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सोनोवाल ने पूर्वोत्तर की कृषि नीत उन्नति के लिये कृषि-उद्यमियों के विशेषज्ञ समूह से भेंट की

आयुष तथा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कृषि नीत उन्नति की संभावनायें तलाशने के लिये, खासकर असम सहित पूर्वोत्तर के किसान समुदाय के लिये, रविवार को कृषि उद्यमियों तथा अकादमिक जगत के एक विशेषज्ञ समूह से मुलाकात की।

विशेषज्ञ समूह ने सोनोवाल को किसानी की मौजूदा तरीकों और उनके आर्थिक तथा पारिस्थितिकीय उपयोगिता के बारे में जानकारी दी।

खेती सम्बंधी विभिन्न पक्षों, जैसे अकार्बिनिक खेती, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर चर्चा की गई। इन सभी पक्षों पर क्षेत्र के आर्थिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन किया गया। इस बात पर जोर दिया गया कि कृषि आधारित उन्नति के जरिये पूरे क्षेत्र तथा वहां के लोगों की पारिस्थितिकीय तथा आर्थिक जरूरतों को अवश्य पूरा होना चाहिये। विशेषज्ञ समूह का नेतृत्व असम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिद्युत डेका कर रहे थे।

सजग चर्चा के बाद सोनोवाल ने विशेषज्ञ समूह से आग्रह किया कि वे जैविक और प्राकृतिक खेती की उपयोगिता पर एक समग्र रिपोर्ट तैयार करें, ताकि वह एक रोड-मैप बन सके तथा सरकार के उच्चतम स्तर पर होने वाली भावी नीति सम्बंधी चर्चाओं में उसका हवाला दिया जा सके।

रिपोर्ट को असम कृषि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में तैयार किया जायेगा, जिसमें जैविक तथा प्राकृतिक खेती करने वाले राज्य के सफल कृषि-उद्यमियों के अनुभवों को शामिल किया जायेगा। साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र की तुलनात्मक पड़ताल को भी इसमें रखा जायेगा।

क्षेत्र में दीर्घकालिक खेती के बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुये श्री सोनोवाल ने कहा, “आधुनिक प्रौद्योगिकी और विशेष तकनीकों का इस्तेमाल सूझ-बूझ के साथ किया जाना चाहिये ताकि हमारे क्षेत्र में होने वाली खेती का अधिकतम लाभ लिया जा सके। हमें अपनी जड़ों से सीखना होगा तथा आधुनिक तकनीक अपनानी होगी, ताकि हम सतत विकास हासिल कर सकें।

इसे हमारे क्षेत्र के पारिस्थितिकीय संतुलन का ध्यान रखना होगा और साथ ही हमारे किसान समुदाय के लिये आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने में योगदान करना होगा। हमारा विश्वास है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में आयुष आधारित उद्योग के विकास में क्षेत्र के किसान समुदाय के लिये अपार अवसर मौजूद हैं तथा वे महत्त्वपूर्ण हितधारक बन सकते हैं।”