एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत ओरोविल अनुभव यात्रा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों ने दूसरे दिन शरीर और चित्त में शांति पर जोर देते हुए सीखने का क्रम जारी रखा
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एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) कार्यक्रम के तहत ओरोविल अनुभव यात्रा के दूसरे दिन प्रतिभागी विद्यार्थियों ने ओरोविल में शरीर और चित्त में शांति पर जोर देते हुए सीखने का क्रम जारी रखा। उन्होंने अपने दिन की शुरुआत श्री अरबिंदो गायत्री मंत्र के शांतिपूर्ण जाप के साथ की तथा आंतरिक यात्रा पर जाना और गहन शांति प्राप्त करना सीखा।
उन्होंने मन की प्रकृति के बारे में भी सीखा और यह भी जाना कि कोई व्यक्ति किस प्रकार सौम्य, प्रेमपूर्ण ध्यान, बाहरी दुनिया में संलग्न रहते हुए भी अंतर्मण का पोषण करके पहले अपने शरीर में शांति लाकर और फिर अपने चित्त को भी शांत कर सकता है।
उनके प्रश्नों ने जाहिर किया कि उन्हें वास्तव में अपने चित्त को समझने और उस पर काबू पाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रकृति और अनुकूलित संचार के बीच अंतर करने के बारे में सीखा और चित्त के अनुकूल रहने और उससे द्वंद्व नहीं करने की व्यावहारिक युक्तियों को जाना।
इसके बाद विद्यार्थियों ने मातृमंदिर का दौरा कर ओरोविल और समग्र मानवता के लिए इसके महत्व को जाना। मौजूदा विकल्पों और संभावनाओं के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ रही है तथा इन्हें खुले चित्त और दिल से अपनाने की जरूरत है।
बाद में दिन में, विद्यार्थियों ने पुडुचेरी की उपराज्यपाल, डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन के साथ बातचीत की। वह ओरोविल फाउंडेशन के गवर्निंग बोर्ड की सदस्य भी हैं। उन्होंने अपनी जीवन यात्रा के माध्यम से विद्यार्थियों को अनेक भूमिकाएं निभाने वाला व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को नेता बनने, स्टार बनने, अजेय बनने और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर किसी में अपने सपनों को साकार करने की क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि दिलेर और साहसी बनना, डटकर खड़े रहना और चुनौतियों का सामना करना तथा कड़ी मेहनत करना ही सफलता की कुंजी है। इस अवसर पर ओरोविल फाउंडेशन की सचिव डॉ. जयंती एस. रवि भी उपस्थित थीं।
उसके पश्चात विद्यार्थियों को ओरोविल और कम्युनिटी इंटिग्रेशन में अपनाए जाने वाले प्रोस्पेरिटी मॉडल से अवगत कराया गया। विद्यार्थियों को सोलर किचन- सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई, जैसी समुदाय को एक साथ लाने वाली ओरोविल की अन्य पहलों के बारे में बताया गया।
दिन का समापन एक बार फिर से विद्यार्थियों को ध्वनियों के कंपन का अनुभव कराने वाले ध्वनि स्नान के साथ हुआ। उन्होंने जाना कि कैसे शांति में विश्राम और आराम करने से काम की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है और उसका प्रभाव संचार पर पड़ सकता है।
शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी, जी-20 नेताओं की घोषणा, श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आने वाले विषयों के लिए शैक्षिक-सह-सांस्कृतिक भ्रमण की प्रासंगिकता पर बल देने के लिए इस कार्यक्रम को प्रारंभ किया है। कार्यक्रम की परिकल्पना एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) के अंतर्गत अरबिंदो सर्किट प्रारंभ करने के केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझाव के बाद की गई। इस पहल का बल युवाओं को आध्यात्मिकता तथा श्री अरबिंदो के दर्शन और इंटीग्रल एजुकेशन के व्यावहारिक कार्यान्वयन को उजागर करने पर होगा, ओरोविल उस दिशा में एक विशिष्ट प्रयोग है। शिक्षा मंत्रालय का स्वायत्त संगठन ओरोविल फाउंडेशन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।