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उपराष्ट्रपति जी के भाषण का मूलपाठ – राज्य सभा दिवस समारोह

राज्य सभा परिवार में जो कार्यरत हैं उनके परिजनों को देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। आज कई बच्चों को देखा तो एक बात समझ आ गयी, यह दिन कोई भाषण का नहीं है। हम साथ-साथ हैं अब यह नहीं पूछा जाएगा कि हम आपके हैं कौन?

आदरणीय हरिवंश जी, पी. सी. मोदी जी, उत्पल कुमार जी, सुनील कुमार गुप्ता जी, रंजीत पुनहानी जी, वंदना जी , जगदीश जी और आप सब लोग। आज मैं कोई भाषण नहीं दूंगा, आपका कितना संतोष राज्य सभा में काम करने के लिए आपके घरवाले मानते हैं वह मेरा मापदंड है सफलता का जिसका निर्णय करने वाले बच्चे और बच्चियां यहां बैठे हैं।

आने वाले समय में दो तीन बातों का ख़ास ध्यान रखना है, परिवार को खुश रखो और परिवार को स्वस्थ रखो। मैंने पहले भी कहा है और आज फिर कह रहा हूं, और आज जिनके सामने कह रहा हूं वह बच्चे बच्चियां और बुजुर्ग आपको याद भी दिलाएंगे कि देश का भ्रमण कीजिए… इकट्ठे होकर कीजिए, भारत को देखिए हम सब मिलकर आपकी मदद करेंगे। देश के बाहर देखने को बहुत कुछ है, पर जो भारत में है वह और कहीं नहीं है। आपके परिवार का सदस्य होने के नाते मेरा इसमें पूरा और सार्थक सहयोग रहेगा।

कभी कोई समस्या हो चाहे वह परिवार की समस्या हो. यह अपना दायित्व है।

प्रधानमंत्री का vision है हर घर में खुशहाली देखने का। मैं बच्चों को कह रहा हूं कि यदि आप के परिजन जब घर में ठीक रहेंगे और खुश रहेंगे तो राज्य सभा में काम बहुत ही अच्छा करेंगे उसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी।

मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जितनी प्रतिभा राज्य सभा और लोक सभा के सदस्यों में है आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगी, वह अपनी आंखों से बदलते हुए देश की तस्वीर देखते हैं। उनकी आंखों के सामने सब निकल रहे हैं, जो देश का नेतृत्व करते हैं, हर चीज के अंदर उनकी कमजोरियां जानते हैं, ताकत जानते हैं, और उनके व्यवहार को भी जानते हैं।

एक छोटा सा किसका बताता हूं जब मैं 1989 में पहली बार लोक सभा का सदस्य बन कर आया था अपने यहां पार्लियामेंट में security के लोग रहते हैं वह जमाना था जब technology ज्यादा नहीं थी। तब गाड़ी को रोका जाता था और पूछा जाता था कि गाड़ी में कौन है? मैं उनसे हर बात पूछता था कि आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या है? वह कहते थे जो पहली बार संसद सदस्य बनकर आए हैं, जब उनकी गाड़ी को रोकते हैं, तो लगता है कि हमने उन्हें बहुत बड़ी चुनौती दे दी, लेकिन जब हम दूसरी और तीसरी बार की संसद सदस्य को रोकते हैं तो वह रुकता भी है, और हमसे बात भी करता है… और जो 4 बार का संसद सदस्य है.. वह तो कहता है कि परिवार का क्या हाल है? तथा हमारा नाम भी जानता है। जिसमें एक अपनापन है और वह अपनापन समय के साथ आता है। मेरा यह सभापति के नाते पहला ही Term है तो हो सकता है कुछ व्यवहार पहले Term का हो। मैं यह मान कर चलता हूं कि आज के इस कार्यक्रम के बाद निश्चित रूप से पूरे साल के लिए कार्यक्रम बनाएंगे परिवार के साथ।

इसी के साथ आपको शुभकामनाएं देते हुए एक बात और कहूंगा हमारा सबसे बड़ा ज्ञान हमारे संविधान से आता है। हमारे संविधान में जो बात है, उससे भी हमें ज्ञान लेना चाहिए और वह ज्ञान यह है कि भारत की संसद के तीन हिस्से हैं सर्वोपरि महामहिम राष्ट्रपति जी और फिर है लोक सभा और राज्य सभा। हमारा भाईचारा नहीं है, हम एक हैं।

ओम नाम का तो जादू ही कुछ और है , कई बार आती है यह बात लोक सभा और राज्य सभा, हम House of Elders हैं या Upper House, पर ये (लोक सभा) बड़े भाई हैं. देश का प्रधानमंत्री कौन होता है? ये तय करते हैं, और ख़ज़ाने की कुंजी कैसे जाती है, ये तय करते हैं… तो इस भाईचारे को और बढ़ाएं। अगर आपकी कोई मित्रगण लोक सभा में उनके साथ भी कार्यक्रम बनाइए या जो मैं आपको कह रहा हूं इसमें हमारे लोक सभा के प्रतिभाशाली अध्यक्ष जी की पूरी सहमति है।