सीएक्यूएम ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर में स्थित उद्योगों को पीएनजी अथवा बायोमास ईंधन का इस्तेमाल शुरू करने का निर्देश दिया
एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने हरियाणा, यूपी और राजस्थान के एनसीआर में स्थित ऐसे उद्योगों को पीएनजी या बायोमास ईंधन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने प्राकृतिक गैस की बुनियादी सुविधा और आपूर्ति की सुविधा होने के बावजूद अभी तक पीएनजी/स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल शुरु नहीं किया है।
आयोग के निर्देशानुसार :-
• हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर में स्थित उद्योग 30.09.2022 तक पूरी तरह से पीएनजी या बायोमास ईंधन का इस्तेमाल शुरु करेंगे।
• पीएनजी या बायोमास ईंधन का इस्तेमाल शुरु नहीं करने और अन्य ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योग बंद कर दिए जाएंगे।
• जब तक उपरोक्त निर्णय के अनुसार ईंधन के इस्तेमाल में बदलाव नहीं हो जाता, तब तक ऐसे उद्योग अपने औद्योगिक संचालन के लिए संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अनुमोदित ईंधन का ही उपयोग करेंगे।
• राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले उद्योगों के लिए पहले ही स्वच्छ ईंधन मुख्य रूप से पीएनजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आयोग ने विभिन्न संगठनों, संघों, संस्थाओं और राज्य सरकारों से विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है। विभिन्न संगठनों/संघों/संस्थाओं ने आयोग को अपना निवेदन/आवेदन दिया। बड़ी संख्या में संघों, संगठनों और व्यक्तियों ने आयोग के समक्ष पीएनजी के अलावा बायोमास ईंधन के उपयोग की अनुमति के लिए अपने अनुरोध प्रस्तुत किए, जिसमें बताया गया कि बायोमास आधारित ईंधन एचएसडी और कोयला आदि जैसे जीवाश्म ईंधन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन के तौर पर पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल हैं।
कोयला, डीजल आदि जैसे प्रदूषणकारी ईंधनों का उपयोग करने वाले उद्योगों से होने वाला उत्सर्जन एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और उद्योगों में पीएनजी/क्लीनर ईंधन का इस्तेमाल सुनिश्चित करना हमेशा सीएक्यूएम की प्राथमिकता रही है।
इसके अलावा, खुले में बायोमास का जलाना भी एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। एनसीआर में औद्योगिक कार्यों में ईंधन के रूप में बायोमास का इस्तेमाल बढ़ाते हुए, आयोग मुख्य रूप से बायोमास को जलाने के मामले को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। यह न केवल एनसीआर उद्योगों में प्रदूषणकारी ईंधन के उपयोग को कम करने में मदद करेगा, बल्कि बायोमास के उचित उपयोग को सुनिश्चित करते हुए किसानों की आय में भी वृद्धि करेगा।
एनसीआर में कोयले पर चलने वाले सभी उद्योगों में यदि वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों (एपीसीडी) के साथ पीएनजी या बायोमास ईंधन का इस्तेमाल सुनिश्चित कर दिया जाता है, तो एनसीआर और आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में बायोमास जलने में उल्लेखनीय गिरावट आएगी, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।