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तो इन कारणों से बीजेपी बंगाल चुनाव हार जाएगी…

पश्चिम बंगाल : तृणमूल कांग्रेस के नेता अपनी हर सभा में बीजेपी के बड़े नेताओं पर हमले कर रहे हैं टीएमसी का कहना है, बीजेपी की ताक़त को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।

पिछले महीने 10 दिसंबर को कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे के समय उन पर हमला होने के ख़बर ने ख़ूब सुर्खियां बटोरीं जब उनके काफ़िले पर ईंट से हमला होने की बात कही गई।

सारी मीडिया में इस हमले की चर्चा चल रही थी, लेकिन ममता बनर्जी ने इसे लेकर उल्टे बीजेपी पर ही राजनीतिक तीर साध दिया।

ममता बनर्जी ने इसे ‘नौटंकी’ बताते हुए उसी दिन एक रैली में जेपी नड्डा के नाम का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था – “कभी कोई मुख्यमंत्री चला आ रहा है, कभी कोई गृह मंत्री चला आ रहा है, कभी कोई और मंत्री चला आ रहा है, ये लोगों का काम नहीं करते, किसी दिन चड्डा-नड्डा-फड्डा-भड्डा-गड्डा चला आ रहा है।”


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पार्टी प्रवक्ता और दमदम सीट से सांसद सौगत राय कहते हैं, “बीजेपी आक्रामक हो रही है क्योंकि दिल्ली से उनके नेता और मंत्री लोग यहाँ आ रहे हैं, मगर बीजेपी का स्थानीय नेतृत्व बहुत कमज़ोर है, इसलिए आप देखेंगे कि अमित शाह आते हैं, नड्डा आते हैं, मोदी भी आएँगे मगर असल में बीजेपी अभी भी तृणमूल से बहुत पीछे है।”

मगर मेदिनीपुर सीट से सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं कि पश्चिम बंगाल सीमावर्ती प्रदेश होने की वजह से देश की सुरक्षा के लिए काफ़ी अहम है. वो कहते हैं, “चूँकि हमारी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है तो हमारे राष्ट्रीय नेता आएँगे ही।” उन्होंने कहा,”हम किसी भी कीमत पर पश्चिम बंगाल को जीतना चाहते हैं क्योंकि देश के हित के लिए यहाँ की सीमा सुरक्षित होनी चाहिए, क़ानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी होनी चाहिए और वो हम करेंगे.” प्रदेश में बीजेपी के संगठन के कमज़ोर होने के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए वो कहते हैं कि “अगर हमारे कार्यकर्ता इतने क़ाबिल नहीं हैं तो हमें इतने वोट कैसे मिल गए।”

बीजेपी की लोकप्रियता घटी हैं

2018 के बाद से बीजेपी शासित राज्यों की संख्या घट रही है। वैसे कर्नाटक और मध्य प्रदेश में चुनी हुई सरकारों को गिराकर पार्टी ने इस ट्रेंड को कुछ बदला है। इसलिए अगर 2021 में वह सभी राज्यों में हार जाती है या सिर्फ असम में जीतती है तो उसके लिए थोड़ी राहत की बात तो रहेगी। पश्चिम बंगाल में दशकों तक बीजेपी का कोई प्रभाव नहीं था, लेकिन 2016 विधानसभा चुनाव में वह 17 फ़ीसदी मत और दो सीट जीतने में सफल हुई। 2019 लोकसभा चुनाव में तो उसने कमाल ही कर दिया। बीजेपी ने तब 40.7 फ़ीसदी वोट पाए और उसे 18 सीटें मिलीं। तब वह टीएमसी के 43.3 फ़ीसदी मत और 22 सीटों के बेहद क़रीब पहुंच गई।

इसी वजह से आने वाले चुनाव में पार्टी संगठन ने पूरी ताक़त झोंक दी है। वह इसे बीजेपी बनाम अन्य के रूप में देख रही है। उसे लगता है कि गैर-बीजेपी वोट उन दलों के बीच बंट जाएंगे, जिससे लोकसभा चुनाव में मिले 40.7 फ़ीसदी वोटों के साथ भी वह चुनाव जीत जाएगी। वह इस बात से भी खुश है कि असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को बिहार में पांच सीटें मिली थीं और वह बंगाल में भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। बीजेपी का मानना है कि अगर इससे मुस्लिम वोटर लेफ्ट और कांग्रेस से छिटकते हैं तो उसे पक्का फायदा होगा। याद रखिए कि राज्य में 28 फ़ीसदी मुसलमान हैं।


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कोलकाता स्थित वरिष्ठ पत्रकार निर्माल्य मुखर्जी कहते हैं, “2019 का लोकसभा चुनाव एक टर्निंग प्वाइंट था, बीजेपी का अपना वोट ज़्यादा नहीं बढ़ा, मगर उन्हें लेफ़्ट के 27 प्रतिशत और कांग्रेस के पाँच प्रतिशत वोट मिल गए, अगर बीजेपी उन मतों को बरक़रार रखती है तो उसे काफ़ी बढ़त मिल जाएगी।” मगर वरिष्ठ पत्रकार शिखा मुखर्जी को इसमें संदेह लगता है। वो कहती हैं, “बीजेपी कहती है कि उनके पास 40 प्रतिशत वोट है,पर वो पहले तो था नहीं, उनका जो मूल वोट है जिसके आधार पर वो अपनी रणनीति बना सकते हैं, वो हमें अभी भी समझ नहीं आ रहा है।”

बीजेपी की मजबूत कड़ी

पश्चिम बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं। 147 मैजिक फ़िगर या जादुई आँकड़ा है यानी इतनी सीटें हासिल करने वाला सरकार बना लेगा।
बीजेपी और तृणमूल दोनों के बीच बाज़ी-सी लग गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को 200 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी।
वहीं बिना शोर-शराबा किए पार्टियों की चुनावी रणनीतियाँ बनाने वाले तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर चुनौती दी कि अगर बीजेपी दहाई का आँकड़ा पार कर गई तो वो ट्विटर छोड़ देंगे।


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इस बाज़ी के बारे में पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, “2016 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने 21 सीट जीतने का लक्ष्य रखा था, तब भी लोगों को अजीब लगता था कि इनकी तो केवल दो सीटें हैं, 21 की बात कर रहे हैं, दो ही बचा लें, वही बहुत है। तब हमने नारा दिया था 19 में हाफ़, 21 में साफ़, अब हमारे नेता ने कह दिया है तो हम 200 से आगे ही जाएँगे, पीछे नहीं रहेंगे।”

अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कामयाबी के नायक बताए जाने वाले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पूरे विश्वास से भरे दिखते हैं।
वो कहते हैं, “हम लोगों को निराश नहीं होने देंगे, परिवर्तन को पूरा करेंगे।” पश्चिम बंगाल में सियासी शतरंज पर मोहरे भी बदल रहे हैं, और दाँव भी। जबकि चुनाव अभी दूर है।


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