देश धीरे धीरे एक उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है : पीयूष गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारत की – असीमित संभावनाओं तथा घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए अनगिनत अवसरों ‘ जिसे उद्योग तथा सरकार के सामूहिक प्रयासों द्वारा संभव बनाया गया है, का उल्लेख करते हुए उद्योग के सदस्यों से भारत में निवेश करने का आग्रह किया।
सरकार के प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार आने वाले वर्षों में शेष विश्व के साथ और अधिक जुड़ाव के साथ निवेश प्रेरित, निर्यात आधारित विकास अर्जित करने के लिए जनसांख्यिकीय लाभ का उपयोग करने पर कार्य कर रही है। कंपनी कर दरों में कमी, व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार, एफडीआई नीतिगत सुधार, अनुपालन बोझ में कमी, पीएम गतिशक्ति, मेक इन इंडिया कुछ ऐसे अभिनव कदम हैं जो सरकार ने निवेशों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाये हैं। ‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘आज, भारत वर्तमान में जारी वैश्विक अराजकताओं के बीच स्थिरता का एक द्वीप है। ठोस संरचनागत सुधार, वृहद आर्थिक स्थिरता, प्रत्याशित नीति तथा व्यवसाय अनुकूल सुधार भारत को विश्व की सबसे खुली, निवेश अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाती है।‘‘ इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ नवोन्मेषण हमारी सरकार की सबसे प्रमुख विषय वस्तुओं में से एक बन गई है, चाहे यह शासन हो, कल्याण वितरण हो या उद्यमिता हो, हम निरंतर सुधार तथा नवोन्मेषण के लिए प्रयास कर रहे हैं।‘‘
गोयल ने कहा कि भारत का समग्र निर्यात लगभग 675 बिलियन डॉलर के साथ सर्वकालिक ऊंचाई पर है, पिछले अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह दर्ज किया गया तथा विनिर्माण पीएमआई 54.7 पर एवं सेवा पीएमआई 57.9 पर दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि ये सभी भारत की अर्थव्यवस्था के पुनरोत्थान को प्रदर्शित करते हैं।
गोयल ने कहा, ‘‘निर्यात रुझानों पर एक करीबी दृष्टि डालने से संकेत मिलता है कि देश धीरे धीरे एक उच्च वर्ग तथा उच्च प्रौद्योगिकी प्ररित विनिर्माण अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।‘‘ उन्होंने यह भी कहा कि यह उस विशाल क्षमता को भी परिलक्षित करती है जो भारत आने पर निवेशकों को प्राप्त होती है।
यह उल्लेख करते हुए कि कुछ ही दिन पहले भारत ने यूनिकॉर्न का शतक लगाया था, श्री गोयल ने इस अनूठी उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए भारत के सभी उद्यमियों को बधाई दी।
हाल ही में संपन्न एफटीए का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने जानकारी दी कि भारत-कनाडा आरंभिक प्रगति व्यापार समझौता, भारत-ईयू एफटीए, भारत-ब्रिटेन एफटीए विकसित देशों के साथ कुछ ऐसे अन्य व्यापार समझौते हैं जिन पर कार्य प्रगति में हैं।
गोयल ने कहा कि भारत-यूएई एफटीए, जो इस महीने प्रभावी हुआ, हमारे श्रम आधारित निर्यातों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराएगा तथा इससे वस्तुओं में द्विपक्षीय व्यापार के बढ़ कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ा कर लगभग 27.5 बिलियन डॉलर के वर्तमान स्तर से वर्ष 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचा देने का है। उन्होंने कहा, ‘‘ एक दशक में पहली बार, हम विकसित देशों के साथ व्यापार समझौतों में बड़ी प्रगति हासिल कर रहे हैं। ‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘ एफटीए पूरे विकसित विश्व में तथा भारत में कंपनियों के लिए एक दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं, आवश्यकताओं में सहायता करने के लिए, भारत तथा समकक्ष देशों में व्यापक रूप से रोजगार सृजित करने के प्रचुर अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। इसलिए, हम सभी देशों के साथ एक उचित, न्यायसंगत, उन सभी के लिए लाभदायक कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं जिनके साथ हम अपने सहयोगों को विस्तारित कर रहे हैं। ‘‘
गोयल ने यह भी कहा कि पिछले लगभग छह वर्षों में भारत ने रिकॉर्ड एफडीआई का अनुभव किया है और विशेष रूप से वित्त वर्ष 2020-21 में भारत में अब तक के सर्वश्रेष्ठ 82 बिलियन डॉलर की भारत में एफडीआई की आवक दर्ज की गई ।
गोयल ने 1907 में अपनी स्थापना के बाद से भारत की स्वतंत्रता तथा 115 वर्षों की इसकी सफलता गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आईएमसी की सराहना की। उन्होंने स्मरण दिलाया कि आईएमसी की स्थापना व्यापारियों द्वारा स्वदेशी आंदोलन में सहायता करने के लिए एक साथ आने के जरिये की गई थी जिन्होंने आरंभिक दिनों से ही आत्मनिर्भरता के प्रयोजन को बढ़ावा दिया था।
उन्होंने कहा कि आईएमसी ने स्वदेशी आंदोलन में गांधी जी की सहायता की थी जो इसके मानद सदस्य थे। श्री गोयल ने आईएमसी को बताया कि आत्म निर्भर भारत जन आंदोलन में भी उसकी सहायता महत्वपूर्ण साबित होगी।
गोयल ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन भारतीय व्यवसायियों तथा अंतरराष्ट्रीय निवेशकों, विनिर्माताओं, सेवा प्रदाताओं को आपस में कनेक्ट करने में सहायता करेगा जो एक साथ मिल कर काम करने, निवेश करने तथा भारत में विनिर्माण करने और भारत से विश्व की सेवा करने पर विचार करेंगे।