनाम स्मृति यानी महिला बनाम महिला

बंगाल चुनावों में वोट बैंक एक गेम चेंजर की तरह बनकर सामने आया. 2.3 करोड़ वोट मिलने के बावजूद बीजेपी अपनी जगह नहीं बना सकी. पार्टी टीएमसी के महिला वोटों को अपनी ओर खीचने में असमर्थ रही जिस कारण अब स्मृति ईरानी पर भरोसा जताते हुए महिला वोट लेने का प्रयास में बीजेपी जुट गई है.

स्मृति ईरानी को है बंगाली भाषा पर पकड़

एक और खास वजह ये कि, स्मृति ईरानी की बंगाली भाषा पर पकड़ बेहद अच्छी है। वो किसी आम बंगाली व्यक्ति की तरह बंगाली भाषा में बातचीत कर सकती हैं।उनकी बंगाली में दी गई स्पीच की कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते भी देखी गई हैं।