प्राचीन सभ्यताओं को याद दिलाता पटना का सभ्यता द्वार
“यूं तो घर ही में सिमट आई है दुनिया सारी
हो मयस्सर तो कभी घूम के दुनिया देखो।”
शायर जमील मलिक की यह पंक्तियां पर्यटन को बढ़ावा देने में बहुमूल्य भूमिका निभाती दिख रही है। एक आगंतुक का प्रमुख आकर्षण होता है, एक पर्यटन स्थल। जिसे देखने वो दूर दूर से आता है। ऐसे ही कई सारे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अपने भारत देश मे मौजूद है।
जो आगंतुक का एक प्रमुख आकर्षण तो है ही, लेकिन यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल अपने देश के सौंदर्य का कारण बनता है। जो हमेशा एक आगंतुक को अपने सौंदर्य से मनोरंजन प्रदान करता हैं। इस देश की प्राचीन संस्कृति और यहा के बने हुए प्राचीन स्थल पूरे दुनिया के पर्यटकों का आकर्षण का कारण है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। पर्यटन खुद से पुन: पुन: जुड़ने का अवसर तो है ही, साथ ही सांस्कृतिक धरोहर और विरासत से जुड़ने का मौका भी।
इसी के परिपेक्ष्य में बिहार के पटना के गांधी मैदान के उत्तर बापू सभागार और ज्ञान भवन के बीच गंगा के तट पर खड़ा विशाल सभ्यता द्वार लोगों को बिहार की गौरवगाथा सुनाने और बताने के लिए बना है। सभ्यता द्वार का शुभारंभ 21 मई 2018 को हुआ था। इसकी परिकल्पना भारतीय सेना के पूर्व उप थल सेनाध्यक्ष ले.जनरल स्व. एस.के.सिन्हा ने की थी। वे पटना के ही रहनेवाले थे।देश की सबसे ऊंची गांधी की मूर्ति के बाद अब पटना देश के सबसे ऊंचे निर्माण का गवाह बन गया है। सभ्यता द्वार देश का सबसे ऊंचा द्वार है। यह ‘सभ्यता द्वार’ मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से 6 मीटर और पटना के गोलघर से 3 मीटर ज्यादा ऊंचा है।
32 मीटर ऊंचे और 8 मीटर चौड़े सभ्यता द्वार का परिसर एक एकड़ में फैला है। सभ्यता द्वार के शीर्ष पर चार शेर वाला अशोक स्तंभ बना है। 5 करोड़ रुपए की लागत से यह डेढ़ साल में बनकर तैयार हुआ।इसका निर्माण राजस्थान से आए रेड एंड वाइट सैंड स्टोन से किया गया है। चार महापुरुषों के उपदेश को सभ्यता द्वार पर उत्कीर्ण किया गया है। एक तरफ महात्मा बुद्ध और सम्राट अशोक तथा दूसरी तरफ महावीर और मेगास्थानीज के उपदेश को स्थान दिया गया है। पटना का लैंडमार्क सभ्यता द्वार बिहार को गौरव दिलाने वाले महापुरुषों की याद दिला रहा है।
पर्यटन के दृष्टि से काफी मनमोहन दिख रहा है।गार्डेंन में रंग-बिरंगी फूल-पत्तियां, हरी-भरी घास, सजावटी फूलों के पौधे, म्यूजिक के धुन और चारों ओर हरियाली एक स्वच्छ और सुंदर वातावरण का अहसास करा रहा है। पार्क में पर्यटकों की सुविधाओं का भी विशेष ख्याल रखा गया है। पर्यटकों के बैठने के लिए जगह-जगह बेंच बनाए गए हैं। सभी बेंच छायादार पेड़-पौधे के नीचे हैं। यहां दिन के साथ शाम का नजारा भी सुंदर लाइटिंग से आकर्षक बना रहता है। पर्यटक शाम में भी सैर करने पहुंचते हैं।
सभ्यता द्वार की दीवारों पर एक तरफ भगवान बुद्ध और सम्राट अशोक तो दूसरी ओर महावीर व इंडिका पुस्तक के रचयिता मेगास्थनीज की उक्ति अंकित है-
भगवान बुद्ध – “यह नगर आर्यावर्त का सर्वश्रेष्ठ नगर होगा और संपूर्ण आर्यावर्त का नेतृत्व करेगा. परंतु इसे आग,पानी व आतंरिक मतभेद का सदैव भय बना रहेगा।”
सम्राट अशोक –” दुसरे धर्म का सम्मान करें, क्योंकि इससे अपने ही धर्म की प्रतिष्ठा बढती है. इससे विपरीत आचरण से अपने धर्म का प्रभाव तो घटता ही है, दुसरे धर्म की भी क्षति होती है।”
भगवान महावीर – “सभी जीवित प्राणियों को सम्मान देना अहिंसा है।”
मेगास्थनीज – ” पाटलिपुत्र का वैभव एवं ऐश्वर्य पर्सियन साम्राज्य के महान शहरों सुसा व इकबताना से कहीं बढ़कर है।”
यह प्राचीन बिहार के गौरवशाली इतिहास की झांकी है। भारत को एकीकृत करने वाले चन्द्रगुप्त, सम्राट अशोक एवं भगवान बुद्ध के संदेशों से युक्त यह सभ्यता द्वार प्राचीन बिहार की गौरव गाथा को बखूबी रेखांकित करता दिख रहा है। सचमे पर्यटन के लिए बिहार के शान के रूप में इसे देखा जा सकता है।
नृपेन्द्र कुमार
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