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जल दिवस: जल है सोना, इसे कभी नहीं खोना

जल तो है सोना, इसे कभी नहीं खोना। धरती पर निवास करने वाली सभी प्रजातियों के लिए जल सबसे महत्वपूर्ण प्रकृति की देन है। इस देन को हमें संभाल कर रखना होगा और इसके संरक्षण के लिए सदैव एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह प्रयास करते रहना चाहिए। सभी जीवों के लिए पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए वायु के बाद पानी दूसरा सबसे जरूरी पदार्थ है।

जीवन की शुरुआत से ही पानी इतना महत्वपूर्ण है कि सभी प्रमुख सभ्यता दुनिया में नदी के पास होती है। भारत में प्रमुख शहरों को विकसित करने में नदियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि नदी के माध्यम से परिवहन बहुत आसान है। आजकल वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन के बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि उन्हें हवा में कुछ जमे हुए पानी के कण और नमी मिली थी।

मानवीय भूलों का ही परिणाम है की आज धरती पर जल संकट खड़ा हो गया है। लगातार बढ़ता प्रदूषण और जल के संचय का अभाव इसके मुख्य कारण हैं। प्रकृति के साथ हमने बहुत खिलवाड़ कर लिया और इसके गंभीर परिणाम हमें अब धीरे धीरे देखने को मिल रहे हैं।

हमारी धरती के जल स्त्रोत को अगर किसी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है तो वो है – बढ़ता हुआ जल प्रदूषण। नदियों में बेरोक-टोक प्लास्टिक, कूड़ा-कचड़ा डालना, कारखानों और फेक्टरियों का गंदा पानी नदियों में डालना आदि की वजह से नदी के पानी को भी अशुद्ध कर दिया है। इतना जल को प्रदूषित करने के कारण नदियां सूख रही हैं, पानी पीने लायक भी नहीं रहा।अगर इसी प्रकार हम नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब नदियों का आस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा और हमारे पास एक मात्र नदियों का ही सहारा है वो भी खतम हो सकता है।

पृथ्वी पर जल एक असीम प्राकृतिक संसाधन है जो पुन: चक्रण द्वारा बनता है लेकिन ताजा और पीने योग्य पानी हमारी प्रमुख आवश्यकता है जिसे हमारे सुरक्षित स्वस्थ जीवन के लिए बचाया जाना चाहिए। पानी को बचाने के प्रयास के बिना, एक दिन पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होगा। पानी की असली कीमत तो वही आदमी बता सकता है जो रेगिस्तान की तपती धूप से निकल कर आया हो। इसलिए जल संरक्षण को सभी व्यक्तियों को समझना होगा और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा।

-पल्लवी सिंह

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