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द्वारका, गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

मंच पर उपस्थित गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, संसद में मेरे सहयोगी गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान सी आर पाटिल, अन्य सभी महानुभाव, और गुजरात के मेरे भाइयों और बहनों,

सबसे पहले तो माता स्वरूपा मेरी अहीर बहनों जिन्होंने मेरा स्वागत किया, उनका मैं श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूँ और आदरपूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ। थोड़े दिन पहले सोशल मीडिया में एक वीडियो बहुत वायरल हुआ था। द्वारका में 37000 अहीर बहनें एक साथ गरबा कर रही थी, तो लोग मुझे बहुत गर्व से कह रहे थे कि साहब यह द्वारका में 37000 अहीर बहने! मैंने कहा भाई आपको गरबा दिखाई दिया, लेकिन वहां की एक और विशेषता यह थी कि 37000 अहीर बहनें जब वहां पर गरबा कर रही थी ना, तब वहां पर कम से कम 25000 किलो सोना उनके शरीर पर था। यह संख्या तो मैं कम से कम कह रहा हूँ। जब लोगों को पता चला कि शरीर पर 25000 किलो सोना और गरबा तो लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ। ऐसी मातृ स्वरूपा आप सबने मेरा स्वागत किया, आपका आशीर्वाद मिला, मैं सब अहीर बहनों का शीश झुकाकर आभार व्यक्त करता हूँ।

भगवान श्री कृष्ण की कर्म भूमि, द्वारका धाम को मैं श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। देवभूमि द्वारका में भगवान कृष्ण द्वारिकाधीश के रूप में विराजते हैं। यहां जो कुछ भी होता है, वो द्वारकाधीश की इच्छा से ही होता है। आज सुबह मुझे मंदिर में दर्शन का, पूजन का सौभाग्य मिला। द्वारका के लिए कहा जाता है कि ये चार धाम और सप्तपुरी, दोनों का हिस्सा है। यहां आदि शंकराचार्य जी ने चार पीठों में से एक, शारदा पीठ की स्थापना की। यहां नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है, रुकमणी देवी मंदिर है, आस्था के ऐसे अनेक केंद्र हैं। और मुझे बीते दिनों देश-काज करते-करते देव-काज के निमित्त, देश के अनेक तीर्थों की यात्रा का सौभाग्य मिला है। आज द्वारका धाम में भी उसी दिव्यता को अनुभव कर रहा हूं। आज सुबह ही मुझे ऐसा एक और अनुभव हुआ, मैंने वो पल बिताए, जो जीवन भर मेरे साथ रहने वाले हैं। मैंने गहरे समुद्र के भीतर जाकर प्राचीन द्वारका जी के दर्शन किए। पुरातत्व के जानकारों ने समंदर में समाई उस द्वारका के बारे में काफी कुछ लिखा है। हमारे शास्त्रों में भी द्वारका के बारे में कहा गया है-

भविष्यति पुरी रम्या सुद्वारा प्रार्ग्य-तोरणा।

चयाट्टालक केयूरा पृथिव्याम् ककुदोपमा॥

अर्थात्, सुंदर द्वारों और ऊंचे भवनों वाली ये पुरी, पृथ्वी पर शिखर जैसी होगी। कहते हैं भगवान विश्वकर्मा ने खुद इस द्वारका नगरी का निर्माण किया था। द्वारका नगरी, भारत में श्रेष्ठ नगर उसका आयोजन, उसका विकास का एक उत्तम उदाहरण थी। आज जब मैं गहरे समुद्र के भीतर द्वारका जी के दर्शन कर रहा था, तो मैं पुरातन वही भव्यता, वही दिव्यता मनो-मन अनुभव कर रहा था। मैंने वहां भगवान श्रीकृष्ण को, द्वारकाधीश को प्रणाम किया, उन्हें नमन किया। मैं अपने साथ मोर पंख भी ले करके गया था, जिसे मैंने प्रभु कृष्ण का स्मरण करते हुए वहां अर्पित किया। मेरे लिए कई वर्षों से जब मैंने पुरातत्वविदों से यह जाना था, तो एक बहुत बड़ी जिज्ञासा थी। मन करता था, कभी न कभी समुद्र के भीतर जाऊंगा और उस द्वारका नगरी के जो भी अवशेष हैं, उसे छूकर के श्रद्धाभाव से नमन करूंगा। अनेक वर्षों की मेरे वो इच्‍छा आज पूरी हुई। मैं, मेरा मन बहुत गदगद है, मैं भाव-विभोर हूं। दशकों तक जो सपना संजोया हो और उसे आज उस पवित्र भूमि को स्पर्श कर करके पूरा हुआ होगा, आप कल्पना कर सकते हैं मेरे भीतर कितना अभूत आनंद होगा।

21वीं सदी में भारत के वैभव की तस्वीर भी मेरी आंखों में घूम रही थी और मैं लंबे समय तक अंदर रहा। और आज यहां देर से आने की वजह का कारण यह था कि मैं समंदर के अंदर काफी देर रुका रहा। मैं समुद्र द्वारका के उस दर्शन से विकसित भारत के संकल्प को और मजबूत करके आया हूँ।

आज मुझे सुदर्शन सेतु के लोकार्पण का भी सौभाग्य मिला है। 6 साल पहले मुझे इस सेतु के शिलान्यास का अवसर मिला था। ये सेतु, ओखा को बेट द्वारका द्वीप से जोड़ेगा। ये सेतु, द्वारकाधीश के दर्शन भी आसान बनाएगा और यहां की दिव्यता को भी चार-चांद लगा देगा। जिसका सपना देखा, जिसकी आधारशिला रखी, उसको पूरा किया- यही ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के सेवक, मोदी की गारंटी है। सुदर्शन सेतु सिर्फ एक सुविधा भर नहीं है। बल्कि ये इंजीनियरिंग का भी कमाल है और मैं तो चाहूंगा इंजीनियरिंग के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी आकर के इस सुदर्शन सेतु का अध्ययन करें। ये भारत का अब तक का सबसे लंबा केबल आधारित ब्रिज है। मैं सभी देशवासियों को इस आधुनिक और विराट सेतु के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज जब इतना बड़ा काम हो रहा है, तो एक पुरानी बात याद आ रही है। रूस में आस्त्राख़ान नाम का एक राज्य है, गुजरात और आस्त्राख़ान के साथ सिस्टर स्टेट का अपना रिश्ता है। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब रूस के उस आस्त्राख़ान स्टेट में उन्होंने मुझे आमंत्रित किया और मैं गया था। और जब मैं वहाँ गया तो मेरे लिये वह आश्चर्य था कि वहां पर सबसे अच्छा जो बाजार होता था, बड़ा से बड़ा मॉल था, उसका नाम ओखा के उपर ही होता था। सबके नाम पर ओखा, मैंने कहा ओखा नाम क्यों रखा है? तो सदियों पहले अपने यहां से लोग व्यापार के लिये वहां पर जाते थे, और यहां से जो चीज जाती थी, उसको वहां पर उत्तम से उत्तम चीज मानी जाती थी। इस कारण आज सदियों के बाद भी ओखा के नाम से दुकान हो, ओखा के नाम से मॉल हो तो वहां के लोगों को लगता है कि यहां पर बहुत अच्छी क्वालिटी की चीजें मिल रही हैं। वह जो सदियों पहले मेरे ओखा की जो इज्जत थी, वह अब यह सुदर्शन सेतु बनने के बाद फिर एक बार दुनिया के नक्शे में चमकने वाली है और ओखा का नाम और बढ़ने वाला है।

आज जब मैं सुदर्शन सेतु को देख रहा हूं, तो कितनी ही पुरानी बातें भी याद आ रही हैं। पहले द्वारका और बेट द्वारका के लोगों को श्रद्धालुओं को फेरी बोट पर निर्भर रहना पड़ता था। पहले समंदर और फिर सड़क से लंबा सफर करना पड़ता था। यात्रियों को परेशानी होती थी और अक्सर समंदर की ऊंची लहरों के कारण कभी-कभी बोट सेवा बंद भी हो जाती थी। इससे श्रद्धालुओं को बहुत परेशानी होती थी। जब मैं मुख्यमंत्री था तो, यहां के साथी जब भी मेरे पास आते थे, तो ब्रिज की बात ज़रूर करते थे। और हमारे शिव-शिव, हमारे बाबूबा उनका एक एजेंडा था कि ये काम मुझे करना है। आज मैं देख रहा हूं कि बाबूबा सबसे ज्यादा खुश हैं।

मैं तब के कांग्रेस की केंद्र सरकार के सामने बार-बार ये बातें रखता था, लेकिन कभी उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस सुदर्शन सेतु का निर्माण यह भी भगवान श्रीकृष्ण ने मेरे ही भाग्य में लिखा था। मुझे खुशी है कि मैं परमात्मा का आदेश का पालन करके इस दायित्व को निभा पाया हूं। इस पुल के बनने से अब देश भर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होगी। इस पुल की एक और विशेष बात है। इसमें जो शानदार लाइटिंग हुई है, उसके लिए बिजली, पुल पर लगे सोलर पैनल से ही जुटाई जाएगी। सुदर्शन सेतु में 12 टूरिस्ट गैलरी बनाई गई हैं। आज मैंने भी इन गैलरियों को देखा है। ये अद्भुत हैं, बहुत ही सुंदर बनी हैं। सुदर्शनी है, इनसे लोग अथाह नीले समंदर को निहार पाएंगे।

आज इस पवित्र अवसर पर मैं देवभूमि द्वारका के लोगों की सराहना भी करूंगा। यहां के लोगों ने स्वच्छता का जो मिशन शुरू किया है और मेरे पास लोग सोशल मीडिया से वीडियो भेजते थे कि द्वारका में कितनी जबरदस्त सफाई का काम चल रहा है, आप लोग खुश है ना? आप सब को आनंद हुआ है ना यह सफाई हुई तो, एकदम सब क्लीन लग रहा है ना? लेकिन अब आप लोगों की जिम्मेदारी क्या है? फिर मुझे आना पड़ेगा साफ करने के लिये? आप लोग इसे साफ रखेंगे कि नहीं? जरा हाथ ऊपर उठा के बोलिये, अब हम द्वारका को गंदा नहीं होने देगें, मंजूर, मंजूर। देखिये विदेश के लोग यहां आएंगे। अनेक श्रद्धालु आएंगे। जब वो स्वच्छता देखते हैं ना तो आधा तो उनका मन आप जीत ही लेते हैं।

जब मैंने देशवासियों को नए भारत के निर्माण की गारंटी दी थी, तो ये विपक्ष के लोग जो आए दिन मुझे गाली देने के शौकीन हैं, वो उसका भी मज़ाक उड़ाते थे। आज देखिए, लोग नया भारत अपनी आंखों से बनता हुआ देख रहे हैं। जिन्होंने लंबे समय तक देश पर शासन किया, उनके पास इच्छाशक्ति नहीं थी, सामान्य जन को सुविधा देने की नीयत और निष्ठा में खोट थी। कांग्रेस की पूरी ताकत, एक परिवार को ही आगे बढ़ाने में लगती रही, अगर एक परिवार को ही सब कुछ करना था तो देश बनाने की याद कैसे आती? इनकी पूरी शक्ति, इसी बात पर लगती थी कि 5 साल सरकार कैसे चलाएं, घोटालों को कैसे दबाएं। तभी तो 2014 से पहले के 10 सालों में भारत को ये सिर्फ 11वें नंबर की इकोनॉमी ही बना पाए। जब अर्थव्यवस्था इतनी छोटी थी, तो इतने विराट देश के ऐसे विराट सपनों को पूरा करने का सामर्थ्य भी उतना नहीं था। जो थोड़ा बहुत बजट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रहता था, वो ये घोटाला करके लूट लेते थे। जब देश में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का समय आया, कांग्रेस ने 2जी घोटाला कर दिया। जब देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने का अवसर आया, कांग्रेस ने कॉमनवेल्थ घोटाला कर दिया। जब देश में डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की बारी आई, कांग्रेस ने हेलीकॉप्टर और सबमरीन घोटाला कर दिया। देश की हर जरूरत के साथ कांग्रेस सिर्फ विश्वासघात ही कर सकती है।

2014 में जब आप सभी ने मुझे आशीर्वाद देकर दिल्ली भेजा, तो मैं आपसे वायदा करके गया था कि देश को लुटने नहीं दूंगा। कांग्रेस के समय में जो हजारों करोड़ के घोटाले होते रहते थे, वो सब अब बंद हो चुके हैं। बीते 10 वर्षों में हमने देश को दुनिया की 5वें नंबर की आर्थिक ताकत बना दिया और इसका परिणाम आप पूरे देश में ऐसे नव्य, भव्य और दिव्य निर्माण कार्य देख रहे हैं। एक तरफ हमारे दिव्य तीर्थ स्थल आधुनिक स्वरूप में सामने आ रहे हैं। और दूसरी तरफ मेगा प्रोजेक्ट्स से नए भारत की नई तस्वीर बन रही है। आज आप देश का ये सबसे लंबा केबल आधारित सेतु गुजरात में देख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही मुंबई में देश का सबसे लंबा सी-ब्रिज पूरा हुआ। जम्मू कश्मीर में चिनाब पर बना शानदार ब्रिज आज दुनियाभर में चर्चा का विषय है। तमिलनाडु में भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज, न्यू पम्बन ब्रिज पर भी तेजी से काम चल रहा है। असम में भारत का सबसे लंबा नदी सेतु भी बीते 10 वर्ष में ही बना है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, चारों तरफ ऐसे बड़े निर्माण हो रहे हैं। यही आधुनिक कनेक्टिविटी समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण का रास्ता है।

जब कनेक्टिविटी बढ़ती है, जब कनेक्टिविटी बेहतर होती है, तो इसका सीधा प्रभाव देश के पर्यटन पर पड़ता ही है। गुजरात में बढ़ती हुई कनेक्टिविटी, राज्य को बड़ा टूरिस्ट हब बना रही हैं। आज गुजरात में 22 sanctuaries और 4 नेशनल पार्क हैं। हजारों वर्ष पुराने पोर्ट सिटी लोथल की चर्चा दुनिया भर में है। आज अहमदाबाद शहर, रानी की वाव, चाँपानेर और धोलावीरा वर्ल्ड हेरिटेज बन चुके हैं। द्वारका में शिवराजपुरी का ब्लू फ़्लैग बीच है। वर्ल्ड हेरिटेज सिटी अहमदाबाद है। एशिया का सबसे लम्बा रोपवे ये हमारे गिरनार पर्वत पर है। गिर वन, एशियाटिक लायन, ये हमारे गिन के जंगलों में पाए जाते हैं। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, सरदार साहब की स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी गुजरात के एकता नगर में है। रणोत्सव में आज दुनियाभर के पर्यटकों का मेला लगता है। कच्छ का धोरडो गांव, दुनिया के सर्वोत्तम पर्यटन गांवों में गिना जाता है। नडाबेट राष्ट्रभक्ति और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन रहा है। विकास भी, विरासत भी इस मंत्र पर चलते हुए गुजरात में आस्था के स्थलों को भी संवारा जा रहा है। द्वारका, सोमनाथ, पावागढ़, मोढेरा, अंबाजी, ऐसे सभी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में सुविधाओं का विकास किया गया है। अंबाजी में ऐसी व्यवस्था की गई है कि 52 शक्तिपीठों के दर्शन एक जगह हो जाते हैं। आज गुजरात भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की पसंद बनता जा रहा है। वर्ष 2022 में भारत आए 85 लाख से अधिक पर्यटकों में हर 5वां पर्यटक गुजरात आया है। पिछले वर्ष अगस्त तक करीब साढ़े 15 लाख पर्यटक गुजरात आ चुके थे। केंद्र सरकार ने विदेशी पर्यटकों को जो ई-वीजा की सुविधा दी है, उसका भी लाभ गुजरात को मिला है। पर्यटकों की संख्या में हो रही ये वृद्धि, गुजरात में रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर भी बना रही है।

मैं जब भी सौराष्ट्र आता हूं, यहां से एक नई ऊर्जा लेकर जाता हूं। सौराष्ट्र की ये धरती, संकल्प से सिद्धि की बहुत बड़ी प्रेरणा है। आज सौराष्ट्र का विकास देखकर किसी को भी एहसास पहले कभी नहीं होगा कि पहले यहां जीवन कितना कठिन हुआ करता था। हमने तो वो दिन भी देखे हैं, जब सौराष्ट्र का हर परिवार, हर किसान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसता था। यहां से लोग पलायन करके दूर-दूर पैदल चले जाते थे। जब मैं कहता था कि जिन नदियों में साल भर पानी रहता है, वहां से पानी उठाकर सौराष्ट्र और कच्छ में लाया जाएगा, तो ये कांग्रेस के लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। लेकिन आज सौनी, ये एक ऐसी योजना है जिसने सौराष्ट्र का भाग्य बदल दिया है। इस योजना के तहत 1300 किलोमीटर से अधिक की पाइपलाइन बिछाई गई है और पाइपलाइन भी छोटी नहीं है, पाइप के अंदर मारुति कार चली जा सकती है। इसके कारण सौराष्ट्र के सैकड़ों गांवों को सिंचाई का और पीने का पानी पहुंच पाया है। अब सौराष्ट्र का किसान संपन्न हो रहा है, यहां का पशुपालक संपन्न हो रहा है, यहां का मछुआरा सम्पन्न हो रहा है। मुझे विश्वास है आने वाले वर्षों में, पूरा सौराष्ट्र, पूरा गुजरात, सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंचेगा। द्वारकाधीश का आशीर्वाद हमारे साथ है। हम मिलकर सौराष्ट्र को, गुजरात को विकसित बनाएंगे, गुजरात विकसित होगा, भारत विकसित होगा।

एक बार फिर, इस भव्य सेतु के लिए मैं आप सभी को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं! आपका अभिनंदन करता हूं! और अब मेरी द्वारका वालों से प्रार्थना है, अब आप अपना मन बना लीजिए, दुनिया भर से टूरिस्‍ट कैसे ज्यादा से ज्यादा आएं। आने के बाद उनको यहां रहने का मन करे। मैं आपकी इस भावना का आदर करता हूं। मेरे साथ बोलिए, द्वारकाधीश की जय! द्वारकाधीश की जय! द्वारकाधीश की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!